क्या ट्रैक से उतर रही है चीन की अर्थव्यवस्था ? पहली बार कोरोना के चलते मची ऐसी तबाही
बीजिंग, 26 अप्रैल: चीन के वुहान शहर से 2019 के अंत से कोरोना फैलना शुरू हुआ था। उसने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी। लेकिन, चीन की अर्थव्यस्था पर तब कोई ज्यादा असर नहीं पड़ा। कम से कम जानकारी तो यही मिली। हालांकि, चीन की असल स्थिति क्या है, यह पता चलना बहुत ही मुश्किल है। लेकिन, फिर भी अब अगर यह बात सामने आ रही है कि उसकी अर्थव्यस्था डंवाडोल होने लगी है तो समझने वाली बात है। सवाल उठ रहा है कि कहीं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला उसका ताज खतरे में तो नहीं है! क्योंकि, अबकी बार यह वायरस शंघाई और बीजिंग को भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।

ट्रैक से उतर रही है चीन की अर्थव्यवस्था ?
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट ने चीन की अर्थव्यस्था का जो आकलन किया है, उससे लग रहा है कि वुहान से कोविड-19 वायरस के निकलने के बाद वह अबतक के सबसे गंभीर संकट में फंस चुका है। उसकी अर्थव्यवस्था बड़ी तेजी से नीचे गई है। अप्रैल महीने में अर्थव्यस्था की स्थिति बिगड़ने के पीछे कोरोना फैलने के साथ-साथ वायरस को रोकने के लिए मजबूरी में उठाए जा रहे सख्त कदमों को माना जा रहा है। आठ शुरुआती संकेतों के आधार पर रिपोर्ट में इस महीने के लिए कहा गया है कि चीन की अर्थव्यस्था अप्रैल, 2020 के बाद सबसे खराब दौर से गुजर रही है। इसमें कहा गया है कि कोविड की नई लहर यहां की अर्थव्यस्था की कमर तोड़ रही है।

पहली बार कोरोना के चलते मची ऐसी तबाही
गौरलतब है कि चीन के शहर-दर-शहर कोरोना फैलने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की सरकार के पास लॉकडाउन और सख्त से सख्त पाबंदियों के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। मार्च से ज्यादातर शहरों में शुरू हुआ यह सिलसिला अप्रैल में शंघाई जैसे विशाल शहर और राजधानी बीजिंग तक पहुंच गया है। लेकिन, इसने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था को तबाह करना शुरू कर दिया है। शी जिनपिंग शासित चीन की सरकार ने सोमवार को जब राजधाधी बीजिंग में बड़े पैमाने पर टेस्ट के आदेश जारी किए और इसके कई हिस्सों में लॉकडाउन लगाया, तो वहां के वित्तीय बाजार औंधे मुंह गिर पड़े।

उपभोक्ताओं ने खर्च में की कमी
सर्विस सेक्टर में तो मार्च से ही कहर बरपने लगा था, क्योंकि 2020 के मध्य के बाद से उपभोक्ताओं ने खर्च में सबसे ज्यादा कमी शुरू कर दी थी। अप्रैल में सख्त पाबंदियों और संक्रमण के डर से लोगों ने यात्रा करना बंद किया और रेस्टोरेंट में खाना छोड़ दिया तो अप्रैल में तो मानो सुनामी की ही आहट आ गई। लोग घरों से निकल ही नहीं पा रहे हैं तो खामियाजा अर्थव्यस्था को ही भुगतना पड़ रहा है। मैन्युफैक्जरिंग सेक्टर पर वैसे तो कम खतरा नजर आता है, लेकिन यात्रा पाबंदियों की वजह से खासकर शंघाई जैसे शहरों में इससे जुड़ी संस्थाओं को भी झटका लगा है।

सस्ते हुए घर और कार, नहीं मिल रहे कोई खरीदार
स्टैंडर्ड चार्टर्स पीएलसी की ओर से 500 छोटी कंपनियों के सर्वे के आधार पर पाया गया है कि इनका आत्मविश्वास अप्रैल महीने में बीते दो वर्षों में सबसे ज्यादा डंवाडोल हो चुका है। इसका सबसे बड़ा कारण बड़े पैमाने पर लॉकडाउन लगाया जाना है। सर्वे के मुताबिक चीन में कारोबारी भावना भी पंक्चर हो चुकी है और 'अपेक्षाओं' का सब-इंडेक्स 26 महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक इस महीने छोटे और मध्य उद्यमों के उत्पादन और मांग दोनों में ही भारी कमी देखी गई है। 100 से भी ज्यादा शहरों में घर खरीदने के नियमों में ढील देने के बावजूद खरीदार मिलना मुश्किल है तो महंगी गाड़ियों और होम एप्लायंसेज की खरीद को बढ़ावा देने की सरकार की रणनीति भी फेल हो चुकी है और कारों की बिक्री कम हो चुकी है।

आर्थिक विकास का लक्ष्य होगा चकनाचूर !
चीन कोरोना को लेकर अभी भी कोविड जीरो रणनीति को अपनाए हुए है। यानी वहां और शहरों में लॉकडाउन लगने की तलवार लटक रही है। बेंचमार्क स्टॉक इंडेक्स अबतक इस महीने अपने मूल्य का लगभग 10% गंवा चुकी है और इस साल की बात करें तो यह 23% नुकसान में है। यही वजह है कि अर्थशास्त्रियों ने इसके आर्थिक विकास का अनुमान घटा दिया है। चीन ने इस साल आर्थिक विकास का 5.5% वाला महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय कर रखा है, लेकिन अब यह पूरी तरह से खतरे में है। अलबत्ता निर्यात के क्षेत्र में उसके पास अभी भी उम्मीदें बरकरार हैं, लेकिन घरेलू मोर्चे पर देश की अर्थव्यस्था जिनपिंग की सांसें फुलाने के लिए काफी है।