G7 में रूस को बुलाने से जो बाइडेन ने किया इनकार, डोनाल्ड ट्रंप के एक और फैसले को पलटा
अमेरिका ने कहा है कि वो इस साल जून में होने वाले G7 समिट में रूस को आमंत्रित नहीं करेगा। व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फैसला किया है कि G7 समिट में रूस को आमंत्रित नहीं किया जा
वाशिंगटन: अमेरिका ने कहा है कि वो इस साल जून में होने वाले G7 समिट में रूस को आमंत्रित नहीं करेगा। व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फैसला किया है कि G7 समिट में रूस को आमंत्रित नहीं किया जाएगा। जो बाइडेन ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले को पलटा है, जिसमें उन्होंने रूस को G7 में आमंत्रित करने का फैसला किया था।
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रूस-अमेरिका आमने-सामने
पारंपरिक विरोधी रूस और अमेरिका के बीच आने वाले दिनों में कैसे संबंध होने वाले हैं, कम से कम इसकी तस्वीर अब साफ होती दिखाई दे रही है। जो बाइडेन के कार्यकाल में रूस और अमेरिका आमने-सामने ही रहेंगे और संबंधों में कटुता ही रहेगी, इसका पता जो बाइडेन के हालिया कदम से लगाए जा सकते हैं। रूस में विरोधी नेता एलीक्सी नवेलनी को लेकर रूस और अमेरिका आमने सामने रहा तो अब अमेरिका ने फैसला किया है कि G7 समिट में रूस को शामिल नहीं किया जाएगा।
व्हाइट हाउस प्रवक्ता जेन पास्की ने G7 समिट को लेकर बयान जारी करते हुए कहा है कि 'अमेरिका रूस को G7 समिट में शामिल होने के लिए कोई नया निमंत्रण नहीं भेजने जा रहा है या फिर अमेरिका फिर से कोई निमंत्रण रूस को नहीं भेजेगा'। अमेरिके के पूर्व राष्ट्रपति ने पिछले साल G7 की मीटिंग के दौरान रूस को निमंत्रण भेजे जाने का समर्थन किया था। आपको बता दें कि 2014 में रूस मे अपने पड़ोसी देश यूक्रेन से क्रीमिया क्षेत्र छीन लिया था जिसके बाद G8 देशों से रूस को बाहर निकाल दिया गया था और उसके बाद ही G8 का नाम बदलकर G7 हो गया था।
G7 समिट कितना महत्वपूर्ण
आपको बता दें, कि G7 दुनिया के सात उन्नत अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का एक समूह है, जो दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था का 62 प्रतिशत शेयर करता है। G7 समूह में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान हैं। G7 समूह का गठन 1975 में किया गया था, जिसका मकसद अर्थव्यवस्था को लेकर एक दूसरे का सहयोग करना था। लंबे वक्त से G7 में भारत को भी शामिल करने की मांग की जा रही है।
G7 को लेकर बाइडेन की रणनीति क्या होगी?
जहां डोनल्ड ट्रंप ने भारत को G7 ग्रुप में शामिल करने की जमकर वकालत की थी, वहीं अब सवाल उठ रहे हैं, कि बाइडेन प्रशासन का रूख G7 ग्रुप को लेकर क्या होने वाला है? क्या जो बाइडेन भारत को G7 समूह की सदस्यता दिलाने की मांग करेंगे? इस सवाल का जवाब बाइडेन के हालिया उठाए गये कदम से पता चलता है, जब बाइडेन ने अमेरिका की एशियाई राजनीति के लिए कर्ट कैम्पबेल को हेड के तौर पर चुना। कर्ट कैम्पबेल को एशियाई प्रमुख बनाकर अमेरिका के होने वाले राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ये संदेश दे दिया है, कि चीन को लेकर उनकी भी रणनीति ट्रंप प्रशासन की तरह ही होने वाली है। ऐसा इसलिए, क्योकि अमेरिकी किसी भी हाल में एशिया में चीन के वर्चस्व को कम करना चाहता है, और इसके लिए अमेरिका को हर हाल में भारत का साथ चाहिए, और कर्ट कैम्पबेल वो राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने जापान और अमेरिका के साथ भारत को जोड़ते हुए एशिया में एक नया ट्रांएगल बनाया था।
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