क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

'ब्रिटेन के नरेंद्र मोदी' जैसे हैं बोरिस जॉनसन?

'बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के मोदी हैं.' ये विचार ब्रिटेन में रहने वाले आम प्रवासी भारतीयों के हैं. वो कहते हैं कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह लोकप्रिय नहीं हैं लेकिन वैचारिक समानता दोनों को एक दूसरे के नज़दीक लाई है. उनके अनुसार बोरिस जॉनसन आगे भी चुनाव जीत सकने की क्षमता रखते हैं. बोरिस जॉनसन ने अपनी पार्टी को 25 सालों में पहली बार ज़बरदस्त जीत दिलाई है.

By ज़ुबैर अहमद
Google Oneindia News
बोरिस जॉनसन और नरेंद्र मोदी
Getty Images
बोरिस जॉनसन और नरेंद्र मोदी

'बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के मोदी हैं.' ये विचार ब्रिटेन में रहने वाले आम प्रवासी भारतीयों के हैं.

वो कहते हैं कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह लोकप्रिय नहीं हैं लेकिन वैचारिक समानता दोनों को एक दूसरे के नज़दीक लाई है.

उनके अनुसार बोरिस जॉनसन आगे भी चुनाव जीत सकने की क्षमता रखते हैं.

बोरिस जॉनसन ने अपनी पार्टी को 25 सालों में पहली बार ज़बरदस्त जीत दिलाई है.

इन विचारों से सभी सहमत नहीं हैं. ब्रैडफ़र्ड के एक मंदिर के मैनेजमेंट के अध्यक्ष मुकेश शर्मा कहते हैं, "हम दावे के साथ नहीं कह सकते कि दोनों नेताओं में कोई समानता है. हमने कंज़र्वेटिव पार्टी को वोट दिया इसलिए हम संतुष्ट हैं. लेकिन कई लोगों ने बोरिस को ब्रेग्ज़िट के कारण वोट दिया."

बोरिस जॉनसन ने भारतीय मूल को लुभाने की काफ़ी कोशिशें की हैं क्योंकि वो इस समुदाय की अहमियत से वाक़िफ़ हैं.

FACEBOOK/BORIS JOHNSON

भारतीय मूल के सांसदों की संख्या बढ़ी

कंज़र्वेटिव पार्टी के भारतीय मूल के सांसदों की संख्या पाँच से बढ़कर सात हो गई है. लेबर पार्टी के भी सात उम्मीदवार चुनाव जीते हैं.

भारतीय मूल की प्रीति पटेल को गृह मंत्री बनाए रखा जा सकता है. बोरिस के नए मंत्रिमंडल में भी भारतीय मूल के सांसद होंगे और विपक्ष में भी.

बोरिस जॉनसन चुनावी मुहिम के दौरान लंदन के नीसडेन मंदिर गए जिसका मक़सद ये पैग़ाम देना था कि कंज़र्वेटिव पार्टी भारत और भारतीय मूल के लोगों की दोस्त है.

मंदिर में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निजी स्तर की दोस्ती का दावा किया और स्वीकार किया कि 15 लाख भारतीय मूल के लोगों ने ब्रिटेन के विकास में काफ़ी योगदान दिया है.

गुरुवार को चुनावी नतीजे आए. कंज़र्वेटिव पार्टी को भारी बहुमत मिला. कहा ये जा रहा है कि 1987 के बाद से इसकी सबसे बड़ी विजय है.

ब्रेग्ज़िट
Reuters
ब्रेग्ज़िट

ब्रेग्ज़िट से निकलना आसान होगा?

ये चुनावी नतीजे ब्रेग्ज़िट के वादे पर मिले. कंज़र्वेटिव पार्टी ने वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आयी तो यूरोपीय संघ से ब्रिटेन को तुरंत बाहर ले जाएगी.

ब्रिटेन की भारतीय मूल की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने बुधवार की रात को कहा कि ब्रिटेन अगले महीने यूरोपीय संघ से बाहर हो जाएगा.

इसका मतलब ये हुआ कि अब ब्रिटेन किसी भी देश के साथ अपने संबंध अपनी तरह से बनाने के लिए आज़ाद होगा.

लेकिन विश्लेषक कहते हैं ये अलहदगी आसान नहीं होगी. मैनचेस्टर के लेबर पार्टी के एक समर्थक दिलबाग़ तनेजा के अनुसार ये अलहदगी उसी तरह की होगी जिस तरह सालों तक चलने वाली शादी के बाद तलाक़शुदा जोड़े की होती है.

