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बड़ा झटका: ईरान ने भारत को चाबहार पोर्ट प्रोजेक्‍ट से हटाया, चीन के साथ 400 बिलियन डॉलर की डील सील!

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तेहरान। ईरान की तरफ से भारत के लिए एक बड़ी खबर आ रही है। ऐसी जानकारी है कि ईरान ने मोदी सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए अमेरिका के दुश्‍मन चीन के साथ बड़ी डील कर डाली है। ईरान ने भारत को चाबहार पोर्ट पर बनने वाले रेल प्रोजेक्‍ट से हटा दिया है। इसके साथ ही उसने चीन के साथ 400 बिलियन डॉलर की डील साइन की है। इस डील को आर्थिक और सुरक्षा के लिए अहम रणनीतिक डील करार दिया जा रहा है। सोमवार कोई आई यह खबर भारत के लिए बड़ा झटका है क्‍योंकि चाबहार प्रोजेक्‍ट भारत के लिए एक बड़ा और रणनीतिक प्रोजेक्‍ट है।

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ईरान में बढ़ेगा चीन का प्रभाव

ईरान में बढ़ेगा चीन का प्रभाव

चीन ने एक बार फिर अपने पास मौजूद पैसे की ताकत का इस्‍तेमाल ईरान का प्रभावित करने में किया है। ईरान और चीन के बीच 25 साल के लिए समझौता हुआ है। 18 पेज के इस समझौते के पीछे ईरानी सरकार की तरफ से जो वजह बताई गई है वह भी हैरान करने वाली है। ईरान ने कहा है कि भारत की तरफ से उसे जरूरी रकम में देरी हो रही थी। इस समझौते के बाद ईरान में भी चीनी निवेश का दरवाजा खुल जाएगा। यह इनवेस्‍टमेंट एक या दो सेक्‍टर में नहीं बल्कि पूरी ईरानी अर्थव्‍यवस्‍था में होगा। डील के बाद ईरान के बैंकिंग, टेलीकम्‍युनिकेशंस, बंदरगाहों और रेलवे के साथ ही चीनी कंपनियों को एक दर्जन से ज्‍यादा प्रोजेक्‍ट्स मिलने वाले हैं।

सस्‍ते तेल के बदले चीन की चाल

सस्‍ते तेल के बदले चीन की चाल

चीन ने उम्‍मीद जताई है कि इसके बदले ईरान उसे सस्‍ता तेल देगा। चीन को अगले 25 वर्षों तक ईरान से सस्‍ता तेल मिलेगी और यह सिर्फ एक पहलू है। चीन की कोशिश की है कि धीरे-धीरे वह यहां पर अपनी सेना की मौजूदगी भी बढ़ाए। समझौते के मुताबिक चीनी सेनाएं ईरान की सेनाओं के साथ ट्रेनिंग, एक्‍सरसाइज करेंगी। इसके अलावा ज्‍वॉइन्‍ट रिसर्च और हथियारों को भी ईरान की सेनाओं के साथ आगे बढ़ाया जाएगा। यहां तक की इंटेलीजेंस शेयरिंग भी इस समझौते में शामिल है। इस डील के बाद ईरान और चीन के रिश्‍ते भी पूरी तरह से बदल जाएंगे।

ग्‍वादर पोर्ट का जवाब चाबहार

ग्‍वादर पोर्ट का जवाब चाबहार

विशेषज्ञों की मानें तो अब जिस तरह से चीनी सरकार का प्रभाव यहां पर पड़ेगा, ईरान धीरे-धीरे भारत को किनारे करने की सोच सकता है। चाबहार पोर्ट, पाकिस्‍तान के ग्‍वादर पोर्ट को भारत का जवाब था। ग्‍वादर पोर्ट, चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के फेवरिट बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) के तहत आता है। चीन के ईरान में निवेश करने का मतलब, चाबहार बंदरगाह की अहमियत का खत्‍म हो जाना है। हालांकि अभी तक ईरान की संसद में चीन के साथ हुए समझौते को नहीं भेजा गया है। जब तक संसद की तरफ से समझौते को मंजूरी नहीं मिलती तब तक इसे फाइनल नहीं माना जा सकता है।

भारत और ईरान के बीच करीबी संबंध

भारत और ईरान के बीच करीबी संबंध

चीन की तरफ से भी अभी तक इस डील के बारे में कोई ज्‍यादा जानकारी नहीं दी गई है। पांच जुलाई को चीन के विदेश मंत्री ने ईरानी समकक्ष जावेद जारीफ से मुलाकात की थी और इशारा किया था कि यह डील होकर रहेगी। साथ ही इसे ईरान की संसद में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। भारत और ईरान के बीच करीबी संबंध हैं। भारत अभी तक ईरान से तेल खरीदने वाले सबसे बड़े देशों में एक था। लेकिन साल 2019 में अमेरिका की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत ने तेल खरीदना बंद कर दिया है।

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English summary
Iran drops India from Chabahar port rail project, finalised multi billion dollar with China.
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