जिहाद का समर्थन करने वाले भारतीय मुस्लिम धर्मगुरु को ओमान ने किया निष्कासित
नई दिल्ली। भारतीय मुस्लिम धर्मगुरू पर ओमान ने बड़ी कार्रवाई की है, उनपर जिहाद का समर्थन करने और लोगों को भड़काने के आरोप में निष्कासित कर दिया गया है। भारत में काफी चर्चित मुस्लिम धर्मगुरू सलमान नदवी पर यह कार्रवाई एक कार्यक्रम के दौरान जब वह लेक्चर दे रहे थे तब की गई है। इस बाबत मसकत के राजनयिक सूत्र ने खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि नदवी पर यह कार्रवाई शरीया साइंस कॉलेज में लेक्चर के दौरान की गई है। इस लेक्चर में उन्होंने कतर पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों पर हमले की बात कही थी।
जिहाद के समर्थन में दिया था लेक्चर
गौरतलब है कि सऊदी अरब और कई अन्य देशों ने आतंकवाद और ईरान को समर्थन देने के आरोप में कतर पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिन देशों ने कतर पर प्रतिबंध लगाया था उसमे सऊदी अरब, मिस्र, यूएई और बहरीन शामिल हैं। इन सभी देशों ने कतर के साथ हर तरह के राजनियक संबंध इसी वर्ष जून माह में खत्म कर लिए थे। ओमान के मुताबिक नदवी ने देश के सिद्धांतों और नीतियों के खिलाफ लेक्चर दिया है, लिहाजा उन्हें निष्कासित करने का फैसला लिया गया है, ओमान की इस कार्रवाई पर रियाद ने औपचारिक बधाई भी दी है।
गौरतलब है कि नदवी को निष्कासित किए जाने के बाद मिस्र के 91 वर्षीय इस्लामी धर्मगुरू युसूफ अल करजावी के साथ देखा गया, करजावी को आतंकवाद का समर्थन करने के चलते अरब देशों ने पहले ही प्रतिबंधित सूची में डाल रखा है, उन्होंने आत्मघाती हमले को जिहाद का सबसे बड़ा रूप बताया था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को भी 2014 से नदवी की तलाश है।
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बगदादी को दी थी बधाई
नदवी इससे पहले 2014 में मोसुल की एक मस्जिद में खिलाफत की घोषणा करते हुए आईएस के चीफ अबू बकर बगदादी को बधाई दी थी, उन्होंने इसके लिए बकायदा बगदादी को एक पत्र लिखा था। नदवी की इस हरकत के बाद से ही वह भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर हैं। हालांकि बाद में नदवी ने कहा था कि उन्होंने यह पत्र भारत सहित कई अन्य देशों में कट्टरता नहीं फैलाने के लिए लिखा था। सलमान नदवी सुन्नी इस्लाम के दारूल उलूम नदवतुल उलेमा से संबंध रखते हैं, उनका संबंध लखनऊ से भी है। उन्होंने इससे पहले सऊदी सरकार को पत्र लिखकर अंतर्राष्ट्रीय जिहादी संगठन संघ बनाने की अपील की थी। उन्होंने 500000 जवानों की एक इस्लामी सेना भी बनाने का सुझाव दिया था, जिसमें भारत और तमाम पड़ोसी देशों के जवान शामिल हो सकते हैं।