दिवाली के मौके पर लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग को घेरने की तैयारी, 10,000 पाकिस्तानी करेंगे कश्मीर मार्च
लंदन। दिवाली के मौके पर लंदन में जम्मू कश्मीर को लेकर बड़े प्रदर्शनों की तैयारी पाकिस्तान के समर्थकों की ओर से की गई थी। लेकिन गुरुवार को स्कॉटलैंड यार्ड की तरफ से इन सभी प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई है। स्कॉटलैंड यार्ड की तरफ से रविवार को होने वाले प्रदर्शनों को लेकर कई तरह की सख्ती का ऐलान किया गया है। 27 अक्टूबर यानी दिवाली के दिन पाक समर्थकों ने कश्मीर मार्च बुलाया है जिसके तहत भारतीय दूतावास को घेरने की योजना बनाई गई थी। इसी तरह का प्रदर्शन लंदन में 15 अगस्त और तीन सितंबर को भी आयोजित हुआ था। प्रदर्शनों की वजह से पांच अगस्त को भारत की तरफ से जम्मू कश्मीर से हटाए गए आर्टिकल 370 की निंदा करना है।
पुलिस ने रखी कुछ शर्तों
पाक समर्थकों ने लंदन में रविवार को 10,000 लोगों के साथ एक विरोध प्रदर्शन की तैयारी की थी। भारत की तरफ से लगातार अथॉरिटीज पर दबाव डाला गया और साथ ही लंदन में बसे भारतीय समुदाय की तरफ से इस पर चिंता जताई गई थी। इस प्रदर्शन के तहत डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर सुबह 10 बजे इकट्ठे कोकर शाम पांच तक इंडिया हाउस के बाहर प्रदर्शनकारियों को पहुंचने के लिए कहा गया था। अब यह प्रोटेस्ट दोपहर दो बजे से शुरू होगा और ट्रफैलगर स्क्वॉयर पर खत्म हो जाएगा। स्कॉटलैंड यार्ड के मैट ट्विस्ट ने बताया है, 'लंदन में हर वर्ष सैंकड़ों विरोध प्रदर्शन होते हैं जिसमें कई वजहों और नजरिए का प्रतिनिधित्व किया जाता है। हम समझते हैं कि यह तारीख इस प्रोटेस्ट के लिए काफी जरूरी है। साथ ही हमें यह भी मालूम है कि विरोध प्रदर्शन एक हिंदू त्यौहार दिवाली के मौके पर आयोजित हो रहा है।' उन्होंने बताया कि उनका मकसद सिरर्फ इतना है कि प्रदर्शन की वजह से किसी भी तरह की हिंसा या फिर माहौल को बिगाड़ने की कोशिश न की जाए। मैट ने बताया इस बात को ध्यान में रखते हुए फ्री कश्मीर प्रोटेस्ट पर पब्लिक ऑर्डर एक्ट के सेक्शंस 12 और 14 के तहत कुछ शर्ते लगाई गई हैं।
भारत की तरफ से दर्ज कराया गया विरोध
भारत की तरफ से विदेश विभाग को इस मसले पर एक डिप्लोमैटिक नोट भेजा गया था। इस नोट में विभाग के सामने कुछ खास चिंताओं को उठाया गया था जिन्हें लेकर भारतीय समुदाय और नई दिल्ली की तरफ से परेशानी जाहिर की गई थी। भारत इस बात को लेकर चिंतित था कि अथॉरिटीज इस तरह के प्रदर्शनों का बस एक रूटीन यानर नियमित घटनाक्रमों से जुड़ा मसला ही माना जा रहा है। हाउस ऑफ कॉमन्स में सांसद बॉब ब्लैकमैन की तरफ से इस मुद्दे को उठाया गया था। उन्होंने सदन को याद दिलाया कि किस तरह से 15 अगस्त और तीन सितंबर को इंडिया हाउस के बाहर हिंसा का माहौल था। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से कहा था कि वह इस बात पर नजर रखें कि रविवार को होने वाले प्रदर्शन में हिंसा को रोकने के लिए क्या एक्शन लिया जा रहा है।