क्या आज भी है रूस में बॉलीवुड का जादू?
दोपहर का समय है और रूस के त्वेर शहर के सिटी हॉल से धूम-धड़ाके की आवाज़ें आ रही हैं.
पार्किंग से भीतर पहुँचने के पहले ही मेरे चेहरे पर कुछ जानी-सुनी चीज़ वाली मुस्कुराहट है.
बड़े लाउडस्पीकर पर दलेर मेहंदी और अलका याग्निक का गाना 'ओय होय, के कुड़ियां शहर दियां' गूंज रहा है.
अंदर एक बड़े से हॉल में क़रीब एक दर्जन रूसी लड़कियां भारतीय पोशाकों में रियाज़ कर रही हैं.
दोपहर का समय है और रूस के त्वेर शहर के सिटी हॉल से धूम-धड़ाके की आवाज़ें आ रही हैं.
पार्किंग से भीतर पहुँचने के पहले ही मेरे चेहरे पर कुछ जानी-सुनी चीज़ वाली मुस्कुराहट है.
बड़े लाउडस्पीकर पर दलेर मेहंदी और अलका याग्निक का गाना 'ओय होय, के कुड़ियां शहर दियां' गूंज रहा है.
अंदर एक बड़े से हॉल में क़रीब एक दर्जन रूसी लड़कियां भारतीय पोशाकों में रियाज़ कर रही हैं.
रूस में भारतीय फ़िल्में और नृत्य
लेकिन हर स्टेप के पहले सबकी निगाहें अपनी 'गुरु' लीना की तरफ़ ज़रूर मुड़ती हैं.
ये रूस में लीना गोयल की क्लास है जो हफ्ते में पांच दिन लगती है. यहाँ बॉलीवुड गानों और भारतीय शास्त्रीय संगीत पर डांस की ट्रेनिंग कई सालों से चल रही है.
लीना गोयल ने हेमा मालिनी से प्रेरणा लेकर और भारत में डांस सीखने के बाद इस सिलसिले को दो दशक पहले शुरू किया था.
लीना ने बताया, "मुझे बॉलीवुड की पुरानी फ़िल्में बहुत अच्छी लगती हैं जो उस टाइम हमारे सोवियत संघ में बहुत पॉपुलर थी जैसे शोले, कभी-कभी, दो अनजाने, राजा जानी क्योंकि ये बहुत इमोशनल फ़िल्में हैं. इंडियन सिनेमा वही दिखाता है जो टॉपिक हर इंडियन को और रूसी लोगों के दिल के क़रीब है. ये फ़ैमिली के बारे में है या रिश्तों के बारे में या फिर लड़की-लड़के के बीच प्रेम संबंधों को लेकर."
लीना की बॉलीवुड दीवानगी तब और बढ़ी जब उन्होंने एक भारतीय से शादी की और बॉलीवुड को थोड़ा नज़दीक से देखा.
भारत और रूस के रिश्तों की बात हो और बॉलीवुड का ज़िक्र न हो, ये तो मुमकिन ही नहीं.
चाहे राज कपूर हों, नरगिस और मिथुन चक्रवर्ती ही क्यों न हों, भारतीय सिनेमा के सितारे हमेशा से ही रूस में लोकप्रिय रहे हैं.
सोवियत यूनियन से भारत के क़रीबी रिश्तों में हिंदी फ़िल्मों का बड़ा रोल रहा है. एक दौर था जब कई फ़िल्में साथ बनती थीं और दोनों देशों में साथ ही रिलीज़ भी होती थीं.
'परदेसी' जैसी फ़िल्में तो दोनों देशों के आपसी सहयोग से ही बनी थीं.
रूसी युवाओं की दिलचस्पी हॉलीवुड में
एक ज़माना था जब 'श्री 420', 'आवारा' और 'मेरा नाम जोकर' जैसी फ़िल्में मौजूदा रूस, यूक्रेन और जॉर्जिया में महीनों सिनेमाघरों से नहीं उतरती थीं.
लेकिन क्या आज भी बॉलीवुड रूस में उतना ही देखा और सुना जाता है?
भारत में मैं जब फ़िल्में देखता हुआ बड़ा हो रहा था तो हमेशा सुनता था कि रूस में इंडियन सिनेमा की धूम मची रहती है.
यहाँ आकर पता चला कि बात में काफ़ी हद तक सच्चाई है, हालांकि अभी भी क्रेज़ पुराने स्टार्स का ज़्यादा है.
