इजरायल से नजदीकी रिश्ते बनाना सबसे बड़ा पाप, इस देश ने मुस्लिम देशों को लगाई जमकर फटकार
इस देश ने इजरायल से करीबी रिश्ता बनाने वाले मुस्लिम देशों को जमकर फटकार लगाई है और कहा है कि, किसी मुस्लिम देश का इजरायल से रिश्ता बनाना सबसे बड़ा पाप है।
तेहरान, अक्टूबर 26: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजरायल से संबंध बनाने वाले मुस्लिम देशों को जमकर फटकार लगाई है। ईरान के सर्वोच्च नेता ने मुस्लिम देशों को फटकार लगाते हुए कहा है कि, इजरायल से रिश्ते मजबूत करना 'सबसे महान पाप और गलती' है।
ईरानी सर्वोच्च नेता ने लगाई फटकार
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने खामेनेई के हवाले से कहा है कि, जिन सरकारों ने हाल ही में इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं, उन्हें इस इस्लाम विरोधी आंदोलन से मुंह मोड़ लेना चाहिए और अपनी बड़ी गलतियों की भरपाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा है, इजराय से संबंध मजबूत करने वाले मुस्लिम देशों को अभी भी जल्द अपना फैसला बदल लेना चाहिए।
फिलिस्तीन के अधिकार की बात
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि फिलिस्तिनियों के अधिकार का मुद्दा उठाते हुए कहा कि, सभी मुस्लिम देशों को एक साथ फिलिस्तिनियों के अधिकारों का मुद्दा उठाना चाहिए, ताकि फिलिस्तीन की जमीन पर जो इजरायल कब्जा कर रहा है, उसका सामना किया जा सके। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने अयातुल्ला अली खामेनेई के हवाले से लिखा है कि, "मुसलमानों की एकता का मुख्य संकेत फिलिस्तीन का मुद्दा है, और फिलिस्तीनियों के अधिकारों की बहाली पर जितनी गंभीरता से खर्च की जाएगी, इस्लामी एकता उतनी ही मजबूत होगी।"
अफगानिस्तान पर बोले ईरानी नेता
ईरान के सर्वोच्च नेता ने मुसलमानों, खासकर शिया मुसलमानों के खिलाफ अफगान मस्जिदों में हाल ही में हुए विनाशकारी विस्फोटों को "दुर्भाग्यपूर्ण" करार दिया और उसपर शिकायत व्यक्त करते हुए कहा कि "वे इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों द्वारा किए गए धमाके थे, जिसे अमेरिकियों ने स्पष्ट रूप से कहा था कि हमने बनाया है"। इसके अलावा रविवार को ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शामखानी ने इजरायल की हालिया धमकियों को नजरअंदाज करते हुए कहा कि, ''अगर इजरायल कुछ भी करता है तो ईरान कड़ी प्रतिक्रिया देगा''।
इजरायल को बर्बादी की चेतावनी
ईरान के सर्वोच्च नेता ने इजरायल को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि, ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मुकाबला करने के लिए इजराइल को प्रतिक्रिया के बाद के नतीजों के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि, ''इजरायल को ईरान की प्रतिक्किया के बाद हुए नुकसान के बाद पुनर्निमाण के आने वाली लागत के बारे में सोचना चाहिए''।
इजरायल का 1.5 अरब डॉलर का बजट
वहीं, शामखानी ने ट्वीट करते हुए कहा कि, "ईरान के खिलाफ अत्याचारों के लिए 1.5 अरब डॉलर का बजट आवंटित करने के बजाय, जायोनी शासन (इजराइल के) को ईरान की चौंकाने वाली प्रतिक्रिया से होने वाले नुकसान की मरम्मत के लिए हजारों अरब डॉलर का वित्त पोषण प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए।" आपको बता दें कि, पश्चिमी देशों की मीडिया का दावा है कि, ईरान को रोकने के लिए इजरायल ने अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 1.5 अरब डॉलर के बजट का आवंटन किया है।
मुस्लिम देशों के इजरायल से संबंध
आपको बता दें कि पिछले दो सालों में कई मुस्लिम देशों ने इजरायल के साथ अपने संबंध काफी मजबूत करने शुरू कर दिए हैं। पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सूडान और मोरक्को ने इजरायल के साथ अपने संबंध सामान्य कर लिए। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने 'अब्राहम समझौता' के जरिए यूएई समेत कई मुस्लिम देशों की दोस्ती इजरायल से करवा दी और ऐसी रिपोर्ट है कि सऊदी अरब भी इजरायल के साथ अपने संबंध को सामान्य कर लेगा। (इजरायल पहुंचे यूएई सेना प्रमुख)
फिलिस्तीन के साथ ईरान
आपको बता दें कि, इजरायल-फिलिस्तीन विवाद में ईरान ने हमेशा से फिलिस्तीन की खुलकर मदद की है और फिलिस्तीन में एक्टिव चरमपंथी संगठन हमास को ईरान ने हमेशा से मदद पहुंचाई है। इसके अलावा इसी साल मई के महीने में ईरान के सर्वोच्च नेता ने एक बार फिर से इजरायल को बतौर देश मान्यता देने से इनकार करते हुए इजरायल को 'आतंकियों की जमीन' कहकर संबोधित किया था। जबकि, इजरायल हमेशा से ईरान के परमाणु समझौता से डरता आया है और इजरायल ने कह रखा है कि, वो किसी भी हालत में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरा नहीं होने देगा।