इंडोनेशिया : सुनामी आने के पहले ही मिल जाएगी चेतावनी
हालांकि ये कोई पहली मशीनरी नहीं है जिसका इस्तेमाल प्राकृतिक आपदा की पूर्व सूचना के लिए किया जाएगा. इससे पहले भी भविष्यवाणी के लिए उपकरण का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन इस बार ये फ़ेल हो गया जिसकी वजह से जावा-सुमात्रा इलाकों में लोगों को भारी तबाही झेलनी पड़ी.
मौजूदा समय में जो सिस्टम है वो सिर्फ़ भूकंप मापने के लिए है. उससे समुद्र के अंदर होने वाले भू-स्खलन और ज्वालामुखी के फटने से आनी वाली सुनामी का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है.
इंडोनेशिया में शनिवार को अचानक आई सुनामी ने एक बड़े इलाक़े को प्रभावित किया है. यहां मरने वालों की संख्या चार सौ से ज़्यादा हो चुकी है.
सैकड़ों लोग घायल हुए हैं और बड़ी संख्या में लोग लापता हैं. इमारतें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. लेकिन ख़तरा अभी टला नहीं है. मौसम विभाग ने तटीय इलाक़ों के आस-पास रहने वाले को सुरक्षित स्थान पर जाने की हिदायत दी है क्योंकि समुद्री लहरें आगे भी ताडंव मचा सकती हैं.
इस सुनामी का ज़्यादा असर इसलिए भी हुआ है क्योंकि इसकी कोई पूर्व सूचना नहीं थी. लेकिन संभव है कि आने वाले समय में इस तरह की आपदा के नुकसान को सीमित किया जा सके.
इंडोनेशिया का कहना है कि उसने एक ऐसी नई वॉर्निंग मशीन (चेतावनी देने वाली मशीन) तैयार कर ली है जो समुद्र के नीचे भूस्खलन की वजह से आने वाली सुनामी को पहले ही भांप लेगी.
एक सरकारी एजेंसी ने बीबीसी को बताया कि इन नए उपकरणों को अगले साल से लगाया जाने लगेगा. ऐसा माना जा रहा क्रेकाटोआ ज्वालामुखी के फटने से समुद्र में हलचल हुई जिससे तेज़ लहरें उठीं और सुनामी आई.
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अधिकारियों का कहना है कि क़रीब 150 लोग अब भी लापता हैं और 16 हज़ार लोग अपना घर छोड़ दूसरी जगहों पर रहने को मजबूर हैं.
राहत और बचावकार्य लगातार जारी है. मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए बड़े-बड़े उपकरणों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है.
नया सिस्टम काम कैसे करेगा?
ये नया सिस्टम समुद्र में उठने वाली लहरों को मापने के आधार पर काम करेगा. असेसमेंट एंड एप्लीकेशन ऑफ टेक्नॉलजी के प्रवक्ता इयान तुरयाना ने बीबीसी इंडोनेशिया सेवा को बताया कि इस उपकरण की मशीनरी ऐसी है कि ये समुद्र में उठने वाली लहरों के आधार पर सुनामी आने की पूर्व सूचना दे देगा.
हालांकि ये कोई पहली मशीनरी नहीं है जिसका इस्तेमाल प्राकृतिक आपदा की पूर्व सूचना के लिए किया जाएगा. इससे पहले भी भविष्यवाणी के लिए उपकरण का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन इस बार ये फ़ेल हो गया जिसकी वजह से जावा-सुमात्रा इलाकों में लोगों को भारी तबाही झेलनी पड़ी.
मौजूदा समय में जो सिस्टम है वो सिर्फ़ भूकंप मापने के लिए है. उससे समुद्र के अंदर होने वाले भू-स्खलन और ज्वालामुखी के फटने से आनी वाली सुनामी का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है.
प्रभावित क्षेत्र की मौजूदा स्थिति कैसी है?
राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है लेकिन सड़कों पर मलबा पसरा है जिससे सड़कें बंद हो गई हैं और इन इलाक़ों में तेज़ बारिश भी हो रही है.
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कई इलाक़ों में पानी भर गया है. जल जमाव से संक्रामक बीमारियों का ख़तरा भी बढ़ गया है. प्रभावित इलाक़ों में पानी, खाना, दवाएं और कंबल बांटने का काम किया जा रहा है लेकिन ये अब भी बहुत धीमा है. सैकड़ों लोग तंबुओं में रह रहे हैं और बहुत से लोग मस्जिदों-स्कूलों में रहने को मजबूर हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, लोग अब भी डरे-सहमे और घबराए हुए हैं.
लाबुआन शहर के एक अधिकारी अत्माद्जा सुहर ने रॉयटर्स को बताया "इंडोनेशिया में अक्सर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं लेकिन इतनी भयानक नहीं...अगर भगवान ने चाहा तो हम जल्दी सबकुछ दोबारा बना लेंगे."