जानिए कैसे Five eyes ने बचाई न्यूजीलैंड क्रिकेटर्स की जान? हो रही है भारत को शामिल करने की मांग
Five eyes गठबंधन का निर्माण 1942 में किया गया था और धीरे-धीरे इसका विस्तार किया गया। पहले इसका मकसद सोवियत संघ को लेकर काम करना था, लेकिन अब इसका मकसद बदल चुका है।
इस्लामाबाद/वॉशिंगटन, सितंबर 19: पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच कुछ ही देर में मैच शुरू होने वाला था। स्टेडियम में दर्शकों का आना शुरू हो चुका था और मैदान पर स्टंप लगाए जा चुके थे। कुछ ही देर में मैच का लाइव प्रसारण भी शुरू होने वाला था। 18 सालों के बाद ये पहला मौका था, जब न्यूजीलैंड की टीम क्रिकेट मैच खेलने पाकिस्तान की जमीन पर पहुंची थी। लिहाजा, पाकिस्तान के क्रिकेट प्रेमियों में जोश उफान पर था। लेकिन, तभी न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड की तरफ से एक ट्वीट किया जाता है और पूरा पाकिस्तान सदमे में चला जाता है। ट्वीट था, कि न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम मैच नहीं खेलेगी।
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न्यूजीलैंड ने अचानक किया इनकार
न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड के ट्वीट के बाद कुछ देर तक किसी को समझ नहीं आया कि आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम ने मैच खेलने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी और अलग अलग कयास लगाए जा रहे थे। कुछ लोग आशंका जता रहे थे कि क्या कोई खिलाड़ी तो कोविड-19 की चपेट में नहीं आ गया? लोग अलग अलग कयास लगा रहे थे, लेकिन न्यूजीलैंड की पूरी क्रिकेट टीम और टीम के सपोर्टिंग स्टाफ होटल में अपने अपने कमरों में कैद हो गये थे। कुछ देर बाद एक और ट्वीट किया जाता है, जिसमें कहा जाता है कि न्यूजीलैंड की टीम ने सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच रद्द कर दिया है। ये काफी चौंकाने वाला ट्वीट था, लेकिन चूंकी टीम पाकिस्तान में थी, लिहाजा ये खिलाड़ियों की सुरक्षा का मसला काफी ज्यादा अहम हो चुकी थी।
न्यूजीलैंड ने फौरन रद्द कर दिया सीरिज
न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम का पाकिस्तान के साथ मैच खेलने से इनकार करते हुए सीरिज को रद्द कर दिया और भड़के पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने ट्वीट्स की बरसात कर दी। पाकिस्तान के मौजूदा खिलाड़ियों से लेकर पूर्व खिलाड़ियों तक ने न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम को कोसना शुरू कर दिया। लेकिन, न्यूजीलैंड अपना फैसला ले चुका था और उसने फौरन पाकिस्तान से खिलाड़ियों को बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी। पाकिस्तान के नेता साजिश की बात करने लगे। कुछ नेताओं और पत्रकारों ने भारत के खिलाफ वही पुराना राग अलापना शुरू कर दिया तो पाकिस्तान के गृहमंत्री ने बिना नाम लिए इंग्लैंड का जिक्र किया। दूसरी तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को फौरन इत्तेला दी गई कि न्यूजीलैंड की टीम ने मैच रद्द कर दिया है। ताजिकिस्तान दौरे पर गये इमरान खान ने फौरन न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डन को फोन किया और न्यूजीलैंड की खिलाड़ियों के लिए पूरी सुरक्षा होने का दावा किया, लेकिन न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री ने इमरान खान पर यकीन नहीं किया और उन्होंने अपने खिलाड़ियों को फौरन पाकिस्तान से निकलने की बात कह दी।
आखिर क्यों लौटी न्यूजीलैंड की टीम?
