लीबिया में गहराया संकट, ताक़तवर बाग़ी नेता को नहीं मना पाए संयुक्त राष्ट्र महासचिव
2011 में कर्नल मुआम्मार गद्दाफ़ी को सत्ता से हटाए जाने और फिर उनकी हत्या के बाद अस्थिरता से जूझ रहे लीबिया में नया संकट पैदा हो गया है.
2011 में कर्नल मुआम्मार गद्दाफ़ी को सत्ता से हटाए जाने और फिर उनकी हत्या के बाद अस्थिरता से जूझ रहे लीबिया में नया संकट पैदा हो गया है.
सशस्त्र विद्रोही बलों के ताक़तवर नेता जनरल हफ़्तार ने अपनी सेनाओं को त्रिपोली की ओर मार्च करने का आदेश दिया है.
अब ये सेनाएं त्रिपोली से 50 किलोमीटर दूर पहुंच गई हैं जहां उनके अन्य सशस्त्र गुटों से संघर्ष की ख़बरें आ रही हैं.
राजधानी त्रिपोली से ही लीबिया की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार अपना कामकाज चलाती है. हफ़्तार ने कहा है कि 'आतंकवाद का ख़ात्मा होने तक उनका अभियान जारी रहेगा.'
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हफ़्तार से मुलाक़ात की मगर कोई नतीजा नहीं निकल सका. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी ख़लीफ़ा हफ़्तार से रुकने की अपील की है.
हिंसा की आशंका
ख़लीफ़ा हफ़्तार ने अपनी वफ़ादार स्वयंभू 'लीबियन नैशनल आर्मी' को त्रिपोली पर चढ़ाई का आदेश उस समय दिया था जिस समय संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस त्रिपोली में मौजूद थे.
इसके बाद शुक्रवार को गुटेरेस ने हिंसा टालने के लिए बेनगाज़ी जाकर हफ़्तार से मुलाक़ात की मगर कोई नतीजा नहीं निकल सका.
इस नाकामयाब बैठक के बाद एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, "मुझे अब भी उम्मीद है कि ख़ूनखराबा रोकने का कोई न कोई रास्ता निकल आएगा. संयुक्त राष्ट्र राजनीतिक हल निकालने की कोशिशें करता रहेगा ताकि लीबिया एकजुट हो सके. आगे जो भी होगा, संयुक्त राष्ट्र और मैं खुद लीबिया के लोगों के साथ खड़ा रहूंगा."
एक ओर जहां जनरल हफ़्तार की लीबियन नैशनल आर्मी त्रिपोली की ओर बढ़ रही है, वहीं पूर्वी शहर मिसराता से अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के समर्थक सशस्त्र गुटों ने भी त्रिपोली की रक्षा के लिए कूच कर दिया है.
क्या है प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव गुटेरेस, अमरीका और यूरोपीय देशों ने शांति बनाए रखने की अपील की है.
रूस, फ्रांस और ब्रिटेन समेत कई देशों ने शांति बरतने की अपील की है. इससे पहले गुरुवार को अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूएई ने भी साझा बयान जारी किया था और शांति बनाए रखने की अपील की थी.
इस बयान मे लिखा गया था, "यह लीबिया में बदलाव के लिहाज से संवेदनशील समय है. ऐसे दौर में सैन्य ताकत का दिखावा, धमकी और एकतरफ़ा कार्रवाई की बातों से देश फिर से अस्थिरता की ओर बढ़ेगा. हम मानते हैं कि लीबिया में जारी संघर्ष सेना के इस्तेमाल से हल नहीं होगा."
संयुक्त राष्ट्र इस महीने लीबिया में एक सम्मेलन का आयोजन करने की तैयारी कर रहा था ताकि देश में लंबे समय से चल रहे संघर्ष को खत्म करने का रास्ता तलाशा जाए.
ज़मीन पर क्या हैं हालात
जनरल हफ़्तार के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा था कि उनकी सेनाएं कई दिशाओं से राजधानी की ओर बढ़ी हैं.
मगर अब ऐसी खबरें हैं कि राजधानी त्रिपोली से मात्र 50 किलोमीटर दूर जनरल हफ़्तार की सेनाओं और अन्य सशस्त्र गुटों के बीच संघर्ष शुरू हो गया है.
जनरल हफ़्तार की वफ़ादार सेनाओं ने इस साल देश के दक्षिणी हिस्से में काफ़ी जगह पर कब्ज़ा कर लिया है.
कौन हैं जनरल हफ़्तार
ताक़तवर वॉरलॉर्ड बन चुके ख़लीफ़ा हफ़्तार लीबिया के पूर्व सैन्य अधिकारी हैं. उन्होंने 1969 में कर्नल गद्दाफी को सत्ता दिलाने में मदद की थी. इसके बाद गद्दाफी से उनके रिश्ते ख़राब हो गए और वह अमरीका चले गए थे.
2011 में गद्दाफ़ी के ख़िलाफ विद्रोह के स्वर उठने के दौरान वह सीरया लौटे और विद्रोहियों के नेता बन गए.
बीते साल दिसंबर में उन्होंने लीबिया के अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त प्रधानमंत्री फ़ायेज़ अल-सेराज से एक सम्मेलन में मुलाक़ात की थी मगर आधिकारिक रूप से वार्ता में शामिल होने से इनकार कर दिया था.
जनरल हफ़्तार को मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात का समर्थन हासिल है.