इजरायली कंपनियों ने अवैध तरीके से चीन को बेची क्रूज मिसाइलें, दोस्त भारत के साथ बहुत बड़ा धोखा?
इजरायल सरकार के सरकारी वकील ने दावा किया है कि, इजरायल की तीन कंपनियों और 10 संदिग्धों ने चीन के लिए दर्जनों क्रूज मिसाइलों का निर्माण किया था और उन मिसाइलों की टेस्टिंग भी बकायद इजरायल में ही की गई थीं।
तेल अवीव, दिसंबर 22: विध्वंसक हथियारों का निर्माण करने वाली इजरायल की तीन कंपनियों और 10 लोगों पर चोरी छिपे क्रूज मिसाइल चीन को बेचने में शामिल पाया गया है। जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या दोस्ती की आड़ में भारत को धोखा देने की कोशिश की जा रही थी? रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायली कंपनियों को अवैध रूप से चीन को क्रूज मिसाइलों का निर्यात करने का दोषी पाया गया है।
चोरी से बेची चीन को मिसाइलें
वित्त विभाग से जुड़े इजरायली राज्य अटॉर्नी ऑफिस ने कहा कि, इजरायल की तीन कंपनियों सहित दस इजरायली संदिग्धों ने चीन को मिसाइल बेचने के लिए सुरक्षा उल्लंघन किया। अटॉर्नी जनरल के ऑफिस ने बताया कि, इस सौदे में कथित तौर पर एक ड्रोन कारोबारी एप्रैम मेनाशे ने दलाली की थी। आरोप में कहा गया है कि, संदिग्ध "बिना लाइसेंस के सैन्य उपयोग के लिए क्रूज मिसाइलों के निर्माण, व्यापार और निर्यात" में शामिल थे। संदिग्धों पर मनी लॉन्ड्रिंग और रक्षा निर्यात अधिनियम के उल्लंघन सहित सुरक्षा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। अटॉर्नी जनरल ने आरोप लगाया कि, संदिग्धों ने क्रूज मिसाइलों के परीक्षण किए, क्रूज मिसाइलों का उत्पादन किया और मिसाइलों को चीन तक पहुंचाने में भी कामयाब रहे हैं। इसके लिए आरोपियों ने चीन की सरकार से लाखों डॉलर प्राप्त किए हैं।
चीन के पास रखे हैं मिसाइल
हालांकि, रिपोर्टों का दावा है कि चीन ने अभी तक इजरायल से मंगाए गये मिसाइलों का इस्तेमाल नहीं किया है। आपको बता दें कि, इजरायल में कई सौ ऐसी कंपनियां हैं, जो हथियार बेचने का काम आधिकारिक तौर पर करती हैं और इनमें से कई ऐसी कंपनियां हैं, जो कई रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हैं। वहीं, इजरायली क्रूज मिसाइल खरीदने को लेकर अभी तक चीन की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। मेनाशे के लेन-देन की जांच करने के लिए इजरायली अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी मेनाशे सोलर स्काई का मालिक है और कथित तौर पर पूरे ऑपरेशन के पीछे मास्टरमाइंड है।
कंपनियों के बीच कैसे हुआ डील?