तलाक़ के बाद तनहाई का एहसास दोनों को होगा. ब्रिटेन को नए दोस्तों की तलाश होगी.

अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने ब्रिटेन से घनिष्ठ व्यापारिक संबंधों की बात कही है. बोरिस जॉनसन के सबसे पहले क़दम के तौर पर अमरीका से एक बड़ा व्यापारिक संबंध बनाना शामिल होगा.

मोदी और बोरिस जॉनसन
Getty Images
मोदी और बोरिस जॉनसन

भारत के साथ कैसे रिश्ते होंगे

लेबर पार्टी से एक युग से जुड़े लॉर्ड मेघनाद देसाई कहते हैं कि भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्ते मज़बूत हैं जो अब और भी मज़बूत हो सकते हैं.

यहाँ रह रहे भारतीय मूल के लोगों का ख़याल है कि बोरिस जॉनसन ब्रेग्ज़िट के बाद शायद सबसे पहली विदेशी यात्रा भारत की ही करेंगे.

लंदन के एक दुकानदार ईश्वर प्रधान की इच्छा है कि प्रधानमंत्री सबसे पहले भारत का दौरा करें.

वो कहते हैं, "उनका भारत से पुराना लगाव है. उनकी पूर्व पत्नी भारतीय थीं. वो लंदन के मेयर की हैसियत से भारत जा चुके हैं. वो बुनियादी तौर पर भारत के हिमायती हैं."

भारत और ब्रिटेन के ऐतिहासिक रिश्ते ज़रूर हैं लेकिन इसमें गहराई की कमी दिखती है. गर्मजोशी भी कभी कभार महसूस होती है. अगर दो तरफ़ा व्यापार पर नज़र डालें तो ये 15-17 अरब डॉलर के इर्द-गिर्द सालों से चला आ रहा है.

भारत के व्यापारिक संबंध यूरोपीय संघ से कहीं अधिक घनिष्ठ हैं.

ऐसे में ब्रिटेन के साथ ट्रेड समझौता करने से भारत को कुछ अधिक लाभ नहीं होगा.

इस समय ब्रिटेन को भारत की ज़रूरत अधिक है ना कि भारत को ब्रिटेन की.

लेबर पार्टी के भारतीय मूल के पाँचवीं बार सांसद वीरेंद्र शर्मा के अनुसार भारतीय मूल के लोग भारत और ब्रिटेन के बीच एक पुल का काम कर सकते हैं.

वो कहते हैं, "सत्ता में कोई भी पार्टी आए भारत से उसे मज़बूत संबंध बनाकर रखना पड़ेगा. हमारी पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कश्मीर पर जो स्टैंड लिया था उसे मैंने ख़ुद रद्द किया था."

उनके मुताबिक़ भारत एक बड़ा मार्केट है जिससे व्यापारिक समझौता दोनों देशों के पक्ष में होगा.

भारत की लगभग 900 कंपनियों ने या तो यहाँ निवेश किया हुआ है या यहाँ दफ़्तर खोलकर यूरोप में व्यापार कर रही हैं.

बोरिस जॉनसन
Reuters
बोरिस जॉनसन

जलियाँवाला बाग़ के लिए माफ़ी मांगेंगे?

शुक्रवार को आए चुनावी नतीजों के बाद कई प्रवासी भारतीयों से बात करके समझ आया कि दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार बढ़ सकता है और भारतीय युवकों को यहाँ अधिक नौकरियाँ मिल सकती हैं मगर इतना दोनों पक्षों के लिए काफ़ी नहीं होगा.

एक रेस्टोरेंट के मालिक सुरजीत सिंह के विचार में अगर बोरिस जॉनसन जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के लिए औपचारिक रूप से माफ़ी माँग लें तो ये ब्रिटेन और भारत के रिश्तों में एक नई जान फूँक सकता है.

लेबर पार्टी ने जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के लिए औपचारिक रूप से माफ़ी माँगने का वादा किया था. अब बोरिस जॉनसन की भारी बहुमत वाली सरकार इसे अंजाम दे सकती है.

दूसरी तरफ़ पाकिस्तानी मूल के लोगों की भी ये सोच है कि बोरिस जॉनसन भारत के साथ रिश्ते मज़बूत करने की कोशिश करेंगे. बीबीसी के साजिद इक़बाल के अनुसार बोरिस और मोदी की दोस्ती दोनों देशों के रिश्तों में रंग लाएगी.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Is Boris Johnson like 'Narendra Modi of Britain'?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X