Sea Survivor: समुद्र से 49 दिनों की जंग लड़कर निकल आया फिशरमैन
जकार्ता। एक इंडोनेशियाई युवक को समुद्र में मछली पकड़ने की झोपड़ी में 49 दिनों तक रहने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में सुरक्षित बाहर निकाल दिया गया। करीब दो माह तक समुद्र के बीच में स्थित झोपड़ी में रहने के दौरान उसने पीने के लिए खारा समुद्री जल का इस्तेमाल किया और मछलियों को पकाकर पेट भरने के लिए मजबूर होना पड़ा। सूलावेसी का रहने वाला 19 वर्षीय एल्डी नोवेल आदिलांग नाव पर एक लैंप पकड़ने का काम करता है, जिसे 'रोमपॉन्ग' भी कहते हैं। आदिलांग की स्टोरी किसी हॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है।
समु्द्र का पानी और मछलियां खाकर रहा जीवित
मध्य जुलाई में जब तेज तूफान आया तब आदिलांग उसमें बुरा फंस गया। तूफान में वह भटकता हुआ इंडोनेशियाई तट से 125 किमी दूर जा पहुंचा। जिसके बाद उसने मछलियों को पकड़ने की एक झोपड़ी (मछलियों को फंसाने के लिए झोपड़ी के आकार का एक जाल) में जाकर अपनी जान बचाई। उस दौरान कई दिनों तक कोई जहाज उस तक नहीं पहुंच पाया और ना ही आदिलांग का पता लग पाया। झोपड़ी में अपना गुजारा करने के लिए आदिलांग समुद्री जल को अपने कपड़ों से छानकर पीता था, ताकि नमक की मात्रा कम हो। वहीं, झोपड़ी की ही लकड़ियों को जलाकर मछली पकाकर खाता था, जिससे कि पेट भर सके।
पनामाई जहाज बना फरिश्ता
जापान के गुआम से हजारों किमी दूर एक पनामाई जहाज ने आखिरकार उसे देखा और उस झोपड़ी से आदिलांग को बाहर निकाला। आदिलांग को बाहर निकालने के बाद जहाज के कैप्टन ने अपने कोस्ट गार्ड को से कॉन्टेक्ट किया, जिसके बाद उसे जापान ले जाया गया। इसी माह 6 सितंबर को आदिलांग जापान पहुंचा, जिसके दो दिन बाद टोक्यो ने उसे उसके परिवार के पास इंडोनेशिया भेज दिया।
आत्महत्या करने का किया था विचार
लोकल न्यूज पेपर को दिए इंटरव्यू में आदिलांग ने कहा, 'एक बार तो समूद्र में कूद कर आत्महत्या करने का विचार कर लिया था। लेकिन फिर मुझे याद आया जब मेरे माता पिता ने कहा था कि संकट के समय प्रार्थना ही सहारा बनती है। मेरे पास बाइबल थी, इसलिए मैं सुसाइड नहीं कर सका।' आदिलांग ने कहा कि कई बार उसने जहाजों को पास से गुजरते हुए देखा, लेकिन उन्होने न तो रोका और न ही उसकी तरफ देखा। आदिलांग ने कहा कि उस वक्त करीब 10 जहाज निकले, लेकिन कोई भी मदद नही कर सका।