पहली ही उड़ान में फेल हुआ चीनी रॉकेट KZ-11, लॉन्चिंग के बाद ही आसमान से गिरा
बीजिंग। चीन के कुआइझोउ-11 सॉलिड फ्यूल कैरियर रॉकेट का लॉन्च पूरी तरह से असफल करार दिया गया है। इस रॉकेट कैरियर को शुक्रवार को नॉर्थ-वेस्ट चीन से स्थानीय समयानुसार 12:17 मिनट पर लॉन्च किया गया था। न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक अपनी पहली ही फ्लाइट में यह रॉकेट कैरियर गिर गया। इस रॉकेट को जियुकुआन सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से लॉन्च किया गया था।
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हादसे की जांच जारी
कुआईझोउ को चीनी भाषा में मतलब होता है 'तेज जहाज' और चीनी मीडिया का कहना है कि लॉन्च के दौरान ही इसमें कुछ तकनीकी खराबी आ गई थी। यह रॉकेट करीब 70.8 टन का था। इसे लो-अर्थ और सूरज की कक्षा की चक्कर लगाने वाले सैटेलाइट की लॉन्चिंग के लिए डिजाइन किया गया था। अभी तक फिलहाल इस बात की जांच जारी है कि लॉन्च के असफल होने में और कौन-कौन सी वजहें जिम्मेदार हो सकती हैं। इसकी जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। चीन के सरकारी न्यूज चैनल सीसीटीवी की तरफ से भी इस बात की जानकारी दी गई है।
तीन दिन में तीन सैटेलाइट
स्पेस.कॉम वेबसाइट की तरफ से बताया गया है कि चीन ने दो अलग-अलग मिशन के तहत पिछले हफ्ते तीन दिनों के अंदर तीन सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं। पहला सैटेलाइट ताइयुआन सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से छोड़ा गया था। यह सेंटर शानाक्सी प्रांत में हैं। दो और सैटेलाइट चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी से लॉन्च किए गए थे। पहले सैटेलाइट का नाम गाओफेन है। यह जीपीएस टेक्नोलॉजी पर आधारित सैटेलाइट है जिसे असैन्य मकसद के लिए लॉन्च किया गया। यह सैटेलाइट तीन फीट से भी कम दूरी से भी फोटोग्राफ्स ले सकता है।
मई माह में एक और सैटेलाइट
मई माह में चीन ने सफलतापूर्वक अपने सबसे बड़े कैरियर रॉकेट को लॉन्च किया था जो नई पीढ़ी के अंतरिक्ष यान को लेकर रवाना हुआ। स्पेक्राफ्ट लॉन्च किया है उसका नाम लॉन्ग मार्च-5B है। मंगलवार को स्थानीय समयानुसार शाम छह बजे इसे हैनान प्रांत स्थित वेनछांग स्पेस लॉन्च सेंटर से लॉन्च किया गया था। सीसीटीवी की ओर से बताया गया कि यह पहला मिशन है जिसे लॉन्ग मार्च-5B की मदद से पूरा किया गया है। सीसीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में चाइना मैन्ड स्पेस इंजीनियरिंग ऑफिस का हवाला दिया है। लॉन्ग मार्च-5B की लंबाई 53.7 मीटर है और टेकऑफ वजन करीब 849 टन है।
मार्च में चीन ने किया था बड़ा ऐलान
चीन की तरफ से मार्च में कहा गया था कि उसका मकसद बिना किसी क्रू के एक प्रयोगात्मक स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करना है। चीन ने इसे उस विस्तृत स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम का हिस्सा बताया गया था जिसमें आने वाले समय में अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन तक लेकर जाया जाएगा। चीन इस समय साल 2022 तक अपना एक स्पेस स्टेशन होने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। साल 2003 में चीन ने अपने रॉकेट से इंसान को अंतरिक्ष में भेजा था। ऐसा करने के बाद वह अमेरिका और सोवियत संघ के बाद इस उपलब्धि को हासिल करने वाला तीसरा देश बन गया था।
इस साल के अंत में चीन के कुछ और प्रोजेक्ट्स
इस साल के आखिर तक चीन अपना चां गई 5 मिशन लॉन्च करने जा रहा है। यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा के उस हिस्से में उतरेगा जो पूरी दुनिया को दिखाई देता है। यहां से वह मिट्टी के नमूने लेकर पृथ्वी पर वापस आएगा। चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रमुख झांग केजिन ने घोषणा की है कि चीन अगले 10 साल में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना रिसर्च सेंटर स्थापित करेगा। साल 2003 के बाद से ही चीन, रूस और रूस को हटाकर अंतरिक्ष में अपनी बादशाहत साबित करने के प्रयास कर रहा है।
अमेरिका की बादशाहत खत्म करने की कोशिश
चीन का लक्ष्य साल 2030 तक इन देशों को उनके स्थान से हटाना है। साल 2030 तक चीन की तैयारी है कि वह अपने दो रोबोट, चांद पर उतारे जो पानी और बाकी संसाधनों की जांच कर सकेंगे। पिछले वर्ष आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन की कोशिश साल 2036 तक चंद्रमा पर एक स्थायी सेंटर बनाने की है। चीन, चंद्रमा के टाइटेनियम,यूरेनियम, लोहे और पानी का प्रयोग रॉकेट निर्माण के लिए करना चाहता है। यह रॉकेट निर्माण सुविधा साल 2050 तक अंतरिक्ष में लंबी दूरी तक माइनिंग करने की चीन की योजना के लिए बेहद जरूरी है।