राष्ट्रपति बनते ही इब्राहिम रायसी ने सऊदी अरब को भेजा दोस्ती का पैगाम, टेंशन में इजरायल
ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने अंताल्या डिप्लोमेसी फोरम में एक भाषण के दौरान कहा कि तेहरान सऊदी अरब में अपना राजदूत भेजने के लिए तैयार है।
तेहरान/रियाद, जून 20: ईरान में सत्ता परिवर्तन होते ही नये राष्ट्रपति बने इब्राहिम रायसी के नेतृत्व वाली नई सरकार पहले ही दिन बड़े कूटनीतिक कदम उठाने जा रही है। ईरान का यह कदम पूरे मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक स्थिति को बदल सकता है। सऊदी अरब के साथ पांच साल तक राजनयिक संबंध तोड़ने के बाद ईरान ने रविवार को अपने राजदूत को फिर से रियाद भेजने की घोषणा कर दी है। हालांकि, सऊदी ने अभी तक इसके लिए औपचारिक मंजूरी नहीं दी है। ईरान एक बहुत ही शिया देश है जिसका कई मुद्दों पर कट्टर सुन्नी देश सऊदी अरब के साथ विवाद है। लेकिन, माना जा रहा है कि अगर सऊदी अरब का साथ मिल जाता है तो इजरायल के लिए ये एक बहुत बड़ा झटका होगा।
सऊदी अरब से संबंध बहाली
ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने अंताल्या डिप्लोमेसी फोरम में एक भाषण के दौरान कहा कि तेहरान सऊदी अरब में अपना राजदूत भेजने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि ईरान को ऐसा करने के लिए रियाद से हरी झंडी चाहिए। ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि उनके विचार से सऊदी अरब के साथ ईरान के संबंध बहाल करना संभव है। पिछले पांच सालों में ईरान और सऊदी अरब में टेंशन का माहौल रहा है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध पूरी तरह से बंद है। खासकर यमन को लेकर दोनों देश आमने सामने रहते हैं। सऊदी अरब जहां हूती विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करता है तो ईरान हूती विद्रोहियों को सीधा समर्थन देता है। लिहाजा, दोनों देशों के बीच का संबंध काफी खराब रहा है। ऐसे में अगर एक बार फिर से ईरान अपना राजदूत रियाद भेजता है, तो फिर दोनों देशों के बीच संबंध बहाली का नया अध्याय शुरू हो सकता है और मध्य-पूर्व देशों में मुस्लिम देशों की ताकत में एकजुटता माना जाएगा, जो इजरायल के लिए टेंशन बढ़ाने वाली बात होगी।
बगदाद में तीन बार मुलाकात
ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने कहा कि ईरान ने इराक की राजधानी बगदाद में सऊदी अरब के साथ तीन दौर की बातचीत की है। इसके बाद ही राजदूत को वापस भेजने का फैसला लिया गया है। इस बीच ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में कट्टरपंथी इब्राहिम रायसी की जीत ने इस घोषणा को और भी बड़ा कर दिया है। जरीफ ने कहा कि रायसी की जीत के बाद ईरान अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को और मजबूत करेगा। जरीफ ने आश्वासन दिया कि क्षेत्रीय शक्तियों के साथ सुलह की ईरान की विदेश नीति नए राष्ट्रपति के आने के बावजूद बनी रहेगी।
कैसे बिगड़े ईरान और सऊदी अरब के रिश्ते?
ईरान और सऊदी अरब के संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। सऊदी अरब पूरी दुनिया में सुन्नी मुसलमानों का नेता होने का दावा करता है। वहीं ईरान शिया मुसलमानों का मसीहा होने का दावा करता है। ईरान में दुनिया में सबसे ज्यादा शिया मुसलमान हैं। यही वजह है कि पड़ोसी होते हुए भी दोनों देशों के बीच हमेशा टकराव की स्थिति बनी रहती है। 2016 में सऊदी अरब ने घरेलू मामलों में अवैध रूप से हस्तक्षेप करने के कथित प्रयासों के लिए शिया धर्मगुरु शेख निम्र अल-निम्र को गिरफ्तार करने के बाद मार डाला था।
खत्म हो गये थे राजनीतिक संबंध
शिया धर्मगुरु शेख निम्र अल-निम्र की हत्या के बाद पूरे ईरान में सऊदी अरब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए गये। गुस्साई भीड़ ने तेहरान में सऊदी अरब के दूतावास पर हमला कर दिया था। बदमाशों ने पेट्रोल बम फेंके थे और सऊदी दूतावास में आग लगा दी थी। जवाब में, सऊदी अरब ने ईरानी अधिकारियों को अपने राजनयिक मिशन की सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाते हुए तलब किया था। इतना ही नहीं नाराज सऊदी ने तेहरान में अपना दूतावास बंद कर दिया और सभी कर्मचारियों को वापस बुला लिया था। तेहरान ने भी जवाबी कार्रवाई में रियाद से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था।