यूनाइटेड नेशंस में चीन की बखिया उधेड़ रही थीं भारतीय राजनयिक, अचानक बंद हो गया माइक
यूनाइटेड नेशंस में चीन की महत्वाकांक्षी बीआरआई प्रोजेक्ट की आलोचना करते वक्त भारतीय डिप्लोमेट का माइक बंद हो गया।
बीजिंग, अक्टूबर 21: हाल ही में खत्म हुए संयुक्त राष्ट्र सतत परिवहन सम्मेलन में भारत ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और इसकी 'चायना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर' परियोजना को लेकर भारत ने कड़ा रूख अपनाया था और चीन का जमकर विरोध किया था, लेकिन वहां जब भारतीय डिप्लोमेट चीन की परियोजनाओं की पोल खोल रहीं थीं, उस वक्त उनका माइक अचानक बंद हो गया।
भारतीय डिप्लोमेट का माइक बंद
14 से 16 अक्टूबर तक चीन में आयोजित की गई संयुक्त राष्ट्र की बैठक में अचानक भारतीय डिप्लोमेट का माइक बंद हो गया। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय डिप्लोमेट प्रियंका सोहनी जिस वक्त चीन के खिलाफ आपत्तियां दर्ज करवा रहीं थीं, उस वक्त भारतीय डिप्लोमेट के सामने संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव लियू झेनमिन बैठे हुए थे, जो चीन के पूर्व उप विदेश मंत्री भी रह चुके हैं और जब भारतीय डिप्लोमेट चीन को खरी खोटी सुना रही थीं, उस वक्त उनका माइक बंद हो गया। यहां तक कि अगले स्पीकर का वीडियो भी चलना शुरू हो गया। हालांकि, इसे चीन के पूर्व उप विदेश मंत्री और संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव लियू जेनमिन ने रोक दिया और फिर खेद जताते हुए भारतीय डिप्लोमेट से अपना भाषण जारी रखने को कहा।
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बताया टेक्निकल दिक्कत
सम्मेलन हॉल में माइक सिस्टम बहाल होने के बाद लियू ने कहा कि, ''प्रिय प्रतिभागियों, हमें खेद है। हम कुछ तकनीकी समस्याओं का सामना कर रहे हैं और अगले स्पीकर का वीडियो चला गया। मुझे इसके लिए खेद है और भारतीय डिप्लोमेट प्रियंका सोहनी अपना भाषण फिर से शुरू कर सकती हैं''। उन्होंने सोहोनी से कहा कि, "आप भाग्यशाली हैं और आप वापस आ गई हैं और वापस आपका स्वागत है," जिसके बाद भारतीय राजनयिक ने बिना किसी रुकावट के अपना भाषण जारी रखा।
चीन पर तीखा वार
भारतीय डिप्लोमेट ने इस दौरान कहा कि, "हम भौतिक संपर्क बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इच्छा को साझा करते हैं और मानते हैं कि इससे सभी को समान और संतुलित तरीके से अधिक से अधिक आर्थिक लाभ मिलना चाहिए।" उन्होंने कहा कि, "भौतिक संपर्क का विस्तार और मजबूती भारत की आर्थिक और कूटनीतिक पहल का एक अभिन्न अंग है।" सोहनी ने आगे कहा कि, ''इस सम्मेलन में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव या बीआरआई के कुछ संदर्भ मिले हैं। यहां मैं यह कहना चाहती हूं कि, जहां तक चीन के बीआरआई का संबंध है, हम उससे विशिष्ट रूप से प्रभावित हैं।'' सोहोनी ने कहा कि, तथाकथित चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को एक प्रमुख परियोजना के रूप में शामिल करना भारत की संप्रभुता को प्रभावित करता है।
बीआरआई प्रोजेक्ट पर सवाल
आपको बता दें कि, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में सत्ता में आने के बाद अपना महत्वाकांढी बीआरआई प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसमें अरबों डॉलर की लागत से पूरी दुनिया को सड़क मार्क से जोड़ने का प्लान किया गया है। इस प्रोजेक्ट के पीछे चीन के राष्ट्रपति का उद्देश्य, पूरी दुनिया में चीन के प्रभाव को बढ़ाना और दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को एक नेटवर्क के साथ जोड़ना है। जिसमें जमीन और समुद्री मार्ग दोनों शामिल हैं। 60 अरब अमेरिकी डॉलर का सीपीईसी, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है, बीआरआई की प्रमुख परियोजना है।
सीपीईसी से भारत को आपत्ति
सीपीईसी को लेकर भारत चीन पर मुखर रूप से आपत्ति जताता रहा है क्योंकि इसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के जरिए लाया जा रहा है। बीजिंग अपनी ओर से भारत की आपत्तियों को यह कहकर खारिज कर रहा है कि यह एक आर्थिक पहल है और इसने कश्मीर मुद्दे पर अपने सैद्धांतिक रुख को प्रभावित नहीं किया है। लेकिन, भारत का कहना है कि, भारत से इजाजत लिए बगैर चीन भारत की जमीन पर निर्माण कर रहा है, जो भारतीय की संप्रभुता का उल्लंघन है। भारतीय डिप्लोमेट सोहोनी ने कहा कि, "कोई भी देश उस पहल का समर्थन नहीं कर सकता है जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर अपनी मूल चिंताओं की अनदेखी करता है।" उन्होंने कहा कि, ''इसके अलावा कनेक्टिविटी की पहल को कैसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए, इसके बारे में भी बड़े मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा दृढ़ विश्वास है कि कनेक्टिविटी पहल सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय मानदंडों पर आधारित होनी चाहिए।
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