क्या कोरोना संकट अमेरिका-चीन के बीच परमाणु युद्ध की जमीन तैयार कर रहा है?
क्या कोरोना वायरस परमाणु युद्ध की जमीन तैयार कर रहा है ? लाशों का ढेर लगाने वाली इस महामारी ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। कोरोना को ढाल बना कर अमेरिका, चीन को नेस्तनाबूद करना चाहता है। लेकिन इस राह में खतरे बहुत हैं। ताइवान, अमेरिका और चीन के बीच सबसे विस्फोटक मुद्दा है। अब डर है कि यह तनाव कहीं परमाणु युद्ध में न बदल जाए। अमेरिकी सरकार के पूर्वी एशिया सलाहकार बोनी ग्लेसर ने 'द टाइम्स’ से बातचीत में इस आशंका को जाहिर किया है। बोनी ग्लेसर वाशिंटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्ट्डीज के अधीन चाइना पावर प्रोजेक्ट के डायरेक्टर भी हैं। अमेरिकी रक्षा सूत्रों का कहना है कि अगर प्रशांत क्षेत्र में चीन से युद्ध होता है तो वह हार भी सकता है। तब अमेरिका ताइवान को चीनी आक्रमण से बचा नहीं पाएगा। उस समय पश्चिमी प्रशांत महासागर स्थित अमेरिका नौसानिक अड्डा (गुवाम) खतरे में पड़ जाएगा। अमेरिकी रक्षा मुख्यालय, पेंटागन की '2020 चाइना मिलिट्री पावर रिपोर्ट’ जल्द ही सामने आने वाली है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट में अमेरिकी के लिए ऐसी चिंताएं जाहिर की गयी हैं।
चीन ने आखिरकार माना सच- कोरोना वायरस के शुरुआती सैंपल्स को लैब में ही खत्म कर दिया
तेजी से बढ़ रही चीन की नौसैनिक क्षमता
पेंटागन की यह चिंता 2030 के आकलन के आधार पर है। अमेरिका के सिक्स्थ फ्लीट के पूर्व इंटेलिजेंस डायरेक्टर जेम्स फैनल ने मई 2018 में अमेरिकी कांग्रेस को एक रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन अपनी नौसैनिक क्षमता के विकास के लिए तेजी से काम कर रहा है। वह अमेरिकी से दोगुनी मजबूत नौसेना तैयार करने वाला है। फैनल की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2030 तक चीन के पास 450 युद्धपोत और 99 पनडुब्बियां हो जाएंगी जो अमेरिका से अधिक होगा। अमेरिका को अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत होगी। अब यह घरेलू राजनीति पर निर्भर है कि ट्रंप सरकार इसके लिए कैसे मंजूरी हासिल कर पाती है। हाल के दिनों में चीन ने दक्षिणी चीन सागर में मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिजाइलों की आपूर्ति तेजी से बढ़ाई है।
कोरोना के बाद ताइवान भी विस्फोटक मुद्दा
कोरोना के बाद ताइवान दूसरा अहम मुद्दा है जिस पर चीन और अमेरिका के बीच ठनी हुई है। अमोरिकी राजदूत केली क्राफ्ट ने 1 मई को ताइवान की संयुक्त राष्ट्र में भागीदारी को लेकर एक ट्वीट किया था। इस ट्वीट में कहा गया था कि 193 देशों का संगठन (संयुक्त राष्ट्र) हर किसी की सेवा के लिए है। संयुक्त राष्ट्र में ताइवान का आना वहां के लोगों के लिए गौरव की बात होगी। अमेरिका के इस ट्वीट के बाद चीन भड़क गया। वह ताइवान को स्वतंत्र देश नहीं बल्कि अपना हिस्सा मानता है। चीन ने अमेरिका की इस हरकत को अपने राष्ट्रीय मामले में हस्तक्षेप मान कर तीखा विरोध किया है। सारा विवाद आज से शुरू हो रहे वर्ल्ड हेल्थ असेम्बली की बैठक को लेकर है। वर्ल्ड हेल्थ असेम्बली, WHO की नीति निर्माता इकाई है। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये सभी सदस्य देश इस बैठक में भाग ले रहे हैं। इस बैठक में कोरोना से लड़ने की रणनीति पर विचार होगा। यह बैठक 19 मई तक चलेगी और 22 मई को एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक होगी। अमेरिका का मानना है कि चीन के कारण ताइवान को कोरोना पर अपनी बात रखने का मौका नहीं मिल पा रहा है। एकल चीन की मान्यता के कारण 2016 से ताइवान वर्ल्ड हेल्थ असेम्बली की बैठक में शामिल नहीं हो पा रहा है। इसलिए अमेरिका ने जापान, आस्ट्रेलिया और अन्य देशों के साथ मिल कर ताइवान को इस बैठक में पर्यपेक्षक देश के रूप में बुलाये जाने की हिमायत की थी। इससे अब चीन और अमेरिका में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। अगले एक साल तक भारत वर्ल्ड हेल्थ असेम्बली की अध्यक्षता करेगा। इस मामले में ताइवान ने भारत से सहयोग मांगा है। यानी अमेरिका और चीन के झगड़े में भारत की भी निर्णायक भूमिका होने वाली है।
अमेरिका, ताइवान और चीन
अमेरिका, ताइवान का हिमायती है। उसका ताइवान से सैन्य समझौता भी है। शुक्रवार 15 अप्रैल को डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि अमेरिका एक ऐसा सुपर डुपर मिसाइल बना रहा है जो मौजूदा मिसाइलों से 17 गुना अधिक तीव्र होगी। उन्होंने कहा कि हम अविश्वसनीय सैन्य हथियार बना रहे हैं और यह हमारे लिए बहुत खास लम्हा है। ट्रंप ने आगे कहा, आपने सुना होगा कि रूस पांच गुना अधिक तेज और चीन छह गुना अधिक तेज मिसाइल बनाने की कोशिश में हैं, लेकिन हम तो 17 गुना अधिक तेज मिसाइल बना रहे हैं। चीन को चिढ़ाने के लिए ट्रंप ने यह भी कहा कि ताइवान जल्द ही अमेरिका के एरिजोना में कम्प्यूटर चिप बनाने का एक कारखाना शुरू करने वाला है। उसी दिन ट्रंप ने चीनी कंपनी हुवावे को प्रतिबंधित किया था। जाहिर है ट्रंप चीन को हड़काने के लिए ही यह सब कर रहे हैं। कोरोना संकट के बाद अमेरिका ने चीन पर खुल्लम खुल्ला हल्ला बोल दिया है। चीन व्यापार युद्ध में भले अमेरिका से दब जाए लेकिन ताइवान के मुद्दे पर वह कभी समझौता नहीं करेगा। अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने ताइवान के मुद्दे पर चीन से परमाणु युद्ध की आशंका जतायी है। अगर अमेरिका ताइवान के पक्ष में चीन से युद्ध करता है तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अपनी आलोचना से चिढ़े डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर निकाली भड़ास