रिपोर्ट को मुताबिक, इजरायल की कंपनियों ने क्रूज मिसइल चीन तक अवैध तरीके से पहुंचाने के लिए चीन की कंपनियों से समझौता किया था और इजरायली कंपनियों ने चीन की कंपनियों के साथ मिलकर मिसाइल डील को अंजाम दिया है। सबसे खास बात ये है कि, जिन चीनी कंपनियों के साथ सौदा किया गया था, वो कंपनियां चीन की सेना को क्रूज मिसाइल मुहैया कराने के लिए टेंडर में शामिल थीं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस डील में मध्यस्थता जिऑन गजिट और उरी शचार ने की थी, जो इजरायल की एक सुरक्षा सलाहकार कंपनी के मालिक हैं। रिपोर्ट के मुताबिकस मेनाशे, जो इस डील के पीछे का मास्टरमाइंड है, उसी ने सभी को एक साथ जोड़ा था। मेनाशे ने इस डील में इन्नोकॉन कंपनी, जो खुफिया ड्रोन बनाती हैं, उसके दो मालिकों, जविका और जीव नवेच को भी अपने साथ जोड़ा था।
इजरायल में ही मिसाइलों की टेस्टिंग
इजरायल सरकार के सरकारी वकील ने दावा किया है कि, इजरायल की तीन कंपनियों और 10 संदिग्धों ने चीन के लिए दर्जनों क्रूज मिसाइलों का निर्माण किया था और उन मिसाइलों की टेस्टिंग भी बकायद इजरायल में ही की गई थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि, इन टेस्टिंग से इजरायल के लोगों की जिंदगी पर खतरा भी हो सकता था। टेस्टिंग कामयाब होने के बाद दर्जनों क्रूज मिसाइलों को गुप्त रास्ते के जरिए चीन तक पहुंचा दिया गया, जिसके बदले में चीन की तरफ से इन लोगों को करोड़ों डॉलर दिए गये थे। इजरायली पुलिस ने इस मामले को लेकर इसी साल फरवरी में 20 लोगों से पूछताछ की थी और जांच में पता चला था कि, इन लोगों को बकायदा चीन की तरफ से ऑर्डर दिए जाते थे और ऑर्डर के मुताबिक हथियारों का निर्माण किया जाता था।
इजरायल में हथियार निर्माण
आपको जानकर हैरानी होगी, कि इजराइल में लगभग 1,600 लाइसेंस प्राप्त हथियार निर्यातक हैं और इन कंपनियों में करीब डेढ़ लाख से 2 लाख लोग काम करते हैं। इसके अलावा, सब-कॉन्ट्रेक्टर्स की भी एक बड़ी आपूर्ति श्रृंखला है जो हथियारों के उत्पादन के लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, कच्चे माल और अन्य सामानों की आपूर्ति करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, हथियारों के उत्पादन पर नजर रखने वाली इजरायल की सरकारी संस्था डीईसीए को इस विशाल प्रणाली पर नजर रखनी चाहिए थी, जो कि इजराइल आर्म्स एक्सपोर्ट को नियंत्रित करने वाले सख्त नियमों द्वारा निर्देशित है।
दुश्मन देशों तक कैसे गये हथियार?
इजरायली मीडिया के मुताबिक, डीईसीए संस्था का काम हर हथियार टेंडर पर नजर रखना है, खासकर इस बात की बड़ी निगरानी करनी होती है, कि इजरायली हथियार किसी भी कीमत पर दुश्मन देश तक नहीं पहुंचे, साथ ही साथ, जो इजरायल के दोस्त देश हैं, उनके खिलाफ इजरायली हथियारों का इस्तेमाल नहीं हो पाएं। रिपोर्ट में कहा गया है कि, ये संस्था अपने काम में नाकामयाब रही है, क्योंकि इस अवैध डील से इजरायल की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर असर पड़ा है और इजरायल की सुरक्षा भी खतरे में डाली गई है, क्योंकि, चीन तक जिन क्रूज मिसाइलों को पहुंचाया गया है, उनमें हाई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था।
2007 में हुआ था डीईसीए का निर्माण
अमेरिका-चीन तनाव के बीच इजरायली लड़ाकू जेट सौदा अटकने के सालों बाद डीईसीए तंत्र का निर्माण 2007 में किया गया था। आपको बता दें कि, 1990 के दशक के अंत में और 2000 के दशक की शुरुआत में, अमेरिका ने इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज से फाल्कन एयरबोर्न अर्ली डिटेक्शन रडार सिस्टम और हार्पी ड्रोन के लिए चीन के साथ अलग-अलग सौदों को रद्द करने की मांग की थी। अमेरिका से कई धमकियां मिलने के बाद आखिरकार इजरायल ने अमेरिका की बातों को मान लिया था और चीन को सैन्य हार्डवेयर नहीं बेचने पर सहमत हो गया था और उसके बाद से ही इजरायल सैन्य सामानों का निर्यात चीन को नहीं कर रहा, जिसको लेकर चीन काफी गुस्सा में रहता है और इजरायल से उसके संबंध ठीक नहीं हैं।