
पुतिन के इस कदम से दुनिया में मच जाएगा तहलका, बढ जाएंगे तेल के दाम
मॉस्को/नई दिल्ली, 4 जुलाई : दुनिया में कच्चे तेल के दाम बढ़ने के आसार दिख रहे हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम तो बढ़े ही हैं लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के एक कदम से ये दाम फिर से बढ़ (Oil could hit dollar 380 if Russia slashes output over price cap) जाएंगे। वैश्विक एनालिस्ट फर्म जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी के एनालिस्ट ने दुनिया को चेतावनी दी है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम 380 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं।


रूस को लेकर रिपोर्ट क्या कहती है, जानें
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, जेपी मॉर्गन के एनालिस्ट का कहना है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों के जुर्माने की वजह से रूस कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर सकता है। इससे वैश्विक स्तर पर तेल की कीमत 380 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। G-7 देशों ने हाल ही में रूस से कच्चे तेल के आयात को लेकर एक नई नीति पर बात की थी, जिसे लेकर फैसला किया गया था कि वे रूस के तेल के आयात को सशर्त मंजूरी देंगे।

दुनिया में मच जाएगा तहलका
रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, बाकी दुनिया के लिए रूस के इस फैसले के नतीजे तहलका मचाने वाला हो सकता है। कच्चे तेल के उत्पादन में प्रतिदिन की दर से 30 लाख बैरल की कमी से लंदन बेंचमार्क पर तेल की कीमत 190 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। कच्चे तेल का उत्पादन प्रतिदिन पचास लाख बैरल घटने से इसकी कीमत 380 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं।

रूस को कमजोर बनाने की नीति क्या कारगर साबित होगी
रूस को कमजोर बनाने की नीति क्या कारगर साबित होगी
जेपी मॉर्गन के एनालिस्ट का कहना है कि G-7 देशों का यह फैसला यूक्रेन युद्ध को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आर्थिक स्थिति पर चोट करने का था लेकिन रूस की माली हालत फिलहाल मजबूत स्थिति है।

भारत में क्या हो रहा है, जानें
वहीं, सरकार ने हाल ही में डीजल, पेट्रोल और एयर टर्बाइन ईंधन के निर्यात पर SEZ सहित सभी रिफाइनरियों पर अप्रत्याशित कर लगाया है। इसके अलावा घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर भी उपकर लगाया गया है। विश्लेषकों ने कहा कि विकास रिफाइनरों के लिए यह एक झटका है क्योंकि उन्होंने वित्त वर्ष 2013 के अनुमानों में भारी कटौती की है। विश्लेषकों ने कहा कि इस कर का इस्तेमाल ऑटो ईंधन पर ओएमसी के नुकसान की भरपाई के लिए किया जा सकता है।

क्या है स्थिति
सरकार ने डीजल पर निर्यात शुल्क 13 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 6 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया है। इसके साथ ही एटीएफ पर निर्यात शुल्क भी एक रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया गया है। सरकार ने कहा है कि भारतीय निर्यातकों को कुल शिपिंग बिल पर घरेलू बाजार में 50 फीसदी पेट्रोल बेचना होगा, जबकि कुल शिपिंग बिल पर उन्हें घरेलू बाजार में 30 फीसदी डीजल बेचना होगा। इसके अलावा, घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन का उपकर लगाया गया था।

मॉर्गन स्टेनली ने कहा...
मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि ओएनजीसी (ONGC) और ओआईएल (OIL)के लिए कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन पर 40 डॉलर प्रति बैरल का उच्च उपकर किसी आश्चर्य से कम नहीं था। ब्रोकरेज ने कहा कि यह एफ23 के लिए ओएनजीसी और ऑयल इंडिया की कमाई को 36 फीसदी और 24 फीसदी प्रभावित करता है। ब्रोकरेज ने नोट किया कि आरआईएल जैसी निर्यात-उन्मुख इकाइयों को कर को आकर्षित करने के लिए स्थानीय स्तर पर 30 प्रतिशत डीजल बेचना होगा। आरआईएल, वर्तमान में अपने पेट्रोकेमिकल, बी2बी और खुदरा ईंधन स्टेशनों के माध्यम से अपने उत्पादों का लगभग 40-50 प्रतिशत स्थानीय स्तर पर बेचती है।

रूस को लेकर रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और यूरोपीय देशों के रूस पर दबिश बढ़ाने से पूरी संभावना है कि रूस चुप नहीं बैठेगा और तेल का निर्यात घटाकर बदला ले सकता है। अगर रूस तेल का निर्यात घटाने के लिए उत्पादन ही कम कर देता है तो इससे तहलका मचने की पूरी संभावना है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने सहयोगी देशों के तहत हुए समझौते के तहत जून में तेल उत्पादन में इजाफा नहीं किया।