पहले 26/11 और फिर कोलंबो ब्लास्ट में बाल-बाल बचने वाले भारतीय शख्स की कहानी
कोलंबो। अगर आप किस्मत में यकीन नहीं करते हैं तो अभिनव चारी और उनकी पत्नी नवरूप के चारी की यह कहानी सुनकर आपको किस्मत और भगवान दोनों पर यकीन होने लगेगा। दुबई में बिजनेस कर रहे अभिनव वह व्यक्ति हैं जो 21 अप्रैल को कोलंबो में हुए ब्लास्ट में बाल-बाल बचे हैं। अभिनव और नवरूप दोनों ही 21 अप्रैल को सिनमॉन ग्रांड होटल में थे जब हमला हुआ लेकिन यह इन दोनों का सौभाग्य था जो इनकी जान बच गई। गल्फ न्यूज की ओर से दी गई जानकारी की मानें तो अभिनव नवंबर 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमलों को भी करीब से देख चुके हैं।
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बिजनेस ट्रिप पर गए थे श्रीलंका
अभिनव और नवरूप दोनों श्रीलंका में एक बिजनेस ट्रिप के सिलसिले में थे। दोनों का ठिकाना था फाइव स्टार सिनेमॉन ग्रांड होटल जिसे आतंकियों ने सबसे पहले निशाना बनाया था। अभिनव दुबई में पले बढ़े हैं और उनकी पत्नी भी दुबई की ही रहने वाली हैं। वह अभी तक सिर्फ दो बार ही यूएई से बाहर गए हैं और दोनों बार अभिनव आतंकी हमलों के प्रत्यक्षदर्शी बने। पहली बार वह साल 2008 में दुबई से मुंबई आए। उसी समय आतंकियों ने मुंबई में 12 आतंकी हमलों को अंजाम दिया जिसमें गोलीबारी और बम ब्लास्ट शामिल थे।
पादरी ने चर्च से सबको निकल जाने को कहा
अभिनव ने बताया, 'मैं साल 2008 में मुंबई में था और उस समय मेडिसन की पढ़ाई करने गया था। यकीन मानिए पांच या फिर छह दिन बहुत ही भयानक दिनों की कहानी बन गए थे।'श्रीलंका के अपने डरावने अनुभव के बारे में अनुभव ने बताया, 'ईस्टर संडे पर हम चर्च गए थे। सर्चिस के बीच में ही पादरी ने एक घोषणा की और लोगों से अनुरोध किया कि वे चर्च से निकल जाएं।' अभिनव ने आगे कहा, 'हम चर्च से निकलकर हमने सोचा कुछ नाश्ता कर लिया जाए और हमनें टैक्सी की। हमें सड़क पर एक जैसा नजारा दिखा और फिर हमने तय किया कि हम होटल वापस जाएंगे।'
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होटल में हर कोई लॉन में था मौजूद
इसके बाद अभिनव ने जो भी बताया वह उनका डर बयां करने के लिए काफी था। उनकी पत्नी नवरूप ने इस बातचीत को आगे बढ़ाया। नवरूप ने कहा, 'जैसे ही हम होटल पहुंचे हमने देखा हर कोई लॉन में है। पहले हमें लगा कि शायद कोई सिक्योरिटी प्रोटोकॉल होगा।' दोनों का पता नहीं लग पा रहा था कि आखिर क्या हो रहा है। सोशल मीडिया पर भी कोई जानकारी नहीं पाई थी।
किसी फिल्म के सीन जैसा था सबकुछ
दोनों को ही नहीं मालूम था कि हालात इतने गंभीर हो सकते हैं। जो कुछ भी उनके सामने हो रहा था, उन्हें यकीन नहीं हो रहा था। उन्हें लग रहा था कि जैसे किसी फिल्म का कोई सीन चल रहा है। कोलंबो के होटल्स और चर्चों पर हुए हमलों में 253 लोगों की मौत हो चुकी है। एक दशक बाद श्रीलंका में हुआ यह सबसे भयानक आतंकी हमला था।
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