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नोबेल के मंच से सत्यार्थी ने पढ़ा वैदिक मंत्र तो मलाला की चाह हर बच्चे को मिले शिक्षा का अधिकार

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ओस्लो। भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला युसूफजई को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ओस्लो में दोनों को इस सम्मान से सम्मानित किया गया। नोबेल पुरस्कार लेने के बाद दोनों ने अपने-अपने विचार रखे। उनकी संबोधन को सुनकर हॉल तालियों से गूंज उठा।

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जहां भारत के कैलाश सत्यार्थी ने अपने उद्बोधन से नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में आयोजित भव्य समारोह में मौजूद हस्तियों से अभिभूत कर दिया तो मलाला ने लोगों का मन जीत लिया। सत्यार्थी ने अपने भाषण की शुरुआत हिंदी में की और बाद में अंग्रेजी में संबोधन दिया। उन्होंने अपने भाषण में वेद का एक मंत्र पढ़कर विश्व कल्याण की कामना की।

वहीं मलाला ने अपने संबोधन में शिक्षा पर जोर दिया। मलाला ने कहा कि मैं ज़िद की हद तक प्रतिबद्धता रखने वाली इंसान हूं, जो चाहती है कि हर बच्चे को शिक्षा हासिल हो। मलाला ने कहा कि मैं एक आवाज़ नहीं, कई आवाज़ें हूं। मलाला ने कहा कि मैं उन छह करोड़ 60 लाख लड़कियों का रूप हूं, जिन्हें शिक्षा नहीं मिल रही है।

मलाला ने लड़कियों को शिक्षा की वकालत करते हुए कि न आतंकवादियों के इरादे जीत सकते हैं, न उनकी गोलियां। मलाला ने कहा कि सारी दुनिया के महिलाओं के लिए समान अधिकार चाहती हूं और यह भी चाहती हूं कि दुनिया के हर कोने में शांति हो।

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English summary
India's Kailash Satyarthi and Pakistan's Malala Yousafzai addressed the gathering at the Nobel Peace Prize function in Oslo, Norway.
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