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कोरोना वायरसः क्या इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था तबाह हो सकती है?

चीन एक नए वायरस के साथ संघर्ष कर रहा है जिसने 80 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली है. चीन के लिए ये एक गंभीर मुद्दा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे चीन के लिए एक आपातकालीन स्थिति कहा है। हालांकि अभी बाक़ी दुनिया के लिए ऐसी कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि आख़िरकार इसके गंभीर आर्थिक नतीजे होंगे। 

By BBC News हिन्दी
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कोरोना वायरस
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कोरोना वायरस

चीन एक नए वायरस के साथ संघर्ष कर रहा है जिसने 80 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली है. चीन के लिए ये एक गंभीर मुद्दा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे चीन के लिए एक आपातकालीन स्थिति कहा है. हालांकि अभी बाक़ी दुनिया के लिए ऐसी कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि आख़िरकार इसके गंभीर आर्थिक नतीजे होंगे.

लेकिन सवाल ये उठता है कि ये आर्थिक परिणाम कितने गंभीर होंगे और उनका असर कहां तक होगा?

चूंकि कोरोना वायरस का प्रसार अभी शुरुआती दौर में है, इसलिए अर्थशास्त्री फ़िलहाल कोई आंकड़े देने से एहतियात बरत रहे हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=XamR1mjYorA

चीन का पर्यटन व्यवसाय

अतीत में इस तरह की घटनाओं से हुए आर्थिक नुक़सान को देखते हुए हम अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के किसी संभावित असर के बारे में बता सकते हैं.

ज़्यादा पुरानी बात नहीं है, साल 2002-03 के दौरान सार्स की महामारी फैली थी और इसकी शुरुआत भी चीन में हुई थी.

फ़िलहाल तो चीन को थोड़ा आर्थिक नुक़सान हुआ ही है.

देश के कुछ हिस्सों में यात्रा प्रतिबंध लागू हैं और वो भी ऐसे वक़्त में जब चीनी नव वर्ष का समय है और लोग बड़ी संख्या में यात्राएं करते हैं.

इस लिहाज़ से चीन के पर्यटन व्यवसाय को झटका लग ही चुका है.

फेफड़े में वायरस
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फेफड़े में वायरस

ट्रांसपोर्ट सेक्टर

कोरोना वायरस से मनोरंजन और तोहफों पर उपभोक्ताओं के ख़र्च पर असर होगा.

मनोरंजन क्षेत्र की बात करें तो बहुत से लोग घर से बाहर जाकर ऐसी किसी गतिविधि में हिस्सा लेने से बचेंगे जिनसे उनके संक्रमण की ज़द में आने का ख़तरा हो.

इसमें कोई शक नहीं कि कई लोगों ने पहले से निर्धारित अपने कार्यक्रम रद्द कर दिए होंगे.

हालात की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कोरोना वायरस का प्रसार जिस वुहान शहर से शुरू हुआ वो चीन का एक अहम ट्रांसपोर्ट हब है.

किसी भी ऐसे कारोबार के लिए जहां लोगों और वस्तुओं के आवागमन की ज़रूरत पड़ती हो, यात्रा प्रतिबंध एक बड़ी समस्या होती है.

इससे इंडस्ट्री के सप्लाई चेन पर पर असर पड़ता है, कुछ चीज़ों की डिलेवरी में बाधा आती है और कुछ चीज़ें ज़्यादा महंगी हो जाती हैं.

अगर लोग काम के लिए सफ़र न कर सकें या न करना चाहें तो इससे कारोबार का नुक़सान अलग से होता है.

https://www.youtube.com/watch?v=v1kbVcrLF6I

इंस्योरेंस सेक्टर

कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के इलाज में होने वाला ख़र्च का भार सरकारी और निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को वहन करना पड़ेगा.

चीन के बाहर काफी कुछ इस पर निर्भर करेगा कि कोरोना वायरस का असर कितना होता है.

अगर ये महामारी कहीं और फैलती है तो इसका थोड़ा असर होना तय है हालांकि ये उतने बड़े पैमाने पर नहीं होगा.

अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का प्रभाव काफी कुछ इस बात पर भी निर्भर करता है कि ये वायरस कितनी आसानी से फैल सकता है और इससे संक्रमित होने वाले लोगों की मौत की आशंका किस हद तक है.

अच्छी बात ये है कि इससे संक्रमित होने वाले काफी लोगों में पूरा सुधार देखा गया है, हालांकि इसके दुखद अपवाद भी रहे हैं.

अक्सर ये देखा गया है कि आर्थिक समस्याओं को लेकर प्रतिक्रिया देने में वित्तीय बाज़ार ज़्यादा देरी नहीं करते.

क्योंकि यहां बिज़नेस करने वाले ट्रेडर्स भविष्य के घटनाक्रम को भांपकर ही चीज़ों पर दांव लगाते हैं.

वायरस
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वायरस

वैक्सीन का विकल्प

कोरोना वायरस का कुछ हद तक नकारात्मक असर दुनिया के शेयर बाज़ारों पर ख़ासकर चीन में देखने को मिला है. लेकिन फिलहाल अभी हालात चिंताजनक नहीं हैं.

यहां तक कि शंघाई कॉम्पोज़िट इंडेक्स भी अपने पिछले छह महीने के रिकॉर्ड से उच्च स्तर पर है.

परेशान करने वाली इन बातों को छोड़ भी दें तो अर्थव्यवस्था का एक क्षेत्र ऐसा है जिसके लिए ये एक अवसर की घड़ी है और उसे इसका फ़ायदा हो सकता है.

वो है दवा उद्योग. कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए जो पहली दवा उपलब्ध है, वो इसके लक्षणों से राहत देने वाली दवा है.

लंबे समय में ये मुमकिन है कि कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए वैक्सीन विकसित करना मुनाफ़े का कारोबार बन जाए.

जॉनसन एंड जॉनसन के चीफ़ साइंटिफिक ऑफ़िसर पॉल स्टोफ़ेल्स ने बीबीसी को बताया कि उनकी टीम ने इस वैक्सीन पर बुनियादी अध्ययन पहले ही कर लिया है.

उन्हें लगता है कि साल भर के भीतर इस वैक्सीन की बात साकार हो सकती है. संक्रमण से बचने के लिए सर्जिकल मास्क और दस्तानों की मांग में भारी उछाल देखा गया है.

ऐसी दवाइयां और सर्जिकल मास्क और ग्लव्स जैसे चीज़ें बनाने वाली चीनी कंपनियों के स्टॉक वैल्यू में तेज़ उछाल दर्ज किया गया है.

वुहान
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वुहान

सार्स महामारी के समय

कोरोना से कैसे लड़ें, इसके ऐतिहासिक सबक संभवतः सार्स महामारी की घटना से लिए जा सकते हैं.

एक अनुमान के मुताबिक़ सार्स महामारी के वक़्त वैश्विक अर्थव्यवस्था को 40 अरब डॉलर का नुक़सान उठाना पड़ा था.

लंदन की कंसल्टेंसी फ़र्म कैपिटल इकॉनॉमिक्स की जेनिफर मैक्क्वेन बताती हैं कि साल 2003 की दूसरी तिमाही में वैश्विक विकास की दर में में सार्स की वजह से एक फीसदी की गिरावट हुई थी.

ये एक बड़ी गिरावट थी. लेकिन जेनिफर ये भी कहती हैं कि इसके बाद हालात तेज़ी से संभल गए थे.

वो बताती हैं कि उस समय अर्थव्यवस्था में गिरावट की दूसरी वजहें भी थीं और इस वजह से दुनिया की आर्थिक गतिविधियों पर सार्स का कोई एक दुष्परिणाम बताना मुश्किल है. भले ही सार्स उस वक़्त एक महामारी की तरह दुनिया में फैल गया था.

https://www.youtube.com/watch?v=dmvy43f-V6M

https://www.youtube.com/watch?v=hGd2wGiPS6k

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English summary
Is Corona Virus going to destroy the economy of world?
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