वैज्ञानिकों को Venus ग्रह पर मिले जीवन के संकेत, जीवों से जुड़ी अद्भुत जानकारी मिली
ब्रिटेन। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम को सबसे करीबी ग्रह शुक्र यानी वीनस पर जीवन के संकेत मिले हैं। वैसे तो वीनस पर जीवन को काफी नरकीय माना जाता है, क्योंकि यहां दिन के समय तापमान काफी अधिक रहता है। जो सीसा को भी पिघला सकता है। यहां कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा भी काफी अधिक है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि इतना कुछ होने पर भी यहां जीवन के संकेत कैसे मिल सकते हैं। तो इसका जवाब ये है कि वैज्ञानिकों को इस ग्रह के वायुमंडल पर एक गैस मिली है, जो वहां जीवन के संकेत दे रही है। ऐसी संभावना भी है कि इस ग्रह के बादलों में सूक्ष्म जीव तैर रहे हैं।
फॉस्फीन नामक गैस मिली
जो गैस मिली है, उसे फॉस्फीन कहा जाता है। जो एक फास्फोरस और तीन हाइड्रोजन के कणों से मिलकर बनती है। दरअसल ब्रिटेन की कार्डिफ यूनिवर्सिटी के जेन ग्रिएव्स के नेतृत्व वाली वैज्ञानिकों की इस टीम ने हवाई के मौना केआ ऑब्जरवेटरी और चिली के अटाकामा डिजर्ट से टेलिस्कोप लगाकर शुक्र ग्रह के बादलों का जायजा लिया। यहां फॉस्फीन देखकर वैज्ञानिक हैरान रह गए। वैज्ञानिकों की इस टीम में ब्रिटेन, अमेरिका और जापान के शोधकर्ता मौजूद थे। इन्हें पता चला कि ग्रह के बादलों के ऊपर फॉस्फीन की मात्रा मौजूद है।
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फॉस्फीन गैस का जीवन से कैसे संबंध है?
शुक्र ग्रह की सतह के 50 किमी ऊपर मौजूद फॉस्फीन गैस की बात करें तो धरती पर इसका संबंध जीवन से होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये पैंगुइन जैसे जानवरों के पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों से जुड़ा होता है और दलदल जैसी जगहों पर भी पाया जाता है, जहां ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम होती है। आम भाषा में कहें तो जो माइक्रो बैक्टीरिया होते हैं, वह ऑक्सीजन ना होने पर इस गैस को उत्सर्जित करते हैं। इसे कारखानों में भी बनाया जा सकता है। तो ऐसे में वैज्ञानिकों के लिए इस सवाल का जवाब जानना महत्वपूर्ण हो गया है कि शुक्र ग्रह पर ना तो कारखाने हैं और ना ही वहां पैंगुइन हैं, तो फिर ये गैस वहां कैसे मौजूद है।
जीवन जीने की संभावना कम
इस पेपर को नेचर एस्ट्रोनॉमी नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है। जिसमें कहा गया है कि ये अणु नॉन बायोलॉजिकल या प्राकृतिक के जरिए बना हो सकता है। अब वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रह पर जीवन के संकेत को लेकर और अधिक जानने की जरूरत है। यहां जीवन के संकेत मिलना इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि यहां सौरमंडल के अन्य ग्रहों के मुकाबले जीवन जीने की संभावना काफी कम पाई जाती है। इस ग्रह पर ना केवल वायुमंडलीय दवाब अधिक है बल्कि यहां कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा भी काफी ज्यादा है।
50 किमी ऊपर हो सकता है जीवन
वहीं यहां की सतय का तापमान 400 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक माना जाता है। ऐसे में अगर यहां जीवन मिलता भी है तो वो भी 50 किमी ऊपर ही मिल सकता है। यहां संभावित सूक्ष्म जीवों की बात करें तो उन्हें लेकर एक अन्य वैज्ञानिक ने कहा है कि इन जीवों ने अपने आसपास टेफ्लान से मजबूत कवच बना लिया है। जिसके अंदर वो खुद को बंद करके रखते हैं लेकिन ये सवाल फिर भी उठता है कि ये जीव फिर खाते कैसे हैं। ऐसे में ग्रह पर जीवन की खोज के लिए एकमात्र तरीका है वहां किसी को भेजा जाए, जिसपर अभी नासा में काम चल रहा है। यहां आने वाले समय में किसी इंस्ट्रूमेंटल बलून को भेजा जा सकता है।
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