UK: PM बोरिस जॉनसन की कैबिनेट में दो भारतीयों को मिली बड़ी जिम्मेदारी, भगवद् गीता हाथ में लेकर ली शपथ
लंदन। ब्रिटेन में एक बार फिर कंजरवेटिव पार्टी ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की अगुवाई में वापसी की है। मंगलवार को यूके की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में नए सांसदों ने शपथ ली। इस दौरान भारतीय मूल के एमपीज ने भगवद् गीता पर हाथ रखकर अपने पद की शपथ ली। ऋषि सुनाक और आलोक शर्मा एक बार फिर से हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुने गए हैं।
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कौन हैं ये दो भारतीय सांसद
आगरा में जन्में 53 साल के आलोक शर्मा, चौथी बार बर्कशायर के रीडिंग वेस्ट से चुनाव जीता है। जॉनसन ने उन्हें इंटरनेशनल डेवलपमेंट सेक्रेटरी का जिम्मा सौंपा है। आलोक के अलावा इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद 39 साल के ऋषि सुनाक भी तीसरी बार यॉर्कशायर के रिचमंड से चुने गए हैं। 12 दिसंबर को यूके में चुनाव हुए हैं। इन चुनावों को इतिहास का सबसे अलग चुनाव करार दिया जा रहा है। ब्रिटेन में पहली बार किसी चुनाव में 65 गैर-अश्वेत उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इसमें से 15 भारतीय मूल के और 19 पहली बार चुने गए सांसद हैं।
धर्म के मुताबिक भाषा चुनने की आजादी
शपथ लेते समय दोनों के हाथ में गीता थी। दोनों ने भगवद् गीता को हाथ में लेकर जो शपथ ली वह कुछ इस तरह से थी, 'मैं ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं कानून के तहत महारानी एलिजाबेथ, उनके पूर्वाधिकारियों और उत्तराधिकारियों के लिए वफादार रहूंगा। ईश्वर मेरी मदद करे।' हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्य अपने धर्म के मुताबिक शपथ की भाषा का चयन कर सकते हैं।
आगरा के रहने वाले आलोक
आलोक शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा में सात सितंबर 1967 को हुआ। उनके पिता प्रेम शर्मा पेशे से एक डॉक्टर थे और आगरा में आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। आलोक की पढ़ाई कुछ दिनों तक आगरा के एक सामान्य स्कूल में हुई। उनकी उम्र पांच वर्ष थी जब उनके उनके माता-पिता ने आगरा छोड़कर ब्रिटेन में बसने का फैसला किया। इसके बाद वह आलोक को लेकर ब्रिटेन चले गए। साल 2010 में आलोक ने पहली बार कंजरवेटिव पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा।
नारायणमूर्ति के दामाद ऋषि
39 वर्षीय ऋषि सुनाक, नारायणमूर्ति के इकलौते दामाद हैं। ऋषि, यॉर्कशायर के रिचमंड से सांसद हैं और ब्रेग्जिट के सपोर्टर भी रहे हैं।सुनाक को जो पद दिया गया है, वह ब्रिटेन की सरकार में काफी अहमियत रखता है। बतौर चीफ सेक्रेटरी सुनाक न सिर्फ कैबिनेट मीटिंग्स अटैंड करेंगे बल्कि वह देश की वित्तीय नीति के लिए भी सलाह दे सकेंगे। साल 2015 में पहली बार चुनाव जीतकर सुनाक हाउस ऑफ कॉमन्स पहुंचे थे।