क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कोरियाई युद्ध: पूरी ज़िंदगी अपने पिता का इंतज़ार करती रहीं ये बेटियां

कोरियाई युद्ध में लड़े हज़ारों अमरीकी सैनिक अपने घर कभी वापस नहीं लौटे. दशकों तक उन लापता सैनिकों की तलाश जारी रही.

उनके परिवारों अब तक जिन सवालों से जूझते रहे हैं, उन्हें अब उनके जवाब मिल सकते हैं.

हाल ही में अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच हुई मुलाकात में उत्तर कोरिया ने 200 अमरीकी सैनिकों के अवशेष लौटाने का वादा किया है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
अमरीकी सैनिक
Getty Images
अमरीकी सैनिक

कोरियाई युद्ध में लड़े हज़ारों अमरीकी सैनिक अपने घर कभी वापस नहीं लौटे. दशकों तक उन लापता सैनिकों की तलाश जारी रही.

उनके परिवारों अब तक जिन सवालों से जूझते रहे हैं, उन्हें अब उनके जवाब मिल सकते हैं.

हाल ही में अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच हुई मुलाकात में उत्तर कोरिया ने 200 अमरीकी सैनिकों के अवशेष लौटाने का वादा किया है.

लापता अमरीकी सैनिकों में से तीन की बेटियों ने बीबीसी की सिंडी सुइ से अपनी कहानी साझा की.

'वो घर आना चाहते थे'

गेल एम्बेरी तीन साल की थीं, जब उनके पिता और अमरीकी सैनिक कोलमन एडवर्ड्स कोरिया के युद्ध में हिस्सा लेने गए और कुछ महीने बाद ही लापता घोषित कर दिए गए.

कुछ वक्त बाद उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली और दोबारा कभी कोलमन के बारे में बात नहीं की.

गेल अपने सौतेले पिता को ही असली पिता मानकर बड़ी हुईं. वो अपने असली पिता के बारे में कुछ जानती ही नहीं थीं.

दस साल की उम्र में उन्हें सच्चाई मालूम हुई. तबसे वो अपने पिता की तलाश में जुटी हैं.

गेल एम्बेरी कहती हैं, "मैं उन्हें महसूस करती हूं. वो सिर्फ 18 साल के थे, जब वो देश की खातिर लड़ने के लिए निकल पड़े और अपनी जान गवां दी. मैं चाहती हूं कि वो जानें कि कोई है जो उन्हें प्यार करता है और उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा."

बाद में गेल ने वॉशिंगटन डीसी में हुई एक मीटिंग में भी हिस्सा लिया था. ये मीटिंग युद्ध में बंदी बनाए गए और लापता हुए सैनिकों के परिवार वालों के लिए आयोजित की गई थी.

गेल बताती हैं, "मुझे इतना पता है कि उनकी टुकड़ी को उत्तर कोरिया में पकड़ लिया गया था. इसके बाद उन्हें बंदी कैंप में ले जाया गया. कहते हैं कि उनकी मौत भूख से हुई थी. मरने के बाद उन्हें कैंप के बाहर एक पहाड़ी पर दफना दिया गया था."

गेल कहती हैं कि उनके पिता के अवशेष हासिल करने की लंबी जद्दोजहद बेहद मुश्किल और निराशाजनक रही है.

1950-53 के दौरान हुए युद्ध में दक्षिण कोरिया और संयुक्त राष्ट्र गठबंधन सेना के साथ अमरीका के तीन लाख 26 हज़ार से ज़्यादा सैनिकों ने जंग लड़ी थी.

ये जंग साम्यवादी उत्तर कोरिया के ख़िलाफ़ थी.

युद्ध के वक्त गठबंधन सेना के 33 हज़ार सैनिक लापता हो गए थे. इनमें कई अमरीकी सैनिक भी थे. इतने सालों में उत्तर कोरिया ने अब तक सिर्फ कुछ सौ अमरीकी सैनिकों के अवशेष ही लौटाए होंगे.

गेल एम्बेरी जैसे कई और परिजनों को डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग-उन की मुलाकात से उम्मीद जगी है कि कुछ और अवशेष स्वदेश लाए जा सकते हैं.

गेल एम्बेरी कहती हैं, "मैं 73 साल की हूं. मुझे नहीं लगता कि अब मैं और इंतज़ार कर सकती हूं. मेरे पिता घर वापस लौटना चाहते थे, इसलिए उनके अवशेषों का यहां वापस आना बेहद ज़रूरी है."

