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करतारपुर कॉरिडोर: पाकिस्तानी फावड़े पर काला टीका लगना चाहिए- वुसअत का ब्लॉग

कल 'टीवी एंकराइटिस' के पीड़ित बुद्धिजीवी पोस्टमॉर्टम कर रहे थे कि अगर पाकिस्तान बिना किसी बात के अचानक करतारपुर कॉरिडोर खोलने पर राज़ी हो गया तो मानो कुछ तो गड़बड़ है.

आज यही लोग दूरबीन लेकर वजह तलाश कर रहे हैं कि भारतीय सरकार ने पाकिस्तानी प्रस्ताव अचानक से कैसे स्वीकार कर लिया.

By BBC News हिन्दी
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इमरान ख़ान
AFP
इमरान ख़ान

हालात बेहतरीन हैं.

वो ऐसे कि भारत की नज़र के हिसाब के कश्मीर वादी में हाल ही में हालात बिगड़ने के पीछे पहले की तरह पाकिस्तान का हाथ है.

वहीं पाकिस्तान को यक़ीन है कि कराची स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास पर बलोच लिबरेशन आर्मी के हमले की माइस्टमाइंड रॉ है.

मगर दोनों देश करतारपुर कॉरिडोर भी खोल रहे हैं. पहले ऐसा कहां होता था?

अगर पाकिस्तानी पंजाब की असेंबली के स्पीकर चौधरी परवेज इलाही भारतीय पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के न्योते पर किसी वजह से सीमा पार करके करतारपुर गलियारे की पत्थर तुड़ाई की रस्म में शरीक़ न हो सकें या सुषमा स्वराज व्यस्त होने के कारण करतारपुर गलियारे की तामीर के समारोह में इमरान ख़ान के साथ फ़ोटो सेशन के लिए अपने बदले दो मंत्री भेज रही हैं तो इसमें किसी को भी दिल छोटा नहीं करना चाहिए.

हमारे यहां अक्सर होता है कि फूफी या ताया अक्सर भतीजे की शादी से एक दिन पहले अचानक किसी व्यस्तता के कारण नहीं आते और अपने दो बच्चों के हाथों तोहफ़ा भिजवा देते हैं.

बहुत बाद में एक दिन पता चलता है कि अंदरखाने बात कुछ और ही थी.

करतारपुर साहिब
AFP
करतारपुर साहिब

जल्दी लगती है नज़र

दूध के जले हमारे देशों में मेल-मिलाप बढ़ाने की योजना को बुरी नज़र भी बहुत जल्दी लगती है. इसीलिए उस पाकिस्तानी फावड़े पर काला टीका ज़रूर लगाना चाहिए जिससे करतारपुर गलियारे के लिए ज़मीन की खुदाई उद्घाटन होगा.

किसे याद है कि असल में करतारपुर गलियारे की शुरुआत तीन महीने पहले नवजोत सिंह सिद्धू और पाकिस्तानी सेनापति जनरल क़मर जावेद बाजवा की जादू की जप्फी (झप्पी) से हुई थी.

तब मीडिया करतारपुर को भूल गया और दो जाटों की जप्फी को जप्फा मार लिया.

कल 'टीवी एंकराइटिस' के पीड़ित बुद्धिजीवी पोस्टमॉर्टम कर रहे थे कि अगर पाकिस्तान बिना किसी बात के अचानक करतारपुर कॉरिडोर खोलने पर राज़ी हो गया तो मानो कुछ तो गड़बड़ है.

आज यही लोग दूरबीन लेकर वजह तलाश कर रहे हैं कि भारतीय सरकार ने पाकिस्तानी प्रस्ताव अचानक से कैसे स्वीकार कर लिया.

क्योंकि मुझ जैसा मीडिया का जला छांछ भी फूंक-फूंककर पीता है, तो ये भी मालूम होना चाहिए कि पाकिस्तान कल के पत्थर तोड़ समारोह के लिए जिन 28 भारतीय पत्रकारों को आमंत्रित कर रहा है, उनमें अरनब गोस्वामी शामिल हैं कि नहीं. नेशन वॉन्ट्स टु नो.

BBC Hindi
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English summary
Kartarpur Corridor A black vaccine should be made on Pakistani shovel Vusats blog
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