चीन के खिलाफ लिखने वाले नेपाली पत्रकार की संदिग्ध मौत, रुई गांव पर अवैध कब्जे का किया था खुलासा
नई दिल्ली- नेपाल के रुई गांव पर चीन के अतिक्रमण का जिस पत्रकार ने खुलासा किया था, उनका शव संदिग्ध हालातों मे बरामद किया गया है। नेपाल के तमाम पत्रकार संगठन उनकी संदिग्ध मौत की जांच की मांग करने लगे हैं। सबसे गंभीर विषय है कि उनकी उस रिपोर्ट के फौरन बाद से ही उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित किए जाने की शिकायतें मिल रही हैं। गौरतलब है कि उनकी उस रिपोर्ट के बाद नेपाल में राजनीतिक भूचाल आ गया था और विपक्षी नेपाली कांग्रेस ने वहां के केपी शर्मा ओली सरकार की चीन के साथ कथित साठगांठ को लेकर आवाज उठाने शुरू कर दिए थे। लेकिन, अब जिस तरह से उस निर्भीक पत्रकार की संदिग्ध हालातों में शव बरामद किया गया है, उससे आशंका जाहिर हो रही है कि कहीं वह नेपाल में चीन की बढ़ चुकी दखल के शिकार तो नहीं हो गए हैं?
चीन के खिलाफ लिखने वाले नेपाली पत्रकार की संदिग्ध मौत
जिस नेपाली पत्रकार ने नेपाल के रुई गांव पर चीन के अवैध कब्जे को लेकर नेपाली अखबार में लेख लिखा था, उनकी संदिग्ध हालातों में मौत हो गई है। ये जानकारी नेपाली पुलिस के हवाले से सामने आई है। 50 साल के नेपाली पत्रकार बलराम बनिया का शव मांडु स्थित हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट इलाके से बागमती नदी में तैरती हुई स्थिति में बरामद की गई है। नेपाली अखबार हिमालयन टाइम्स ने मकवानपुर जिला पुलिस कार्यालय के प्रवक्ता के हवाले से यह खबर दी है। उनके शव को भीमपेदी पुलिस कार्यालय की एक पुलिस टीम ने नदी से निकालकर उसे आगे की कार्रवाई के लिए हेताउदा अस्पताल भेजा। बनिया को आखिरीबार बागमती नदी के किनारे टहलते हुए देखे जाने का दावा किया जा रहा था। उनके मोबाइल फोन का भी आखिरी लोकेशन भी वही स्थान बताया जा रहा है, लेकिन बाद में उनका फोन स्विच ऑफ हो गया था।
नेपाली गांव पर चीन के अवैध कब्जे का खुलासा किया था
काठमांडू पोस्ट में छपी खबर के मुताबिक उनके परिवार वालों ने पुलिस में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके बाद से उनकी तलाश जारी थी। जिला पुलिस कार्यालय के मुताबिक 'उनकी तलाश के लिए मिले आवेदन के आधार पर, जिसमें उनकी तस्वीर भी लगाई गई थी, यह सत्यापित किया जाता है कि जो शव बरामद किया गया था, वह पत्रकार बनिया का था।' काठमांडू पोस्ट के अनुसार बलराम बनिया नेपाली अखबार 'कांतिपुर डेली' के साथ उसके शुरुआती दिनों से जुड़े हुए थे। वह राजनीति और संसद कवर करते थे और बाद में सरकार और नौकरशाही को लेकर एक्सटेंसिव रिपोर्टिंग करने लगे थे। जानकारी के मुताबिक उन्होंने ही करीब दो महीने पहले नेपाल के गोरखा जिले के रुई गांव को चीन के द्वारा अवैध तरीके से कब्जा किए जाने का खुलासा किया था,जिसके बाद नेपाल की राजनीति में भूचाल आ गया था।
चीन से नेपाली सरकार की साठगांठ में हाथ से निकले गांव!
बता दें कि गोरखा इलाके का रुई गांव आज की तारीख में तिब्बत के अधीन हो चुका है, जो चीन के अवैध कब्जे में है। वैसे नक्शे में यह गांव अभी भी नेपाल के पास है। जबकि, चीन ने गांव के निशान वाले सारे पिलर उखाड़ फेंके हैं, जिससे कि वह अपने गैर-कानूनी कब्जे की बात को दबा सके। हालांकि, तथ्य ये है कि गोरखा जिले के राजस्व दफ्तर में वह गांव आज भी नेपाल का है और रुई के लोगों ने सरकार को जो लगान दिए हैं, उसका भी पूरा रेकॉर्ड मौजूद है। इतिहासकार रमेश धुंगेल बता चुके हैं कि रुई और तेइघा गांव गोरखा जिले के उत्तरी हिस्से में आते हैं। उन्होंने कहा था, 'रुई गांव नेपाल का हिस्सा है। न तो नेपाल ने इसे युद्ध में गंवाया है और न ही वह तिब्बत से संबंधित किसी विशेष समझौते या करार का ही हिस्सा है। नेपाल ने रुई और तेइघा दोनों गांवों को पिलर लगाते वक्त लापरवाही से गंवा दिए हैं।' इतिहासकार इसे पूरी तरह से नेपाल सरकार की लापरवाही मान चुके हैं। उनके मुताबिक, 'भारत की सीमा बहुत ही आसान है। लोग वहां आसानी से टहल सकते हैं। इसलिए भारत के साथ सीमा का मुद्दा सबको दिख जाता है, लेकिन तिब्बत से सटी नेपाल की उत्तरी सीमा की हालत बहुत ही खराब है।'
निर्भीक पत्रकारिता ने ली पत्रकार की जान ?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बनिया की रिपोर्ट छपने के बाद ही उन्हें अखबार से निलंबित कर दिया गया था, जिसके बाद उनका शव संदिग्ध हालात में बरामद किया गया है। खबरें ये भी हैं कि बीते सोमवार को नेपाल की एक पुलिस टीम ने बालखु में उनसे पूछताछ भी की थी और उसके बाद से ही वो गायब हो गए थे, जबकि पुलिस को पता था कि वह अपने घर लौट रहे हैं। बनिया की मौत के बाद उनके परिवार में उनकी पत्नी एक बेटी और एक बेटा रह गया है। जानकारी के मुताबिक अब फेडरेशन ऑफ नेपाली जर्नलिस्ट, फ्रीडम फोरम और नेपाल प्रेस यूनियन ने उनकी संदिग्ध मौत की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है। नेपाल प्रेस यूनियन के महासचिव अजय बाबू शुवाकोटी ने आशंका जाहिर की है कि उनकी संदिग्ध मौत के पीछे उनकी निर्भीक पत्रकारिता हो सकती है।
भारत से बेवजह टकरा रहा है नेपाल
नेपाली पत्रकार की संदिग्ध मौत ऐसे समय में हुई है, जब भारत और नेपाल के संबंधों में कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के मुद्दे को लेकर तनाव के हालात पैदा हुए हैं। गौरतलब है कि नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने भारत के इन इलाकों को नेपाल का बताने के लिए अपने राजनीतिक नक्शे में विवादास्पद बदलाव किया है और राष्ट्रवाद के नाम पर भावनाएं भड़काकर नेपाली संसद से पास भी करवा लिया है। नेपाल की ओली सरकार की ओर से इस तरह की हरकतें ऐसे वक्त में शुरू की गई, जबसे पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेना एक-दूसरे के आमने सामने हैं।