Special Report: मोदी सरकार की व्यापार नीति से नाराज जो बाइडेन, भारत-अमेरिका के व्यापारिक झगड़े का अंत कैसे?
भारत अमेरिका व्यापार संबंध को लेकर जो बाइडेन भी खुश नहीं हैं। USTR की रिपोर्ट आने के बाद दोनों देशों के बीच का व्यापारिक संबंधों में सुधार आने की संभावना कम है।
वाशिंगटन/नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय व्यापार को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए लगातार नई नई नीतियां बना रहे हैं जिनमें कुछ नीतियों की आलोचना भी होती है। मगर नरेन्द्र मोदी सरकार मानती है कि वो हर वो नीति बनाएगी जिसमें भारत का फायदा हो। लेकिन, इस बार मोदी सरकार की बहुउद्देश्यीय व्यापार नीति मेक इन इंडिया को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी चिंता जताई है। USTR रिपोर्ट को लेकर अमेरिकी चिंता के बीच सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या भारत अपनी नीतियों में परिवर्तन करेगा या राष्ट्रपति जो बाइडेन भी डोनाल्ड ट्रंप की राह पर ही आगे चलते रहेंगे?
मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर चिंता
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मोदी सरकार की व्यापार नीति मेड इन इंडिया की आलोचना करते हुए उसे अमेरिका के खिलाफ बताया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कैंपेन और व्यापार नीतियों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि मोदी सरकार की इन नीतियों से अमेरिका का नुकसान हो सकता है। उन्होंने मेक इन इंडिया कैंपेनी को लेकर कहा कि भारत का मेक इन इंडजिया कैंपेन पर जोर देना भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार में बड़ी चुनौतियों को दर्शाता है। वहीं, 2021 के लिए व्यापार नीति पर आई रिपोर्ट में यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव यानि USTR ने कहा है गया है कि भारत की व्यापार नीतियों की वजह से अमेरिका के निर्यातकों को भारत में नुकसान उठाना पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में अमेरिका की तरफ से भारतीय बाजार से जुड़े कई मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की गई और कई मुद्दों को सुलझाया भी गया है लेकिन अमेरिकी इम्पोर्टर पर इसका असर पड़ा है।
अमेरिका की यूएसटीआर रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के लिहाज से भारतीय बाजार बेहद महत्वपूर्ण हैं और भारत अपने बड़े बाजार, आर्थिक विकास और आने वाले सालों में विकास के नये मौकों की वजह से बिना किसी शक के अमेरिकी उद्योगों के लिए बेहद जरूरी है मगर भारत की व्यापार को सीमित करने वाली नीतियों की वजह से दोनों देशों के व्यापारिक संबंध में मौजूद संभावना कमजोर पड़ती जा रही है। भारत का मेक इन इंडिया कार्यक्रम आयात को कम करने को उत्साहित करता है जो अमेरिकी उद्योगों के लिए सही नहीं है। भारतीय व्यापार नीति की अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कई बार आलोचना की थी। यहां तक की डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को मिलने वाली विशेष छूट को भी खत्म कर दिया था जो अभी तक जारी है और भारत चाहता है कि जो बाइडेन प्रशासन भारत को फिर से छूट प्रदान करे मगर जो बाइडेन का भारतीय व्यापार नीति को लेकर दिया गया बयान भारत के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
डोनाल्ड ट्रंप की राह जो बाइडेन
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल के दौरान अमेरिका-भारत व्यापारिक संबंधों में कई बार खटास आई थी। डोनाल्ड ट्रंप भारत की व्यापार नीति की जमकर आलोचना करते हुए 5 जून 2019 को भारत को मिलने वाली 'जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंसेस' यानि GSP के तहत मिलने वाली विशेष तरजीह और छूट को खत्म कर दिया था। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले के बाद भी भारत सरकार की तरफ से अपनी व्यापार नीति में कोई तब्दीली नहीं की गई। वहीं, अमेरिका ने भारत को मिलने वाली छूट को खत्म करने के बाद भारतीय बाजार में पहुंच के साथ व्यापार नियमों को लेकर बात की और 2020 में भी भारत और अमेरिका के बीच व्यापार नीति को लेकर बात चलती रही। दरअसल, अमेरिका चाहता है कि भारत सरकार की तरफ से उसे भारतीय बाजारों में छूट मिले। अमेरिका चाहता है कि भारत कई टैरिफ दरों में कटौती करे जिससे भारतीय बाजारों में अमेरिकी कंपनियों को फायदा और पहुंच दोनों हासिल हो।
