पिता बेचते थे कार, बेटा बना दुनिया का सबसे 'ताकतवार' शख्स, जानिए जो बाइडन की जीवनी
अमेरिका के एक कार शोरूम में सेल्समैन का काम करने वाले पिता के घर में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का जन्म हुआ था मगर राष्ट्रपति बनने के लिए जो बाइडेन को कई कुर्बानियां देनी पड़ीं।
Biography of Joe Biden: वाशिंगटन: क्या कोई सपने में भी सोच सकता है कि जिस बच्चे का पिता एक कार के शोरूम में सेल्समैन हो, वो बच्चा बड़ा होकर दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुल्क अमेरिका के सर्वोच्च पद पर विराजमान होगा। आखिर कैसे जो बाइडेन ने अपने सपनों के उड़ान को परवाज़ दी। आखिर कैसे जो बाइडेन अमेरिका की राजनीति में कामयाबी की एक एक सीढ़ी चढ़ते हुए राष्ट्रपति के पद पर पहुंचे, जो बायडेन की ये कहानी ना सिर्फ उतार-चढ़ाव से भरी हुई है, बल्कि हम सबके लिए एक सीख है, सीख है हार नहीं मानने की, सीख है पूरी ताकत से लड़ने की।
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जो बाइडेन की जीवनी
अमेरिका का पेंसिलवेनिया शहर के आइरिश कैथोलिक परिवार में 20 नवंबर 1942 को जो बाइडेन का जन्म हुआ था। करीब 10 साल तक उनके पिता पेंसिलवेनिया में ही रहे मगर बाद में रोजगार की तलाश में न्यू कैसल आ गये। जहां उनके पिता ने एक कार शोरूम में सेल्समैन की नौकरी करनी शुरू कर दी। दो कमरों के एक घर में जो बाइडेन अपने माता पिता और चार भाई-बहनों के साथ रहते थे। यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर (University of Delaware) से जो बाइडेन ने 1961 से 1965 के दौरान पॉलिटिकल साइंस में बैचलर डिग्री हासिल की। विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान ही जो बाइडेन का राजनीतिक रूझान बन गया और वो अमेरिका की राजनीति में आने का मन बनाने लगे।
पहली राजनीतिक कामयाबी
बैचलर डिग्री हासिल करने के दौरान ही जो बाइडेन ने अमेरिका की राजनीति में जाने के मन बना लिया। राजनीति में जाने का मन भले ही जो बाइडेन ने बना लिया मगर उन्होंने पढ़ाई बंद नहीं की। ग्रेजुएशन के बाद जो बाइडेन Syracuse University College of Law में वकालत की पढ़ाई करने चले गये। और 1968 में उन्होंने Juris Doctor की डिग्री हासिल कर ली। Juris Doctor की डिग्री अमेरिकी कानून में सबसे ऊंची डिग्री मानी जाती है। वकालत की डिग्री हासिल करने के बाद जो बाइडेन ने वकालत की प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी। वकालत की प्रैक्टिस करने के साथ ही सिर्फ 29 साल की उम्र में जो बाइडेन पहली बार अमेरिका के सीनेटर बने। पहली बार सीनेटर बनने के बाद वो कभी हारे नहीं, बल्कि अमेरिकी इतिहास में सबसे लंबे वक्त तक सीनेटर रहने वाले सदस्य बन गये। 1973 से 2009 तक वो अमेरिकी सीनेट के सदस्य रहे। जो बाइडेन ने अपने पॉलिटिकल कैरियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
एक हादसे में खो दिया पूरा परिवार
जो बाइडेन को पहली राजनीतिक कामयाबी तो हासिल हो गई थी मगर इसी बीच जिंदगी ने उन्हें सबसे बड़ा झटका दे दिया। 1972 में जब जो बाइडेन सीनेट चुने गये, ठीक उसके एक हफ्ते बाद ही उनका पूरा परिवार एक हादसे में खत्म हो गया। एक कार हादसे में जो बाइडेन ने अपनी पत्नी और बेटे-बेटी को खो दिया। जब उन्होंने अपने पहले टर्म में सीनेटर पद की शपथ ली, उस वक्त वो अस्पताल के कमरे में अपने दो दुधमुंहे बच्चे के साथ थे।
राष्ट्रपति पद के लिए रेस
वैसे तो किसी भी देश में सर्वोच्च पद पर पहुंचना आसान नहीं होता है, लेकिन दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुल्क अमेरिका में राष्ट्रपति बनना नाको चने चबाने जैसा होता है। वो साल था 1987 था, जब जो बाइडेन ने पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए अपनी कैम्पेनिग शुरू की, मगर उनकी कैम्पेनिंग उस वक्त कमजोर पड़ गई जब आरोप लगा कि उन्होंने एक ब्रिटिश नेता की स्पीच चुराई है। राष्ट्रपति पद के लिए पहली कैम्पेनिंग खराब होने के बाद वो काफी बीमार पड़ गये। अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था और डॉक्टरों को उनकी जान बचाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। डॉक्टरों ने तो यहां तक कह दिया कि व्हाइट हाउस के लिए उनकी कैम्पेनिंग उनकी जान ले सकता था। 2008 में भी राष्ट्रपति पद की दावेदारी के लिए उन्होंने अपनी पार्टी के अंगर नॉमिनेशन फाइल करने की कोशिश की थी मगर सपोर्ट नहीं मिलने की वजह से उन्होंने दावेदारी वापस ले ली। लेकिन जब बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो जो बाइडेन की किस्मत चमक उठी। बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने और जो बाइडेन को अमेरिका का उपराष्ट्रपति बनाया गया।
कामयाबी की कीमत
जो बाइडेन लगातार राजनीतिक कामयाबी भले ही हासिल कर रहे थे मगर इस कामयाबी के लिए उन्हें बहुत कीमत चुकानी पड़ी। मई 2015 में उनके बड़े बेटे का कैंसर से निधन हो गया। बेटे की मौत ने जो बाइडेन को अंदर से तोड़कर रख दिया। वो राजनीतिक शून्यता की तरफ बढ़ने लगे। पूरे पांच सालों तक जो बाइडेन अमेरिका की राजनीति में खामोश रहे, मगर साल 2020 में उन्होंने पूरी ताकत के साथ वापसी की और राष्ट्रपति पद के लिए डोनल्ड ट्रंप को सीधी टक्कर देनी शुरू कर दी। डोनल्ड ट्रंप राष्ट्रवाद के घोड़े पर सवार होकर दौड़े जा रहे थे, जिसका लगाम जो बाइडेन ने थाम लिया। उन्होंने अमेरिकी जनता से कई वादे किए, डोनल्ड ट्रंप की नाकामयाबियों का कच्चा चिट्ठा खोला और अमेरिकी जनता ने उनकी बातों पर यकीन करते हुए उनके हाथों में राष्ट्रपति पद की कुर्सी सौंप दी।
20 जनवरी को जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। लेकिन, उनका जीवन संघर्षों और कामयाबी के लिए गंभीर कीमत चुकाने के लिए याद रखा जाएगा।