इसमें कोई शक की बात नहीं कि खेल चाहे किसी भी देश में हो, सुरक्ष एजेसियां लगातार सुरक्षा अलर्ट जारी करती रहती हैं और खिलाड़ियों को काफी सख्त सुरक्षा दी जाती है। इसमें भी कोई शक नहीं, कि पाकिस्तान में भी न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों को काफी सुरक्षा दी गई थी, लेकिन इस बार जो खुफिया अलर्ट मिला था, वो पाकिस्तान की सुरक्षा एजेसियों की तरफ से नहीं था, बल्कि ये अलर्ट था 'फाइव आई' की तरफ से। जिसके अलर्ट को किसी भी कीमत पर न्यूजीलैंड की सरकार दरकिनार नहीं कर सकती थी। भले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खुद स्टेडियम में क्यों नहीं पहुंच जाते। 'फाइव आई' की तरफ से पुख्ता इनपुट मिली थी कि मैच के बाद न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों पर बड़ा हमला होना था, लिहाजा 'फाइव आई' ने न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों को होटलों में कैद होने के लिए कह दिया। किसी भी खिलाड़ी को अपने कमरे से निकलने की इजाजत नहीं दी गई थी। आईये जानते हैं, कि आखिर ये 'फाइव आईज' क्या है और इसका सुरक्षा इनपुट इतना पुख्ता कैसे होता है?
क्या है 'फाइव आईज' गठबंधन?
'फाइव आईज' एक खुफिया गठबंधन है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड शामिल हैं। फाइव आईज की उत्पत्ति द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका और ब्रिटेन के कोड-ब्रेकर के बीच अनौपचारिक बैठकों के जरिए हुई थी और फिर 1941 में आधिकारिक तौर पर इसकी नींव रखी गई थी। अगर देखा जाए, तो आज की दुनिया में 'फाइव आईज' से बड़ा शक्तिशाली खुफिया गठबंधन और नहीं है। 1941 में स्थापना के बाद 1948 में कनाडा और 1956 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को शामिल कर इस गठबंधन काविस्तार किया गया था, जिससे 'फाइव आईज' गठबंधन का निर्माण हुआ। शुरूआती समय में इस गठबंधन का मुख्य उद्येश्य सोवियत संघ पर कड़ी नजर रखना था और सभी देशों के बीच खुफिया इनपुट को शेयर करना था। बीच में ये गठबंधन धीरे-धीरे बेअसर होने लगा था, लेकिन अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के बाद नये सिरे से इस गठबंधन में ऊर्जा का संचार किया गया और एक बार फिर से ये गठबंधन पूरी दुनिया में एक्टिव है।
भारत को शामिल करने की मांग
शीत युद्ध की समाप्ति और सोवियत संघ के पतन के बाद, आतंक के खिलाफ युद्ध और बाद में चीन और रूस के कथित खतरे को देखते हुए धीरे-धीरे 'फाइव आईज' के विस्तार की जरूरत महसूस होने लगी। धीरे-धीरे इस संगठन के रणनीतिक उद्येश्य भी बदल गये और हाल के वर्षों में एंग्लोस्फीयर से परे 'फाइव आईज' के विस्तार की संभावना के बारे में बार-बार बात की गई है। उदाहरण के लिए, डॉयचे वेले की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में अमेरिकी सांसदों ने तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा से जर्मनी को गठबंधन में शामिल करने का अनुरोध किया था। 2019 में प्रतिनिधि एडम शिफ के नेतृत्व में एक अमेरिकी कांग्रेस समिति ने भारत, जापान और दक्षिण कोरिया के एकीकरण के लिए 'फाइव आईज' के साथ खुफिया जानकारी साझा करने पर जोर दिया ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति बनाए रखी जा सके।
'फाइव आईज' से बौखलाता है चीन
'फाइव आईज' में भारत को शामिल करने की काफी तेजी से मांग की जा रही है, जिससे चीन काफी ज्यादा चिढ़ा हुआ है। चीन को घेरने के लिए पहले से ही कई गठबंधन बने हुए हैं और पिछले हफ्ते ही ऑस्ट्रेलिया-अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर 'ऑकस' का निर्माण किया है। लिहाजा चीन 'फाइव आईज' को चीन के खिलाफ साजिश के तौर पर देखता है। इस गठबंधन में ज्यादातर जानकारियां अमेरिकी की तरफ से ही आती हैं और अमेरिका के बाद ब्रिटिश सुरक्षा एजेंसी इसमें ज्यादा योगदान देता है। वहीं, खुफिया रिपोर्ट्स को लेकर कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया का योगदान कम ही रहता है। 2020 में 'फाइव आईज' गठबंधन ने विस्तार के संकेत दिए थे और माना जा रहा है कि जल्द भी भारत भी विश्व के सबसे शक्तिशाली गठबंधन का हिस्सा बन सकता है।