इतिहास लिखने की कगार पर आयरलैंड, एक भारतीय महिला की वजह से खत्म गर्भपात पर लगा बैन!
आयरलैंड गर्भपात पर बने कानूनों को लेकर एतिहासिक जनमत संग्रह कराने जा रहा है। आयरलैंड में गर्भपात के कानून को यूरोप में गर्भपात पर बने सबसे सख्त कानून में समझा जाता है। जनमत संग्रह में गर्भपात पर लगे बैन को हटाने की मांग की गई है।
डबलिन। आयरलैंड गर्भपात पर बने कानूनों को लेकर एतिहासिक जनमत संग्रह कराने जा रहा है। आयरलैंड में गर्भपात के कानून को यूरोप में गर्भपात पर बने सबसे सख्त कानून में समझा जाता है। जनमत संग्रह में गर्भपात पर लगे बैन को हटाने की मांग की गई है। एक कैथोलिक देश आयरलैंड में माना जा रहा है इस जनमत संग्रह में दो तिहाई वोट इस प्रतिबंध को समाप्त करने के लिए डाले गए हैं। माना जा रहा है कि इस जनमत संग्रह के बाद यहां पर गर्भपात पर लगे बैन को हटाने की तैयारी शुरू हो गई है। साल 2012 में भारतीय मूल की महिला सविता हलप्पानार की मौत के बाद से ही गर्भपात के कानूनों और बैन पर बहस शुरू हो गई थी।
सविता बनीं हैं 'यस' मुहिम का चेहरा
आयरिश टाइम्स पोल में 4,000 लोग गर्भपात पर लगे बैन को हटाने के पक्ष में शुरू हुई 'यस' मुहिम का हिस्सा हैं। 68 प्रतिशत लोग बैन को खत्म करने और 32 प्रतिशत लोग ऐसे खत्म न करने के पक्ष में हैं। वहीं यहां के नेशनल ब्रॉडकास्टर आरटीई की ओर से कराए गए एक और पोल में तो 69 प्रतिशत बैन को खत्म करने के पक्ष में हैं जबकि सिर्फ 30 प्रतिशत लोग ही इसके विरोध में हैं। सविता, आयरलैंड में गर्भपात पर लगे बैन के खिलाफ चलाई गई मुहिम का मुख्य चेहरा बनकर उभरी हैं।
कौन थीं सविता
31 वर्ष की सविता भारतीय मूल की डेंटिस्ट थीं और जब उन्हें पता लगा कि गर्भ में ही उनका बच्चा मर गया है तो उन्होंने अपनी प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट कराना चाहा। लेकिन उनके अनुरोध को आयरलैंड के कड़े कानूनों की वजह से खारिज कर दिया गया। इसके बाद ज्यादा खून बह जाने की वजह से अक्टूबर 2012 में उनकी मौत हो गई थी। वर्तमान समय में आयरलैंड के आठवें संशोधन कहता है 'अजन्मे बच्चे की जिंदगी को भी' 'मां की जिंदगी की ही तरह जीने का अधिकार है।'
14 साल तक की कैद
इसी संशोधन को इस जनमत संग्रह के तहत रद्द किया जा सकता है। आयरलैंड के संविधान में साल 1983 में आया यह नियम गर्भपात को प्रतिबंधित करता है। इस आयरिश देश में गर्भ को खत्म करने पर 14 वर्ष तक की सजा का नियम है। आयरलैंड में साल 1983 से अब तक 170,000 आयरिश महिलाएं गर्भपात के लिए विदेश जा चुकी है। इस बैन को खत्म करने के पक्ष में डबलिन की सड़कों पर लोग कैंपेन के स्लोगन के साथ टी-शर्ट पहनकर मार्च कर रहे हैं।
पीएम ने कहा हम बनाएंगे इतिहास
आयरिश टाइम्स के सर्वे की मानें तो 70 प्रतिशत महिलाओं ने इस बैन को खत्म करने के पक्ष में वोट डाले हैं। वहीं 65 प्रतिशत पुरुषों ने इसे इच्छा का विषय बताया तो वहीं 35 प्रतिशत गर्भपात के खिलाफ हैं। प्रधानमंत्री लियो वाराडकर ने सभी लोगों को बैन करने के पक्ष में वोट करने के लिए धन्यवाद कहा है। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा कि लोकतंत्र अब एक्शन में हैं और लगता है कि हम कल एक नया इतिहास बनाएंगे। हालांकि 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों ने वर्तमान नियम में बदलाव की बात कही है जिसके तहत सिर्फ तभी गर्भपात की अनुमति मिल सकेगी जब मां की जान खतरे में होगी। वहीं 18 से 24 वर्ष के युवाओं में 87 प्रतिशत ने गर्भपात के बैन को हटाने की मांग की है।