चीन के अखबार में कश्मीर पर झूठ, भारत का पक्ष तक नहीं छापा, भारतीय दूतावास ने जारी किया बयान
नई दिल्ली। चीन में भारत के दूतावास की ओर से चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने में पाकिस्तान के राजदूत के इंटरव्यू के जवाब में बयान जारी किया गया है। भारतीय दूतावास ने पाक राजदूत के कश्मीर को लेकर किए गए दावों को एकदम गलत और झूठा बताया गया है। भारतीय दूतावास की ओर से कहा गया है कि चीन में पाकिस्तान के राजदूत मोइन उल हक के ग्लोबल टाइम्स को दिए गए इंटरव्यू पर उनकी ओर से जवाब दिया गया था लेकिन अखबार ने इसे लेने से मना कर दिया। जिसके बाद हम इसको लेकर अपना बयान जारी कर रहे हैं।
चीनी अखबार से क्या कहा है पाक के राजदूत ने
चीन में पाकिस्तान के राजदूत मोइल उल हक ने ग्लोबल टाइम्स को 7 अगस्त को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि जम्मू और कश्मीर पर भारत के पड़ोसी देशों और दुनिया को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वहां मानवाधिकारों का गला घोंटा जा रहा है और हालाक बेहद खराब है। हक ने इंटरव्यू में कहा कि एक साल में 200 निर्दोष कश्मीरी भारतीय सुरक्षाबलों ने मार दिए हैं। बलात्कार और छेड़छाड़ के 50 मामले, घरों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के 1,000 मामले कश्मीर में आए हैं। हक के इस इंटरव्यू में किए दावों पर भारतीय दूतावास ने एतराज जताते हुए इसका जवाब दिया, जिसे अखबार ने नहीं छापा। अब इस पर दूतावास की ओर से बयान जारी किया गया है।
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पाक राजदूत ने अपने झूठ को ही दोहराया
भारतीय दूतावास ने अपने बयान में कहा है कि ग्लोबल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में जो बातें पाकिस्तान के राजदूत मोइन उल हक ने कही हैं, उनमें सच्चाई नहीं है। उन्होंने उन्हीं झूठों को दोहराया है, जिनको पाक पहले भी कहता रहा है। कश्मीर पर किसी का दखल भारत को मंजूर नहीं है, जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। ऐसे में पाकिस्तान या कोई और कश्मीर पर टिप्पणी करे तो इसका कोई मतलब नहीं है।
'370 हटने से कश्मीरियों को हुआ फायदा'
भारतीय दूतावास ने इस बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद वहां तरक्की ने रफ्तार पकड़ी है। बीते एक साल में कश्मीर में सकारात्मक सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक अधिकारों का अधिक प्रभावी संरक्षण हुआ है। आर्टिकल 370 के खात्मे के बाद से जम्मू-कश्मीर में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुनियादी ढांचों के निर्माण को लेकर काफी अच्छा काम हुआ है। इस क्षेत्र में 50 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों को स्थापित किया गया है। पिछले एक साल में 5 लाख से ज्यादा कश्मीरी छात्रों को सरकारी छात्रवृति दी गई है।