'पिता के ज़िंदा होने की उम्मीद नहीं'

डायना सैनफिलिप्पो के पिता लेफ्टिनेंट फ्रैंक सलाज़र एक फाइटर पायलट थे. वो भी 29 साल की उम्र में युद्ध में हिस्सा लेने के लिए कोरिया गए थे.

डायना बताती हैं, "मैं उस वक़्त सिर्फ चार साल की थी. मुझे उनके साथ बिताए कुछ पल याद हैं. हम साथ खेला करते थे, डांस किया करते थे. मुझे नहीं पता था कि वो कहां जा रहे थे, मैं सिर्फ इतना जानती थी कि वो जगह खतरनाक है. मैंने उन्हें वहां जाने से रोका भी था."

"जाते वक्त वो मुझसे गले लगे थे और कहा था कि वो मुझसे बहुत प्यार करते हैं."

जब उन्हें लापता घोषित किया गया तो डायना की मां ने दूसरी शादी कर ली और मुड़कर नहीं देखा.

डायना बताती हैं, "जब मैं अपने पिता के बारे में मां से सवाल करती थी तो वो गुस्सा हो जाया करती थीं."

जब डायना को अपने सवालों के जवाब मां से नहीं मिले तो उन्होंने बाहर जाकर इनके जवाब तलाशने की कोशिश की.

उन्होंने पिता के साथी पायलटों से बात की. उन्होंने डायना को बताया कि उनके पिता के विमान को युद्ध में मार गिराया गया था.

पिता की याद में डायना अवसाद में चली गईं. इस सबसे उबरने में उन्हें बीस साल लग गए.

उनके पिता को विमान उड़ाना बहुत पसंद था इसलिए डायना ने भी विमान उड़ाना सीखा. उन्होंने वो विमान भी उड़ाया जो उनके पिता ने अपने आखिरी मिशन पर उड़ाया था.

डायना ने अपनी कहानी पर एक किताब भी लिखी है.

वो कहती हैं कि अगर उनके पिता ज़िंदा हुए तो उनकी उम्र 95 साल होगी. लेकिन उन्हें उनके ज़िंदा होने की उम्मीद कम ही है.

अमरीकी सैनिक
Getty Images
अमरीकी सैनिक

हमेशा 'काले बादलों' का साया

जानिस खरन के पास बस अपने पिता लेफ्टिनेंट चार्ल्स गैरिसन की एक ही तस्वीर है. ये तस्वीर तब ली गई थी जब वो कोरियाई युद्ध के लिए घर से जा रहे थे.

चार्ल्स गैरिसन फाइटर पायलट थे और जमीन पर मौजूद उत्तर कोरिया के सैनिकों से अपने सैनिकों को बचाते हुए उनके प्लेन को गिरा दिया गया.

लेकिन, तब वो पैराशूट के जरिए अपने प्लेन से उतर गए और उन्हें बचाने के लिए आने वाले हेलिकॉप्टर का इंतज़ार करने लगे. लेकिन, हेलिकॉप्टर को पहले किसी अन्य अभियान पर जाना था और बाद में जब वो लौटा तो चार्ल्स गैरिसन वहां पर नहीं थे.

यह माना जाता है कि उनके पिता को उत्तर कोरियाई सेना ने बंदी बना लिया होगा. उनकी उम्र सिर्फ 31 साल थी और उस समय जानिस महज तीन साल की थीं.

जानिस खरन कहती हैं, ''ज़िंदगी जीना बहुत मुश्किल होता है जब आपको ये न पता हो कि आपके प्रियजन के साथ क्या हुआ.''

ऐसे में खुशी देने वाले पल ही आपको सबसे ज़्यादा दुख देते हैं. उनकी शादी, उनकी बेटी और बहन की बेटी का जन्म ऐसा वक़्त था जब उन्होंने अपने पिता को बहुत याद किया.

जानिस बताती हैं, ''आपको एक ख़ास व्यक्ति के न होने का अहसास होता है. ये लगता है जैसे हमेशा आपके ऊपर काले बादल छाए हैं.''

जानिस के दादा-दादी की मौत इसी आस में हो गई कि उनका बेटा अब भी ज़िंदा है. उनकी मां की मौत साल 2004 में हुई थी.

वो कहती हैं, ''काश! मेरी मां के ज़िंदा रहते मेरे पिता के अवशेष मिलते. 1954 में सरकार के मेरे पिता को मृत घोषित करने के बाद वह फिर से शादी कर सकती थीं. वो बहुत सुंदर थीं. लेकिन, वो कहती थीं कि वो हमेशा मेरे पिता की ही होकर रहेंगी.''

''मैं चाहती हूं कि मेरे पिता के अवशेष मेरे दादा-दादी और मां के पास ही दफनाए जाएं.''

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Korean War All the daughters waiting for their father
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X