अमेरिका लगातार भारत की व्यापार नीति को लेकर भारत के सामने अपनी शिकायतों को रखता रहा है। पिछले साल भी द्विपक्षीय व्यापार के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कई बार बातचीत की गई। जिसमें अमेरिका ने अपनी चिंताओं को भारत के सामने रखा था। अमेरिका ने इंटेलेक्च्वल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन एंज एग्जीक्यूशन, इलेक्ट्रिक कॉमर्स और डिजिटल बिजनेस को प्रभावित करने वाली व्यापार नीतियां और नॉन एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स को मार्केट में पहुंच देने जैसे मुद्दे शामिल रहे हैं।
यूएसटीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन अमेरिकी उत्पादों के आयात के मामले में नंबर वन है और ब्रिटेन ने 2019 में अमेरिका से 62 अरब डॉलर की सेवाएं हासिल की हैं, जबकि भारत ने 29.7 अरब डॉलर और कनाडा ने अमेरिका से 38.6 अरब डॉलर की सेवाएं हासिल की हैं। अमेरिके से सेवाएं हासिल करने में भारत छठे स्थान पर रहा है। यूएसटीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई 2020 में अमेरिका के ऐतराज जताने के बाद भारत ने लैक्टोज और व्हे प्रोटीन ला रहे जहाजों को रिलीज किया था। भारत ने अप्रैल 2020 में उत्पादों के साथ डेयरी सर्टिफिकेट मेंडेटरी कर दिया था जिसके बाद कई अमेरिकी शिपनेंट को रोक दिया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नियम के आने से पहले अमेरिका के लैक्टोज और व्हे प्रोटीन का निर्यात भारत में तेजी से बढ़ रहा था। यहां तक कि 2019 में लैक्टोज और प्रोटीन का भारत में एक्सपोर्ट बढ़कर 5.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था लेकिन 2020 में भारत सरकार ने सर्टिफिकेट मेंडेटरी कर इस व्यापार को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया और अब ये व्यापार सिर्फ 3.2 करोड़ डॉलर तक सिमट कर रह गया है।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंध
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंध ने लगातार नई ऊंचाईयों को छुआ है। खासकर पिछले 20 सालों में अमेरिका व्यापार के मामले में भारत का सबसे महत्वपूर्ण भागीदार बन चुका है। चीन के बाद अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और 2018 में भारत-अमेरिका के बीच 142.6 बिलियन डॉलर का व्यापार किया गया। लेकिन दोनों देश व्यापार में अपने अपने लाभ को वरीयता देते हैं इसीलिए कई प्वाइंट्स पर दोनों देशों के बीच विरोध हैं। भारत-अमेरिका व्यापार भागीदारी पर 2018 से बातचीत चल रही है लेकिन टैरिफ, सब्सिडी, इंटलेक्च्वल प्रॉपर्टी, डेटा संरक्षण, और कृषि एवं डेयरी उत्पादों तक पहुंच जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के बीच तकरार है। हार्ले डेविसनव बाइक का उदाहरण देते हुए अमेरिका ने भारत को लेकर कहा था कि भारत एक टैक्स किंग है जो अत्यधिक मात्रा में वस्तुओं के आयात पर टैक्स लगाता है। लिहाजा दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर लगातार विवाद बना रहता है। इसके साथ GSP भी देनों देशों के बीच विवाद का प्रमुख मुद्दा है।
अमेरिका चाहता है कि भारत के डेयरी उद्योग में अमेरिकन कंपनियों को प्रवेश करने की इजाजत दी जाए। इसके साथ ही चिकित्सा उपकरणों में भी अमेरिकन कंपनियों को छुट मिले। लेकिन, भारत अपनी घरेलू डेयरी और कृषि उद्योग की रक्षा करना चाहता है और एक यही वजह है कि भारत RCEP समझौते से भी बाहर निकल गया। इसके साथ ही भारत सरकार अने बाजार और देश के लोगों की हितों की रक्षा करने के लिए अमेरिकी वस्तुओं के बड़े स्तर पर इम्पोर्ट का विरोध करता रहा है। लिहाजा यही माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच आने वाले दिनों में व्यापार संबंधों में सुधार की गुंजाइश बेहद कम है और फिलहाल अमेरिका के नये राष्ट्रपति जो बाइडेन भी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रास्ते पर ही व्यापार नीति को लेक चलते नजर आएंगे।
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