किम जोंग उन ने बर्फीली पहाड़ियों में की घुड़सवारी, अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ लड़ने का लिया संकल्प
सियोल: उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने बुधवार को अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया। कोरिया की सरकारी मीडिया ने बुधवार को किम जोन की ऊंची पहाड़ियों पर घुड़सवारी करते हुए तस्वीरें जारी की। गौरतलब है कि उत्तर-कोरिया और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ती इस महीने की शुरुआत में विफल रही थी। देश की आधिकारिक मीडिया ने किम जोंग उन को घोड़े की पीठ पर सवार बर्फ से ढ़के माउंट पाइकेतो पर्वत की और जाते दिखाया।
किम जोंग उन का अनोखा अंदाज
माउंट पाइकेतो पर्वत और जानवर किम परिवार के शासन के जुड़े प्रतीक हैं। कोरियाई प्रायद्वीप की सबसे ऊंची चोटी को यहां के लोग पवित्र मानते हैं। किम महत्वपूर्ण फैसले लेने से पहले यहां आते हैं। किम इससे पहले अपने चाचा के खिलाफ फैसला लेने से पहले साल 2013 में यहां आए थे। साल 2018 में सियोल और वाशिंगटन के साथ कूटनीतिक संबंध शुरू करने से पहले भी किम यहां आए थे।
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किम जोंग ने अमेरिका की निंदा
कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने बताया कि किम जोंग उन ने निकटवर्ती निर्माणाधीन स्थलों का दौरा भी किया और परमाणु हथियार कार्यक्रम की वजह से उनके देश पर लगे प्रतिबंधों की आलोचना भी की। उनके हवाले से एजेंसी ने बताया कि अमेरिकी नेतृत्व वाले (उत्तर कोरिया के प्रति) शत्रुतापूर्ण बलों ने कोरियाई लोगों पर जो दुख बरपाया है, वह उनके गुस्से में बदल गया है। गौरतलब है कि उत्तर कोरिया-अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता इस महीने की शुरुआत में बेनतीजा रही थी।
बड़ा फैसला लेने से पहले यहां आते हैं
गौरतलब है कि किम के परिवार ने सात दशकों तक उत्तर कोरिया पर शासन किया है। सफेद गोड़ा उनके परिवार के लिए प्रचार का प्रतीक है। सरकारी मीडिया कभी-कभी उन्हें, उनकी बहन और उनके पति को सफेद घोड़ो पर सवारी करते हुए दिखाते रही है। कहा जाता है कि जापान से लड़ने के लिए किंग इल सुंग ने सफेद घोड़े की सवारी की थी। साल 2006 से उत्तर कोरिया पर 11 राउंड के प्रतिबंध लगाए गए थे। साल 2016 के बाद इन प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया गया। जब किम ने हाई प्रोफाइल परमाणु परीक्षण किया।
ट्रंप ने प्रतिबंध हटाने से किया इनकार
गौरतलब है कि फरवरी में वियतनाम में अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ दूसरी वार्ता के दौरान किम ने यूएस ने नए और कड़े प्रतिबंधों को हटाने की मांग की थी। ट्रंप ने इसे ठुकरा दिया था। इसके बाद जून में दोनो नेताओं ने मुलाकात की और वार्ता को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई। इस महीने के शुरुआत में उनके वार्ताकार स्टोकहोम से मिले थे। लेकिन वार्ता टूट गई। उत्तर कोरिया ने इसके लिए अमेरिका को दोषी ठहराया और लंबी दूरी की मिसाइल परीक्षणों की धमकी दी।
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