ईरान ने कहा- इसराइल एक ट्यूमर जिसे हटाना है, नेतन्याहू ने दिया जवाब
ईरान ने सार्वजनिक तौर पर पहली बार फलस्तीन में सक्रिय सशस्त्र गुटों को हथियार मुहैया कराने की बात मानी है.
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने शुक्रवार को कहा कि इसराइल एक ट्यूमर है जिसे हटाया जाना है.
साथ ही उन्होंने फ़लस्तीन को ईरान से हथियार भेजने का भी समर्थन किया है. दूसरी तरफ़, अमरीका, यूरोपीय संघ और इसराइल ने ईरान के इस बयान की कड़ी आलोचना की है.
इसराइल का विरोध शिया बहुल ईरान में एक बड़ा मुद्दा है. इसराइल के साथ अमन का विरोध करने वाले फ़लस्तीनी और लेबनान के सशस्त्र गुटों को ईरान का समर्थन हासिल रहा है. ईरान ने आज तक इसराइल को मान्यता नहीं दी है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ अयातुल्लाह अली ख़ामनेई ने कहा, "क्षेत्र में यहूदियों की हुकूमत एक ट्यूमर की तरह है जो जानलेवा और नासूर बन गया है. बेशक इसे एक दिन नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा."
ख़ामेनेई ने रमज़ान के आख़िरी जुमे के दिन एक ऑनलाइन भाषण में ये बात कही.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
अमरीका, यूरोपीय संघ और इसराइल ने ईरान की इस टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने ईरान को आगाह करते हुए कहा, "इसराइल को बर्बाद करने की धमकी देने वाली ताक़तों का भी वही हश्र होगा."
در واکنش به سخنان خامنهای:
بار دیگر تکرار میکنیم، هر که اسرائیل را تهدید به نابودی کند، خودش را در خطر مشابه قرار میدهد.
— بنيامين نتانياهو (@israelipm_farsi) May 22, 2020
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने ख़ामेनेई के बयान को ख़ारिज करते हुए उसे घृणित और यहूदी विरोधी टिप्पणी करार दिया.
उन्होंने कहा कि ये बातें ईरान के आम लोगों की सहिष्णुता की परंपरा से मेल नहीं खाती हैं.
यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ़ बोरेल ने कहा कि ख़ामेनेई की टिप्पणी पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं और ये चिंता का सबब भी है.
फ़लस्तीनी गुटों को हथियारों की मदद
हालांकि गज़ा में सक्रिय 'हमास' और 'इस्लामिक जिहाद' जैसे फ़लस्तीनी सशस्त्र गुट ईरान की तरफ़ से मिलने वाले पैसे और हथियारों की मदद की तारीफ़ करते रहे हैं.
लेकिन शुक्रवार से पहले ख़ामनेई ने कभी भी सार्वजनिक तौर पर ये बात नहीं कबूल की थी ईरान इन सशस्त्र गुटों को हथियारों की आपूर्ति करता है.
ख़ामनेई ने कहा, "ईरान को इस बात का एहसास है कि फ़लस्तीनी लड़ाकों की केवल एक समस्या है और वो है हथियारों की कमी. अल्लाह की मर्जी और मदद से हमने योजना बनाई और फ़लस्तीन में सत्ता का संतुलन बदल गया और गज़ा पट्टी यहूदी दुश्मनों के हमलों के ख़िलाफ़ खड़ी हो सकती है और उन्हें हरा सकती है."
इसराइल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ ने इस पर कहा, "इसराइल के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. ख़ामेनेई का बयान इसे पूरी तरह से स्पष्ट कर देता है."
बेनी गैंट्ज़ ने फ़ेसबुक पर लिखा, "मैं किसी को ये सलाह नहीं दे सकता कि वो हमारा इम्तेहान ले ले... हम किसी भी किस्म के ख़तरे का सामना करने के लिए हर तरह से तैयार हैं."
ख़ामेनेई ने और क्या कहा?
ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता ने शुक्रवार को अपने संबोधन में इसराइल के ख़िलाफ़ बयान देने के अलावा भी बहुत कुछ कहा.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार ख़ामेनेई ने इस मौके पर कहा, "फ़लस्तीन की आज़ादी हमारी इस्लामी ज़िम्मेदारी है. इस संघर्ष का मक़सद पूरे फ़लस्तीनी इलाक़े की आज़ादी है और फ़लस्तीनियों को उनका मुल्क वापस दिलाना है. अमरीका चाहता है कि इस इलाक़े में यहूदियों की सरकार की मौजूदगी को सामान्य बात बना दी जाए. कुछ अरब देशों की अमरीका परस्त सरकारें इसके लिए हालात तैयार कर रही हैं."
फ़लस्तीन के मुद्दे को समर्थन देने के लिए ईरान हर साल रमज़ान के आख़िरी जुमे के दिन 'क़ुड्स (यरूशलम) दिवस' मनाता है. साल 1979 की क्रांति के बाद से ही ईरान में ये परंपरा चली आ रही है.
पिछले 30 सालों में ये पहला मौक़ा है जब ईरान के सुप्रीम लीडर की हैसियत से ख़ामेनेई इस मौक़े पर संबोधित कर रहे थे. हालांकि वे लगातार ये कहते रहे हैं कि फ़लस्तीन का मुद्दा मुस्लिम जगत की सबसे बड़ी समस्या है.
इस साल कोविड-19 की महामारी के कारण ईरान ने 'क़ुड्स डे' से जुड़ी रैलियां स्थगित कर दी थीं.