फ्रांस में ग्लेशियर में 1966 का भारतीय अखबार मिला, पहले पन्ने पर इंदिरा गांधी की जीत का जिक्र
नई दिल्ली। फ्रांस के ग्लेशियर में इस समय में बर्फबारी के बाद यहां बर्फ पिघल रही है। लेकिन इस दौरान कुछ भारतीय अखबारों के पन्नें मिले हैं जोकि चर्चा का केंद्र बन गए हैं। पश्चिमी यूरोप के मोंट ब्लैंक पर्वत श्रंखला में स्थित फ्रांसीसी बोसन्स ग्लेशियर इस समय सुर्खियों में हैं। दरअसल यहां वर्ष 1966 के कुछ भारतीय न्यूज पेपर के पेज मिले हैं। इन पेज में इंदिरा गांधी की जीत की खबर को दिखाया गया है। लोगों का कहना है कि इस इलाके में एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। लिहाजा संभव है कि इस दुर्घटनाग्रस्त विमान में ही अखबार के पेज यहां दब गए होंगे।
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अभी भी पढ़ा जा सकता है अखबार को
फ्रांस के एक अखबार की खबर के अनुसार 24 जून 1966 को यूरोप की सबसे ऊंची पर्वत श्रंखला में एयर इंडिया का विमान हादसे का शिकार हो गया था। इस दौरान मलबे में नेशनल हेराल्ड और इकोनॉमिक्स टाइम्स और भारतीय अखबारों की प्रतियां मिली हैं। यहां फ्रेंच रिसॉर्ट ऑफ चामोनिक्स से तकरीबन 1350 मीटर की उंचाई पर एक कैफे चलाने वाले टिमोथी मोटिन को अखबार के ये पेज मिले हैं। टिमोथी द्वारा दी गई जानकारी के बाद स्थानीय फ्रांस के अखबार ने रिपोर्ट छापी है, जिसमे कहा गया है कि इन अखबारों को अभी भी पढ़ा जा सकता है और यह पढ़ने की स्थिति में हैं।
विमान हादसे में गई थी 177 लोगों की जान
वहीं इस पूरी खबर के बारे में टिमोथी का कहना है कि यह असामान्य बात नहीं है। हम जब भी ग्लेशियर पर घूमने के लिए जाते हैं तो हमे दुर्घटनाग्रस्त विमानों के मलबे मिल जाते हैं। व्यक्तिगत अनुभवों से यह समझ आ जाता है कि यह कहां की चीजें हैं। एयर इंडिया के विमान बोइंग 707 एयर ट्रैफिक से संपर्क टूट जाने के कारण यहां दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस वक्त विमान में पायलट समेत सभी 177 लोगों की हादसे में मौत हो गई थी। जिस जगह यह मलबा है वह मोटिन के कैफे से तकरीबन 45 मिनट की पैदल की दूरी पर स्थित है।
बर्फ के नीचे दबा था अखबार
फ्रांस के पर्वत श्रंखला पर दशकों पुराने भारतीय अखबार के पन्ने मिलने से यह खबर सुर्खियों में आ गई है। इस बारे में मोटिन का कहना है कि यह उनकी किस्मत है कि उन्हें यह अखबार मिला। पिछले करीब छह दशक से यह अखबार बर्फ के नीचे दबा था। हाल ही में यहां बर्फ पिघलनी शुरू हुई है, जिसके बाद ये अखबार सूख गया। मोटिन का कहना है कि उन्होंने अपने कैफे में आने जाने वालों के लिए एक संग्रहालय बना रखा है, जहां लोग यहां मलबे के अवशेष देखने के लिए आते हैं।
पहले भी मिल चुके हैं कई सामान
भारतीय विमान हादसे के बाद मलबे के अवशेष मिलने का सिलसिला यहां 2012 में शुरू हुा था। 2012 में यहां राजनयिकक डाक का एक बैग मिला था, जिसमे भारत सरकार की सेवा वाली, राजनयिक डाक और विदेश मंत्रालय की मुहरें मिली थीं। इसके एक वर्ष बाद यहां एक पर्वतारोही को एक धातु का डिब्बा भी मिला था, जिसपर एयर इंडिया का लोगो बना हुआ था। इसमे 117000 से तकरीबन 230000 ब्रिटिस पाउंड कीमत के पन्ने और बेशकीमती सामन रखे हुए थे। यही नहीं 2017 में यहां मानव अवेशेष भी मिल चुके हैं।