कोरोना वैक्सीन न्यूज: जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन को अमेरिका में मंजूरी, एक खुराक और कोरोना वायरस से निजात
जॉनसन एंड जॉनसन कोरोना वैक्सीन को अमेरिका में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। अमेरिका में मंजूरी दी जाने वाली जॉनसन एंड जॉनसन कोरोना वैक्सीन तीसरी वैक्सीन है।
वाशिंगटन: जॉनसन एंड जॉनसन कोरोना वायरस वैक्सीन को अमेरिका में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। अमेरिका में मंजूरी दी जाने वाली जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन तीसरी वैक्सीन है जो कोरोना वायरस के खिलाफ 66% प्रभावी है। इससे पहले फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन को अमेरिका में इस्तेमाल को FDA (फुड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) की तरफ से मंजूरी दी गई थी।
Recommended Video
जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की खासियत
अमेरिका की फुड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग ने जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी है और FDA के वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना के मध्यम और गंभीर बीमार वाले मरीजों पर जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन 66 प्रतिशत तक प्रभावी है वहीं बेहद गंभीर कोरोना संक्रमण की स्थिति में ये वैक्सीन 85 प्रतिशत तक असर दिखाती है। FDA वैज्ञानिकों के मुताबिक जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि लोगों को इसका एक ही खुराक देने की जरूरत होगी। वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने अमेरिकी कांग्रेस को कहा है कि कंपनी मार्च के अंत तक अमेरिका में एक करोड़ वैक्सीन उत्पादन करेगी वहीं जून तक कंपनी 10 करोड़ खुराक अमेरिकी सरकार को दे देगी और साल के अंत तक कंपनी ने एक अरब वैक्सीन डोज के उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
44 हजार लोगों पर मेडिकल ट्रायल
जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने अमेरिका, लैटिन अमेरिका के साथ दक्षिण अफ्रीका के 44000 हजार से ज्यादा वयस्क लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया है। ट्रायल के बाद कंपनी ने दावा किया है कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और इस्तेमाल के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस वैक्सीन की बस एक ही खुराक का इस्तेमाल होना है लिहाजा ये दूसरी वैक्सीन्स की तुलना में कम खर्चीला भी है। वहीं, एफडीए की तरफ से अपने बयान में कहा गया कि 'मेडिकल विश्लेषण के दौरान जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन सुरक्षा के सभी मानकों पर खरा उतरा है और किसी भी खतरे की रिपोर्ट नहीं मिली है और ये वैक्सीन आपातकाली इस्तेमाल के लिए हर मानकों पर सही उतरा है'।
जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन को जेनसेन फार्मास्यूटिकल कंपनीज ने विकसित किया है और मेडिकल ट्रायल के दौरान ये वैक्सीन हर चरण में सभी मानकों पर सुरक्षित पाया गया है। अमेरिकी चैनल CNN के मुताबिक जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन FDA की मेडिकल टेस्ट में सभी जियोग्रोफिकल इलाकों में एक खुराक देने के बाद कोरोना संक्रमण होने के दर में 66% की कमी आ गई।
कोरोना के नये स्ट्रेन पर कारगर?
जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन को लेकर सबसे बड़ा सवाल ये था कि क्या ये वैक्सीन कोरोना वायरस के अलग अलग स्ट्रेन के खिलाफ भी प्रभावी है। जिसपर कंपनी की तरफ से कहा गया है कि दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के खिलाफ जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन करीब 57 फीसदी से ज्यादा प्रभावी है। हालांकि ये आंकड़ा अमेरिका के लिहाज से कम था लेकिन फिर भी FDA की तरफ से इसलिए इसे मंजूरी दी गई क्योंकि अमेरिका में 50% का मिनिमन प्रभावी आंकड़ा सरकार की तरफ से रखा गया है। इस वैक्सीन की सबसे खास बात ये है कि जहां फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन की दो खुराक दिए जाने की जरूरत होती है वहीं जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन का बस एक खुराक ही दिए जाने की जरूरत होती है। लिहाजा जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन के प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन पर कम भार आएगा और वैक्सीन लगवाने वालों को भी परेशान नहीं होना पड़ेगा। वहीं जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की दूसरी सबसे बड़ी खास बात ये है कि इसे 3 महीनों तक नॉर्मल फ्रीज टेम्परेचर पर रखा जा सकता है लिहाजा इस वैक्सीन को कम संसाधन वाले इलाकों में भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने भारत सरकार से भी इस वैक्सीन को लेकर संपर्क किया है और अगर भारत सरकार की तरफ से इस वैक्सीन को इस्तेमाल की इजाजत दी जाती है तो माना जा रहा है कि बेहद कम समय में भारत सरकार पूरे देश को वैक्सीनेट करने के अपने लक्ष्य को पूरा कर सकती है क्योंकि ये वैक्सीन भारतीय स्थितियों के हिसाब से काफी मुफीद है।
भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी: महामारी में जब फलस्तीन और गाजा को सबने छोड़ा, भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