परवेज मुशर्रफ को झटका, फांसी की सजा के खिलाफ दायर अर्जी लाहौर हाईकोर्ट ने लौटाई
नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की अपनी फांसी की सजा के खिलाफ दायर अर्जी को लाहौर हाईकोर्ट ने लौटा दिया है। पूर्व पाक आर्मी चीफ मुशर्रफ को देशद्रोह के मामले में स्पेशल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है। स्पेशल कोर्ट के फैसले को मुशर्रफ की ओर से लाहौर हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अर्जी लगाई थी। इस अर्जी को हाईकोर्ट ने ये कहते हुए लौटा दिया कि सर्दियों की अदालत में सर्दियों की छुट्टियां चल रही हैं। ऐसे में अभी सुनवाई के लिए बेंच उपलब्धता नहीं है। लाहौर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार कार्यालय ने अर्जी को लौटाया है।
मुशर्रफ के वकील की ओर से दायर इस अर्जी में अदालत से मुशर्रफ को सुनाई गई मौत की सजा को रद्द कराने के लिए अदालत की पूर्ण पीठ के गठन की मांग की थी। अदालत के रजिस्ट्रार ने पूर्ण पीठ उपलब्ध नहीं होने की बात कह याचिका लौटा दी। मुशर्रफ के वकील ने बताया है कि रजिस्ट्रार ऑफिस ने जनवरी के पहले हफ्ते में फिर से अर्जी दाखिल करने को कहा है।
देशद्रोह के मामले में 17 दिसंबर को परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई गई थी। उन्हें तीन नवंबर 2007 को देश में आपातकाल लगाने के मामले में सजा सुनाई गई है। दिसंबर 2013 से इस मामले की सुनवाई चल रही थी। उसी समय उन पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था। 31 मार्च 2014 को मुशर्रफ मामले में दोषी ठहराए गए थे। इसी वर्ष सितंबर में स्पेशल कोर्ट के सामने अभियोजन पक्ष की तरफ से सभी सुबूत पेश किए गए थे। अब इसमें सजा का ऐलान हुआ है।
मुशर्रफ इस समय दुबई में हैं। मार्च 2016 में मुशर्रफ देश छोड़कर चले गए थे। जिसके बाद वो वापस नहीं लौटे। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी पूर्व सेनाध्यक्ष को मौत की सजा सुनाई गई है। परवेज मुशर्रफ ने 1999 में पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ सरकार का तख्तापलट करके वहां की सत्ता पर कब्जा किया था। वे 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे थे।
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