श्रीलंका से हम्बनटोटा छिनने के बाद अब चीन ने चाबहार पोर्ट पर भी डाले डोरे
तेहरान। हाल ही में श्रीलंका ने चीन को 99 साल के लिए अपने हम्बनटोटा पोर्ट को पट्टे पर देकर सामरिक तौर पर भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी, इस बार बीजिंग ने बड़ा हाथ मारने की कोशिश की है। ईरान में भारत के सहयोग से बने चाबहार पोर्ट पर भी चीन अपना प्रभाव चाह रहा है। ईरान ने कहा है कि चीन ने पाकिस्तान में बने ग्वादर पोर्ट को चाबहार से जोड़ने के लिए आग्रह किया है। ओमान सागर में बनकर तैयार हुआ मध्य एशिया व अफगानिस्तान को सिस्तान-बलूचिस्तान से जोड़ने वाला एक मात्र पोर्ट चाबहार के उद्घाटन के वक्त ईरान ने पाकिस्तान के अधिकारियों को न्यौता देकर भारत चौंका दिया था।
पाकिस्तान टूडे के मुताबिक, चाबहार फ्री ट्रेड जॉन के मैनेजिंग डायरेक्टर अब्दोलरहीम कोर्दी ने कहा कि चीन ने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान में बने ग्वादर पोर्ट को ईरान के चाबहार से जोड़ने के लिए इच्छा जताई है। हालांकि, कोर्दी ने यह भी कहा कि ईरान के चाबहार और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के बीच किसी तरह की प्रतिस्पर्धा नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार तक पहुंच बनाने की क्षमता के मामले में दोनों बंदरगाह एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।
कोर्दी ने कहा कि सेंट्रल एशिया और यूरोप में को जोड़ने के लिए सड़क और रेल कनेक्शन फैसिलिटी के मामले में चाबहार पोर्ट ग्वादर से कई गुना ज्यादा बेहतर है। ईरान में चाबहार पोर्ट के प्रोजेक्ट पर काम 2007 में शुरू हुआ था, जिसकी कुल लागत 100 करोड़ रुपये और इसमें 50 करोड़ भारत ने दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने वाला चाबहार पोर्ट सालाना मालवहन क्षमता 85 लाख टन होगी जो अभी 25 लाख टन है।
चीन अपने इकनॉमिक कोरिडॉर को मजबूत करने के लिए ओबीओआर और सीपीईसी समेत जैसे कई प्रोजेक्ट चला रहा है। इसके अलावा इसी माह श्रीलंका ने भी अपना हम्बनटोटा पोर्ट चीन को 99 साल के लिए पट्टे पर दे दिया था, जो भारत से बिल्कुल नजदीक है।
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