जानिए, क्यों इतनी तेज़ी से खिसक रहा है पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव?
नई दिल्ली। धरती की उत्तरी दिशा अपनी जगह से लगातार खिसक रही है, क्योंकि पृथ्वी की चुंबकीय उत्तरी ध्रुव पिछले कुछ दशकों में तेजी से खिसक रहा है। शायद यही कारण है कि कम्पास कभी सही उत्तर की ओर इंगित नहीं करती है। वर्ष 1990 के दशक के प्रारंभ तक चुंबकीय उत्तरी ध्रुव को कनाडा में ठीक उत्तर में लगभग 1,000 मील दक्षिण में स्थित माना जाता था। फिर भी वैज्ञानिकों ने महसूस किया कि चुंबकीय उत्तर ध्रुव का स्थान तय नहीं था।
The north magnetic pole is moving fast and in an unexpected way, baffling scientists who are involved in tracking its motions. 🌎
Dr Phil Livermore from @SEELeeds discusses the movement in @nature.https://t.co/QULuA31xt8 pic.twitter.com/oJwL9BLecV
— University of Leeds (@UniversityLeeds) January 11, 2019
गौरतलब है पृथ्वी के दो अलग-अलग स्थानों यानी भौगोलिक उत्तरी ध्रुव और चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के रूप में वर्ष 1831 में पहली बार पहचान की गई थी। वैज्ञानिकों के मुताबिक चुंबकीय उत्तरी ध्रुव एक वर्ष में लगभग 9 मील (15 किमी) की दर से अपनी जगह से खिसक रहा था। हालांकि 1990 के दशक के बाद से पृथ्वी के चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के खिसकने की गति में तेजी आ गई।
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वैज्ञानिकों के मुताबिक वर्तमान में चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के खिसकने की गति साइबेरिया की ओर लगभग 30 से 40 मील प्रति वर्ष (50-60 किमी प्रति वर्ष) है और अब उपग्रह मापक का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों का कहना है कि यूरोप में वैज्ञानिकों ने एक सिद्धांत की पुष्टि करने में मदद की है कि आखिर पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव इतनी तेज़ी से क्यों खिसकर रही है।
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इस संबंध में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने गत 14 मई, 2020 को यह दिलचस्प लेख जारी किया था। लेख नेचर जियोसाइंस पत्रिका में एक नए अध्ययन का वर्णन करता है, जो 1990 के दशक से उत्तरी चुंबकीय ध्रुव के खिसकने पर पृथ्वी की सतह से नीचे गहरे चुंबकीय विस्फोट के सिद्धांत का वर्णन करता है।
ईएसए समझाया कि हमारी आधुनिक दुनिया में केवल कम्पास ही नहीं है जो पृथ्वी के चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के खिसकने से प्रभावित हैं। यही कारण है कि चुंबकीय उत्तर का विषय हमारी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण है और ईएसए के लिविंग प्लेनेट सिम्पोजियम ने पिछले साल ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों से SWARM उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए उत्तर चुंबकीय ध्रुव पर उनके निष्कर्षों के बारे में बात की थी।
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SWAEM उपग्रह अपने साथ परिष्कृत मैग्नेटोमीटर ले जाते हैं, जिसका लक्ष्य पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का एक सर्वेक्षण प्रदान करना है। लिवरमोर ने समझाया कि वैज्ञानिकों का कहना है कि बड़ा सवाल यह है कि क्या उत्तरी चुंबकीय ध्रुव कभी कनाडा लौटेगा या दक्षिण फिर की ओर बढ़ेगा।
फिलहाल, पृथ्वी के उत्तरी चुंबकीय ध्रुव के खिसकने का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की सतह से नीचे गहरे चुंबकीय प्रवाह के परिसंचरण पैटर्न में बदलाव को इंगित किया है। उन्होंने पाया कि कनाडा के नीचे प्रवाह में बदलाव के कारण पृथ्वी के कोर के किनारे पर चुंबकीय क्षेत्र का एक पैच पैदा हो गया है, जो पृथ्वी के भीतर गहरा है, जिसे फैलाया जा सकता है। इससे कनाडाई पैच कमजोर हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप पोल साइबेरिया की ओर बढ़ रहा है।
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