इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनाक जॉनसन सरकार में, आर्थिक नीतियों पर लेंगे फैसले
लंदन। बुधवार को क्वीन एलिजाबेथ ने जॉनसन को देश का नया पीएम नियुक्त किया और जॉनसन ने अपनी नई कैबिनेट का ऐलान भी कर दिया। जॉनसन की कैबिनेट में 39 वर्षीय ऋषि सुनाक भी शामिल हैं। ऋषि, इंफोसिस के फाउंडर नारायणमूर्ति के इकलौते दामाद हैं। ब्रिटेन के इतिहास में पहला मौका है जब सरकार में तीन भारतीयों को शामिल किया गया है। भारत में इसे ब्रिटेन की 'देसी कैबिनेट' करार दिया जा रहा है। जॉनसन ने सुनाक को भी कैबिनेट में बड़ी जिम्मेदारी दी है। सुनाक को वित्त मंत्री का चीफ सेक्रेटरी बनाया गया है और वह हर कैबिनेट मीटिंग में शामिल होंगे।
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पहली बार 2015 में जीता चुनाव
ऋषि, यॉर्कशायर के रिचमंड से सांसद हैं और ब्रेग्जिट के सपोर्टर भी रहे हैं। जॉनसन की कैबिनेट में अब वह लिज ट्रूस की जगह लेंगे जो ऋषि से पहले वित्त मंत्री के चीफ सेक्रेटरी थीं। सुनाक को जो पद दिया गया है, वह ब्रिटेन की सरकार में काफी अहमियत रखता है। बतौर चीफ सेक्रेटरी सुनाक न सिर्फ कैबिनेट मीटिंग्स अटैंड करेंगे बल्कि वह देश की वित्तीय नीति के लिए भी सलाह दे सकेंगे। साल 2015 में पहली बार चुनाव जीतकर सुनाक हाउस ऑफ कॉमन्स पहुंचे थे।
मां डॉक्टर और पिता की केमिस्ट शॉप
सुनाक की मां एक डॉक्टर हैं जबकि उनके पिता नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के साथ रह चुके हैं। इसके अलावा वह एक केमेस्टि की दुकान चलाते थे। 12 मई 1980 को हैंपाशायर में जन्म ऋषि ने विंचेस्टर और लिंकन कॉलेज से पढ़ाई की। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पॉलिटिक्स और अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई की। उनका शुरुआती करियर इनवेस्टमेंट में था।
कैसे हुई अक्षिता मूर्ति से मुलाकात
साल 2006 में ऋषि जब स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई कर रहे थे तो वहीं उनकी मुलाकात नारायण मूर्ति की बेटी अक्षिता से हुई। साल 2009 में बेंगलुरु में इनकी शादी हुई और दोनों दो बेटियों के कृष्णा और अनुष्का के माता-पिता हैं। अक्षिता अपनी खुद की एक क्लोदिंग लाइन चलाती हैं।ऋषि ने एक बिलियन डॉलर वाली ग्लोबल इनवेस्टमेंट फर्म की शुरुआत की।
नारायणमूर्ति को दामाद पर पूरा भरोसा
साल 2015 में जब ऋषि ने पहली बार चुनाव जीता था नारायणमूर्ति ने उनकी जीत पर खुशी जताई थी। उन्होंने इस बात का भरोसा दिलाया था कि ऋषि एक सांसद के तौर पर अच्छा प्रदर्शन करेंगे। अपना पहला ही चुनाव जीतने के बाद ऋषि ने साल 2016 में ब्रेग्जिट के समर्थन में कैंपेन चलाया था।