लेकिन हक़ीक़त ये भी है कि यहाँ की यंग जेनरेशन की दिलचस्पी बॉलीवुड से ज़्यादा हॉलीवुड में है.
बॉलीवुड के चहेतों की तलाश हमें मॉस्को के एक पॉश इलाके तक ले आई जहाँ एक नामचीन भारतीय रेस्त्रां है.
भीतर दाखिल होते ही मुझे एक रूसी महिला बाक़ायदा हिंदी बोलती हुई सुनाई पड़ी.
पता चला कि शबनम को बॉलीवुड से बेइंतिहा मोहब्बत रही है इसीलिए वो सालों से इस रेस्त्रां में ही काम करती रही हैं.
लेकिन इन्हें अफ़सोस है कि रूस में अब भारतीय फ़िल्में न तो सिनेमाघरों में लगती हैं और न ही बाज़ार में मिलती हैं.
शबनम ने कहा, "अरे मत पूछिए, 'जिमी-जिमी आजा' वाला मिथुन का डांस और गाना तो यहाँ सब गाते थे, लेकिन अब मैं बहुत कम नए हीरो-हीरोइन को जानती हूँ. लोगों ने पुराना हिसाब छोड़ दिया, अब इंडियन नहीं अमरीकन या इंग्लिश फ़िल्में ही दिखती हैं. पहले दुनिया भर में इंडियन फ़िल्म देखते थे, बड़े-बड़े थिएटर में दिखाते थे. मुझे तो वैसे 'बाजीराव-मस्तानी' पसंद है. मैंने रिलीज़ होने पर आधी देखी उसके बाद छूट गई. लास्ट तक इतना परेशान हुई क्योंकि ऑनलाइन पर भी नहीं थी. फिर दोस्तों ने इंडिया से मुझे सीडी भेजी, पूरे आठ महीने वेट करने के बाद आखिर तक देखा."
कम हुई है बॉलीवुड फ़िल्मों की शान
मैं ख़ुद रूस के जितने भी शहरों में जा सका, कहीं भी न तो किसी सिनेमाघर में कोई बॉलीवुड फ़िल्म लगी देखी और न ही कहीं बॉलीवुड सितारों के पोस्टर दिखे.
यहाँ तक कि भारतीय नाम वाले जो रेस्त्रां-होटल वगैरह भी हैं वहां भी अब फ़िल्मों के पोस्टर या सितारों की तस्वीरें नहीं मिलतीं.
भारतीय मूल के लोगों से बात करने पर पता चला कि ज़्यादातर जो लोग सोवियत यूनियन के दौर में यहाँ आए थे उन्हीं में भारतीय फ़िल्मों को लेकर उत्साह ज़्यादा है.
पेशे से पत्रकार-साहित्यकार रामेश्वर सिंह क़रीब 30 वर्ष पहले सोवियत यूनियन आए थे, पत्नी यहीं की हैं, लेकिन हिंदी बोलती भी हैं समझती भी हैं.
रामेश्वर सिंह ने बताया, "व्यापार हो या दूसरी चीज़ें, इन दिनों देशों के बीच संस्कृति का आदान-प्रदान, संगीत और फ़िल्में हमेशा पहले ही गिनी जाती रही हैं. ये बात सही है कि जो नई खेप है उसमें इन चीज़ों के प्रति रुचि थोड़ी कम है."
रूस में बॉलीवुड फ़िल्मों का क्रेज़ थोड़ा घटा है, लेकिन एक हक़ीक़त ये भी है कि भारतीय डांस आज भी लोगों को घर के बाहर खींच लाता है.
उम्मीद बाकी
त्वरेव शहर में लीना गोयल के डांस स्कूल में हमारी मुलाक़ात उनकी रूसी शिष्या ऐना से भी हुई थी.
उन्होंने कहा, "मैंने अपने बच्चे के जन्म के समय थोड़ा ब्रेक लिया था, लेकिन अब फिर से बॉलीवुड डांस की प्रैक्टिस शुरू कर दी है. मुझे इन पर स्टेज शोज़ करना पसंद है. उम्म्मीद है एक दिन भारत में भी परफ़ॉर्म करूंगी".
ऐना की तरह कई और भी हैं जिन्हें आज भी उम्मीद है कि भारतीय फ़िल्में और गाने रूस में दोबारा वापसी करेंगे.