
किम जोंग उन ने 2020 में एक कोविड संदिग्ध को क्यों मारी थी गोली ? उत्तर कोरिया में अब हुई है पहले केस की पुष्टि
सियोल, 12 मई: उत्तर कोरिया के शासक किम उन जोंग दुनिया भर में अपने शासन करने के तरीके को लेकर कुख्यात रहे हैं। वैसे तो उत्तर कोरिया में क्या कुछ हो रहा है, उसके बारे में जानना-समझना कम्युनिस्ट पार्टी के शासन वाले मुल्क चीन से भी मुश्किल है। लेकिन, जितनी भी खबरें वहां से बाहर निकलकर आती हैं, वह भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों के लोगों के लिए हजम कर पाना मुश्किल है। शायद यही वजह है कि चीन के वुहान से कोरोना वायरस की तबाही शुरू होने के बाद अब जाकर उत्तर कोरिया ने माना है कि उसके यहां ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित एक मरीज मिला है। वैसे ये बात सही है कि उत्तर कोरिया ने कोरोना के खिलाफ शुरू से चीन से भी सख्त रवैया अपना रखा है; और इसकी मिसाल 2020 की शुरुआत की एक घटना है, जो आज भी रूह कंपा देती है।

उत्तर कोरिया में पहले कोविड केस की पुष्टि
उत्तर कोरिया ने अब जाकर कोविड संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि की है और इसको देखते हुए सनकी तानाशाह किम जोंग उन के देश में 'सख्त नेशनल इमरजेंसी' लगा दी गई है। गुरुवार को वहां की सरकारी मीडिया ने कहा है कि यह फैसला किम ने वायरस के 'सफाए' के लिए किया है। 2020 से चीन से निकलकर दुनिया भर में कोरोना महामारी फैलने के बावजूद उत्तर कोरिया ने अभी तक स्वीकार नहीं किया था कि उसके यहां एक भी संक्रमण मिला है। अलबत्ता शुरू से उसने कोविड कंट्रोल करने के लिए सख्त पाबंदियां लागू कर रखी हैं। इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि 3 जनवरी, 2020 से इस साल 11 मई तक उत्तर कोरिया में कोविड-19 के एक भी केस की पुष्टि नहीं हुई है और किसी की भी मौत नहीं हुई है।

उत्तर कोरिया में 'मैक्सिमम इमरजेंसी' लागू
उत्तर कोरिया के सेंट्रल न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी प्योंगयांग में बुखार से पीड़ित एक मरीज के सैंपल में अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट वाला वायरस पाया गया है। इसके बाद किम ने खुद पोलित ब्यूरो की मीटिंग ली और वायरस को कंट्रोल करने के लिए 'मैक्सिमम इमरजेंसी' लागू करने का आदेश दिया है। केसीएनए के मुताबिक बैठक में किम ने कहा, 'लक्ष्य कम से कम वक्त के भीतर वायरस को जड़ से खत्म करना है।' उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता ने सीमा पर कड़े नियंत्रण और लॉकडाउन जैसे कदम उठाने को कहा है और अपने नागरिकों से भी कहा है कि इस वायरस को पूरी तरह से रोकने के लिए अपने शहरों और पूरे देश में पाबंदियां लगाएं।

क्वारंटीन को लेकर सख्त नियम बनाए थे
उत्तर कोरिया और वहां के शासक किम जोंग कोरोना वायरस को लेकर कितने सख्त रहे हैं, इसके लिए कोविड महामारी के शुरुआती दिनों का कुछ वाक्या जानना जरूरी है। तब दक्षिण कोरिया की मीडिया के हवाले से एक खबर आई थी, जो किम के रवैए को देखते हुए सनसनीखेज नहीं थी। देश के एक सरकारी अधिकारी को कोविड के संदेह में क्वारंटीन किया गया था। कोविड का संक्रमण रोकने के लिए रिपोर्ट आने तक उसके कहीं भी आने-जाने पर रोक थी। लेकिन, उसने किम के फरमान को नजरअंदाज किया और पब्लिक बाथ में चला गया। डोंग-एइलबो और डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेड डिपार्टमेंट से जुड़ा वह अधिकारी चीन से लौटा था, इसलिए क्वारंटीन में उसके लक्षणों की निगरानी की जा रही थी।

क्वारंटीन तोड़ने पर सर्वोच्च सजा का फरमान था-रिपोर्ट
क्वारंटीन में रहते हुए पब्लिक टॉयलेट या पब्लिक बाथ में उसके जाने से पहले किम जोंग उन ने एक फरमान जारी किया था। इसके तहत जो कोई भी बिना इजाजत के क्वारंटीन तोड़ेगा, उसके खिलाफ 'मिलिट्री लॉ का नियम' लागू होगा। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन का यह पड़ोसी मुल्क किसी भी कीमत पर अपने देश में वायरस के संक्रमण को रोकना चाहता है। इस वजह से वहां उस दौर में जो कोई भी चीन से लौटा था या चीन के नागरिकों के संपर्क में भी आ गया था, उसे जबरन क्वारंटीन में ठूंसा जा रहा था।
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क्वारंटीन तोड़ने पर किम के आदेश से हुई गोली मारकर हत्या-रिपोर्ट
आखिरकार उत्तर कोरिया के नेता किम के फरमान के तहत क्वारंटीन तोड़ने वाले उस अधिकारी को गोली मारकर सजा-ए-मौत दे दी गई। उस समय ही एक और रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि चीन से लौटने वाले एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी छिपाने की कोशिश की थी। जैसे ही किम के लोगों को इसकी भनक लगी, उसे उठाकर एक खेत में छोड़ दिया गया, जहां से कहीं निकलने पर उसका भी हाल पहले वाले की तरह होने की आशंका थी। उत्तर कोरिया में उस समय 14 दिन के बदले क्वारंटीन के लिए 30 दिन का नियम अपनाया गया था। आज की तारीख में इसमें कोई बदलाव हुआ है या नहीं इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है।