बिहार के गोपालगंज के वेवेल रामकलवान बने सेशेल्स के राष्ट्रपति, 43 साल बाद रचा इतिहास
विक्टोरिया। एक तरफ भारत के अहम राज्यों में से एक बिहार में विधानसभा चुनावों के लिए वोट डाले जा रहे हैं तो दूसरी तरफ 4,616 किलोमीटर दूर सेशेल्स में एक बिहारी के हाथ में देश की सत्ता आई है। भारतीय मूल के वेवेल रामककलवान जो सेशेल्स की विवक्षी पार्टी के नेता हैं, देश के राष्ट्रपति चुने गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने 43 साल बाद सत्ताधारी यूनाइटेड सेशेल्स पार्टी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया है। सन् 1977 में सेशेल्स को आजादी मिली थी और तब से ही यहां पर यूनाटेड सेशेल्स पार्टी की ही हुकूमत थी।
Recommended Video
यह भी पढ़ें-कौन हैं अमेरिकी चुनावों में उप-राष्ट्रपति की दावेदार कमला देवी हैरिस
पेशे से एक पुजारी
रामकलवान ने अपने प्रतिद्वंदी डैनी फोरे को करारी हार का परिचय कराया है। तीन दिनों तक चली वोटिंग के तहत 74,634 योग्य वोटर्स में से 88 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं ने अपने वोट डाले। वेवल रामकलवान के दादा बिहार के गोपालगंज से आकर सेशेल्स में बसे थे। वेवल रामकलवान का जन्म सेशेल्स के माहे में हुआ था। उनके दादा भारत में बिहार के गोपालगंज के रहने वाले थे। रामकलवान ने अपनी स्कूल से लेकर कॉलेज की पढ़ाई सेशेल्स में ही पूरी की थी। जिसके बाद वह मॉरीशस में धार्मिक अध्ययन के बाद एक पुजारी बने थे। उन्होंने साल 1998, 2001, 2006 के चुनावों में अपनी पार्टी का नेतृत्व किया। इन सभी चुनावों में वह विपक्ष का हिस्सा बने रहे। 2020 के चुनाव में उन्होंने 54.9 फीसदी वोट हासिल किए हैं।
क्या अब भारत की इच्छा होगी पूरी?
साल 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेशेल्स की यात्रा पर गए थे। यहां पर उन्होंने कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। अब रामकलवान के राष्ट्रपति बनने के बाद संशोधन की उम्मीद जताई जा रही है। यह विशेष रूप से इसलिए है क्योंकि अगले संसदीय चुनाव होने पर नए राष्ट्रपति को व्यापक रूप से राजनीतिक रूप से मजबूत होने की उम्मीद है। सेशेल्स की मीडिया के मुताबिक विपक्ष के नेता के तौर पर रामकलवान ने हमेशा से वातावरण से जुड़े नियमों का हवाला देते हुए देश की जमीन की रक्षा की बात कही है। भारत यहां पर एक द्वीप पर नेवी के लिए बेस तैयार करना चाहता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस वर्ष मार्च में सेशेल्स में अपने तत्कालीन समकक्ष बैरी फॉरे से बात भी की थी। लेकिन विपक्ष ने इस पर रोड़ा अटका दिया था। फौरे ने साफ कर दिया था कि संसद की मंजूरी के बिना वह इस पर सहमति नहीं दे सकते हैं। रामकलवान जो अब देश के राष्ट्रपति हैं, उन्होंने यह कहते हुए विरोध किया था कि द्वीप जो कि यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट का हिस्सा है, यहां पर विशाल कछुओं की सबसे बड़ी आबादी है।