कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने पहली बार माना, खालिस्तान है एक आतंकी संगठन
ओट्टावा। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने माना है कि खालिस्तान और खालिस्तानी चरमपंथ उनके देश के लिए बड़ा खतरा है। ट्रूडो ने अपने कार्यकाल में पहली बार सार्वजनिक तौर पर खालिस्तान से जुड़े खतरे को स्वीकारा है। कनाडा में एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें साल 2018 में देश में मौजूद आतंकी खतरों का जिक्र किया गया है। इस रिपोर्ट को पब्लिक सेफ्टी मिनिस्टर राल्फ गुडाले ने तैयार किया है। इसी रिपोर्ट में खालिस्तान का जिक्र है और गुडाले ने देश में चरमपंथी हिंसा से निबटने की राष्ट्रीय रणनीति को लॉन्च कर दिया है। इस रिपोर्ट में आईएसआईएस और अल कायदा संगठनों के साथ ही खालिस्तान को भी रखा गया है। इन संगठनों को देश के लिए बड़ी चुनौती माना गया है।
कनाडा में मिल रही मदद
रिपोर्ट में लिखा है, 'शिया और सिख (खालिस्तानी) चरमपंथी देश के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं जबकि कनाडा में उनकी गतिविधियों को बड़े पैमाने पर सीमित रखा गया है कुछ कनाडाई इन संगठनों को अपना समर्थन जारी रखे हुए हैं जिसमें उन्हें दी जाने वाली वित्तीय मदद भी शामिल है।' कनाडा में खालिस्तान ने साल 2013 में पहली बार सामने आया था लेकिन पहली बार इसका जिक्र इस तरह की रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में खालिस्तान को एक अलग सेक्शन में रखा गया है और इसके साथ ही सुन्नी इस्लामिक आतंकवादी, राइट विंग, शिया चरमपंथी और कनाडा आने वाले बाकी ऐसे संदिग्ध शामिल हैं जो विदेशों से चरमपंथी गतिविधियों के लिए कनाडा आते हैं।
बब्बर खालसा जैसे संगठनों का जिक्र
रिपोर्ट में लिखा है, 'कनाडा में कुछ व्यक्ति सिख (खालिस्तानी) चरमपंथी विचारधारा और उनके आंदोलनों का समर्थन करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक साल 1982-1993 के बाद से कनाडा में खालिस्तान को मिलने वाले समर्थन में गिरावट आई है।' रिपोर्ट में साल 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 कनिष्क पर हुए आतंकी हमले का भी जिक्र है। इस आतंकी हमले में 331 लोगों की मौत हो गई थी और इसे कनाडा के इतिहास में हुए सबसे खतरनाक आतंकी हमले में से एक माना गया था। गुडाले की इस रिपोर्ट में खालिस्तानी संगठनों जैसे बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का जिक्र है और इन्हें देश के क्रिमिनल कोड के तहत आतंकी संगठनों की लिस्ट में रखा गया है।
हमेशा चुप्पी साधे रहे ट्रूडो
कनाडा के पीएम ट्रूडो इस वर्ष फरवरी में पहली भारत यात्रा पर आए थे। उनकी इस यात्रा के दौरान उन पर खालिस्तान और इससे जुड़ी गतिविधियों को समर्थन देने का आरोप लगा। दरअसल मुंबई में हुए डिनर के दौरान खालिस्तानी आतंकी रहे जसपाल अटवाल को भी कनाडा के दूतावास की ओर से निमंत्रण भेजा गया था। इसकी वजह से ट्रूडो को न सिर्फ भारत बल्कि अपने ही देश में आलोचनाओं को झेलने के लिए मजबूर होना पड़ा था। अटवाल को साल 1986 में भारतीय राजनेता की हत्या करने की वजह से 20 वर्ष की सजा हुई थी। ट्रूडो अक्सर ही खालिस्तान मुद्दे पर चुप्पी साधे रहे हैं। यह पहला मौका है जब उनकी सरकार ने इस तथ्य को सार्वजनिक तौर पर स्वीकारा है कि खालिस्तान एक आतंकी संगठन है।