क्या 'चक्रव्यूह' में फंस गया है इसराइल?
कुछ हफ़्ते पहले तक इसराइल के बारे में कहा जाता रहा था कि 1982 के बाद से उसने अपना एक भी लड़ाकू विमान नहीं खोया है. इसराइल की इस उपलब्धि का अहसास दुनिया भर के कई देशों को है.
लेकिन कुछ दिन पहले इसराइल के F-16 लड़ाकू विमान को सीरियाई बलों ने मार गिराया था. ये सीरियाई बल राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए लड़ रहे हैं.
कुछ हफ़्ते पहले तक इसराइल के बारे में कहा जाता रहा था कि 1982 के बाद से उसने अपना एक भी लड़ाकू विमान नहीं खोया है. इसराइल की इस उपलब्धि का अहसास दुनिया भर के कई देशों को है.
लेकिन कुछ दिन पहले इसराइल के F-16 लड़ाकू विमान को सीरियाई बलों ने मार गिराया था. ये सीरियाई बल राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए लड़ रहे हैं.
कहा जा रहा है कि सीरिया के इस क़दम से इसराइल और ईरान में तनाव को और हवा मिलेगी. ईरान सीरिया में बशर अल-असद का सहयोगी है. इसराइल का कहना है कि जब उसका प्लेन एक मिशन से लौट रहा था तो सीरिया से हमला हुआ. इसराइल के अनुसार उसका प्लेन इसराइली हवाई क्षेत्र में एक ईरानी ड्रोन के घुसने के कारण मिशन पर था.
हालांकि ईरान ने इसराइल के आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया और उसने कहा कि इसराइल सीरिया की संप्रभुता का लगातार उल्लंघन कर रहा है. ईरान की सीरिया में मौजूदगी पर इसराइल को आपत्ति है. वो लगातार इसकी शिकायत करता रहा है. सामान्य तौर पर इसराइली आर्मी अपने अभियानों को काफ़ी गुप्त रखता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसराइल के सामने केवल सीरिया ही नहीं है बल्कि मध्य पूर्व कई मुस्लिम देश इलाक़े में इसराइल से उलझे हुए हैं. आज की तारीख़ कई सीरिया को लेकर मध्य-पूर्व में कई चीज़ें एक साथ अहम हो गई हैं.
एफ-16 प्लेन के गिरने की सुर्खियां मीडिया में ख़ूब बनीं. बीबीसी के रक्षा संवाददाता जोनाथन मार्कस का कहना है कि इसराइली एयरक्राफ़्ट की गश्ती हाल के दिनों में सीरिया में लगातार रही है. इसराइल अपने लिए इसे ख़तरे की घंटी मान रहा है. सीरियाई गृहयुद्ध का रुख़ क्या हो सकता है इसराइल की इस पर नज़र बनी हुई है.
सीरिया में अमरीका के ख़िलाफ़ रूस और ईरान साथ मिलकर काम कर रहे हैं. ईरान और रूस सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ हैं. हालांकि इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और उनके सलाहकारों के लिए यह सबसे बड़ी चिंता नहीं है.
वॉशिंगटन इंस्टिट्यूट के एनलिस्ट डेविड मकोवोस्की का बीबीसी से कहना है कि ईरान सीरिया में स्थायी सैन्य ठिकाना बना ईरान ने हालात को अपने पक्ष में कर लिया है.
11 फ़रवरी को इसराइल में उत्तरी कमांड के प्रमुख जनरल योइल स्ट्रीक ने ईरानी इरादे को लेकर चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि वो ईरान को सीरिया में ऐसा करने की अनुमति नहीं देंगे.
ईरान पर मध्य-पूर्व में शिया उग्रवादियों को मदद करने का आरोप है. ईरान पर हिज़बोल्लाह को भी मदद करने का भी आरोप है. इन संगठनों की मौजूदगी इसराइल और लेबनान सीमा पर काफ़ी मजबूत है.
जोनाथन मार्कस का कहना है कि इसराइल हिज़बोल्लाह के लिए सीरिया के ज़रिए जाने वाले हथियारों को पूरी तरह से रोकना चाहता है.
सीरियाई संघर्ष में हिज़बोल्लाह की सात सालों की भागीदारी के कारण उसका नुक़सान हुआ है, लेकिन उसे युद्ध का सामना करने का अनुभव भी हुआ है.
कहा जा रहा है कि ईरान से हिज़बुल्लाह को आधुनिक हथियारों की आपूर्ति की जा रही है और इससे वो और मज़बूत हुआ है. पिछले साल सितंबर में ख़बर आई थी कि इसराइली विमानों ने एक सैन्य शोध ठिकाने पर हमला किया था.
अभी तक साफ़ नहीं है कि इसराइल के लिए हवाई हमले की रणनीति किस हद तक कामयाब रही है. इसराइली अख़बार का कहना है कि सीरिया के हवाई क्षेत्रों पर रूसी नियंत्रण के बावजूद रूस ने कभी इसराइली प्लेन को निशाना नहीं बनाया. सीरिया में रूसी मौजूदगी को इसराइल के पास स्वीकार करने का कोई विकल्प नहीं है.
माकोवस्की का अनुमान है कि हिज़बुल्लाह के पास 100,000 रॉकेट्स हैं. मार्कस को डर है कि ईरान कहीं लंबी दूरी का हथियार न मुहैया करा दे. यही वजह है कि लेबनान भी इसराइली बलों के निशाने पर है.
हालांकि इसराइल इस बात से हमेशा इनकार करता रहा है. जनवरी 2015 में यूएनआईएफ़आईएल के एक स्पैनिश सदस्य इसराइली फ़ायरिंग में मारा गया था. इसराइल हिज़बुल्लाह के साथ जवाबी गोलीबारी कर रहा था.
जोनाथम मार्कस का कहना है कि उत्तरी सीमा पर इसराइल गहरी रणनीतिक समस्या जूझ रहा है. उनका कहना है कि हिज़बुल्लाह की बढ़ती ताक़त इसराइल के लिए बड़ी चुनौती है. हिज़बुल्लाह दक्षिणी लेबनान में लगातार मज़बूत हो रहा है.
हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में रिपोर्ट छपी थी कि इसराइल ने मिस्र में जिहादियों पर एक गोपनीय हवाई हमले को अंजाम दिया था. इस रिपोर्ट के अनुसार इसराइल ऐसा पिछले दो सालों से कर रहा है. हालांकि इस हमले में मिस्र की आर्मी की सहमति थी.