क्या चीन में सिर्फ 3 साल में तोड़ी गईं 16,000 मस्जिदें, एक थिंक-टैंक की रिपोर्ट में दावा
नई दिल्ली- चीन के शिंजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों की स्थिति को लेकर कई रिपोर्ट आ चुकी हैं और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार उल्लंघन का एक बहुत बड़ा मामला बन चुका है। लेकिन, अब एक रिसर्च में यह पता चली है कि सिर्फ तीन साल में ही वहां हजारों मस्जिदें या तो तोड़ दी गई हैं या उन्हें बुरी तरह नुकसान पहुंचाया गया है। रिपोर्ट में यहां तक दावा किया गया है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अब अपने पवित्र स्थलों की रक्षा के लिए उसका स्वरूप ही बदलना शुरू कर दिया है, ताकि वह आसानी से पहचान में ना आ सकें। हालांकि, चीन की ओर से आधिकारिक तौर पर इसके बारे में कहा गया है कि यह उसके खिलाफ झूठा प्रोपेगेंडा है।
चीन के शिंजियांग में 16,000 मस्जिदें तोड़ी गईं- रिपोर्ट
शुक्रवार को एक ऑस्ट्रेलियाई थिंक-टैंक ने चीन में मस्जिदों की दुर्दशा को लेकर एक बहुत ही सनसनीखेज दावा किया है। इस रिपोर्ट में कहा गया गया है कि चीन सरकार ने शिंजियांग प्रांत में हजारों मस्जिदें गिरा दी हैं। इस रिपोर्ट में इलाके में बड़े पैमाने पर मानवाधिकार के उल्लंघन का भी दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 लाख से ज्यादा उइगर और तुर्की भाषाई दूसरे मुसलमानों को भी कैंपों में तो कैद किया ही गया है, वहां रहने वाले लोगों को अपनी परंपपरा और धार्मिक कार्यों को भी छोड़ने का दबाव डाला जा रहा है। ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एएसपीआई) ने सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों के विश्लेषण के आधार पर बताया है कि करीब 16,000 मस्जिदें या तो तोड़ दी गई हैं या फिर उन्हें नुकसान पहुंचाया गया है।
मुसलमानों ने मस्जिदों की पहचान बदली- थिंक-टैंक
एएसपीआई की रिपोर्ट की मानें तो मस्जिदों को तबाह करने का यह काम खासकर बीते तीन साल में किया गया है, जिसमें अनुमान के मुताबिक 8,500 मस्जिदों के तो अब नाम ओ निशान भी नहीं बचे हैं। उलुम्क्वि और काशगर शहरी इलाकों के बाहर सबसे ज्यादा मस्जिदों को नुकसान पहुंचाई गई है। रिसर्च के मुताबिक बहुत सारी मस्जिदें इसलिए बच गई हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी गुम्बदें और मीनारों को समय रहते ही हटाकर उसका स्वरूप बदल डाला है, जो कि शायद चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के कैडरों को नजर में नहीं आ पा रहे होंगे। शोधकर्ताओं ने अनुमान जताया है कि अब शिंजियांग प्रांत में सिर्फ 15,500 मस्जिदें ही पूरी तरह से सही या क्षतिग्रस्त स्थिति में बच गई हैं।
पिछले साल भी आई थी कब्रगाहों की हटाने की खबरें
गौरतलब है कि अगर इस दावे में दम है तो दशकों बाद इस क्षेत्र में इतनी कम मस्जिदें बच गई हैं। इतना ही नहीं एएसपीआई के मुताबिक शिंजियांग में एक-तिहाई महत्वपूर्ण मुस्लिम पवित्र स्थलों, पवित्र स्थलों की ओर जाने वाले मार्गों और कब्रगाहों को तबाह कर दिया गया है। पिछले साल ऐसी खबरें आ चुकी हैं कि कैसे वहां दर्जनों कब्रगाहों को तोड़ दिया गया है और मानव अवशेष और टूटी हुई ईंटें जमीन पर यूं ही बिखड़ी पड़ी हुई हैं। लेकिन, चीन लगातार इन दावों को झुठलाता आया है और दावा करता है कि शिंजियांग के निवासी पूरी तरह से धार्मिक आजादी का आनंद उठा रहे हैं। (ऊरक की तस्वीरें सांकेतिक और सौजन्य: ट्विटर )
चीन विरोधी झूठ- चीनी विदेश मंत्रालय
इस रिसर्च पर चीन के विदेश मंत्रालय ने जोरदार पलटवार किया है और कहा है कि रिसर्च करने वाली संस्था की कोई 'कोई शैक्षणिक विश्वसनीयता' नहीं है और उसने 'चीन विरोधी रिपोर्ट' और 'चीन विरोधी झूठ' प्रचारित किया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है उस इलाके में 24,000 मस्जिदें थीं। उन्होंने कहा, 'शिंजियांग में कुल जितनी मस्जिदें हैं, वह अमेरिका के 10 गुना ज्यादा हैं और प्रति मुस्लिम व्यक्ति पर मस्जिद की औसत कई मुस्लिम देशों से भी ज्यादा है।' इससे एक दिन पहले ही एएसपीआई ने दावा किया था कि उसने इलाके में डिटेंशन सेंटरों के नेटवर्क की जो पहचान की है, वह पूर्व के अनुमानों से कई गुना ज्यादा बड़ा है। जबकि, चीन का हमेशा से कहना है कि ये कैंप असल में वोकेशनल सेंटर हैं, जहां गरीबी के खिलाफ लड़ने और उग्रवाद को रोकने के लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है।
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