Project Zorawar: LAC के लिए स्पेशल टैंकों का निर्माण करेगा भारत, ड्रैगन को दिया जाएगा मुंहतोड़ जवाब
इंडियन आर्मी चाहती है, कि जो भी कम वजन वाले टैंक एलएसी पर भेजे जाएं, वो उभयचर प्रकृति के हों, मतलब वो जमीन पर चलने के अलावा पानी में भी ऑपरेट किया जा सके।
पूर्वी लद्दाख, अगस्त 26: पूर्वी लद्दाख में बढ़े हुए चीनी खतरे के बीच भारत ने उत्तरी सीमा रेखा की रक्षा के लिए प्रोजेक्ट जोरावर लॉन्च कर दिया है, जिसके तहत भारत सरकार ने पूर्वी लद्दाख में खतरों वाले इलाके में तैनात रकने के लिए हल्के टैंकों का निर्माण किया जाएगा और इन टैंकों का निर्माण पूरी तरह से स्वदेश में ही किया जाएगा। ताकि किसी भी खतरे की स्थिति में ड्रैगन को फौरन मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। इन टैंकों का उपयोग वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में किया जाएगा, क्योंकि चीन की तरफ से भी ऐसे ही टैंकों की तैनाती की गई है।
भारत का प्रोजेक्ट जोरावर
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि, सेना ने सामान्य स्टाफ गुणवत्ता आवश्यकताओं को अंतिम रूप दे दिया है और 'आवश्यकता की स्वीकृति' (एओएन) के लिए सितंबर में रक्षा मंत्रालय से संपर्क करेगी , जब इस प्रोजेक्ट का पहला चरण शुरू किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, सेना ऐसे टैंकों की तलाश कर रही है, जिनका वजन 25 टन से कम होगा या फिर 10 प्रतिशत तक ज्यादा हो सकता है। इन टैंकों को दूसरे हथियारों के साथ चीन से लगती सीमा रेखा पर भेजा जाएगा। ये टैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस होंगे और इनके साथ अलग अलग तरह के ड्रोन भी भेजे जाएंगे, जिनसे सीमा रेखा पर चीनी सैनिकों की निगरानी की जाएगी और चीनी सैनिकों की किसी भी आक्रामकता का कड़ा जवाब दिया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, इन टैकों की एंटी टैंक मिसाइलों से रक्षा के लिए एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम भी बनाया गया है।
उभयचर टैंकों की तैनाती चाहती है सेना
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन आर्मी चाहती है, कि जो भी कम वजन वाले टैंक एलएसी पर भेजे जाएं, वो उभयचर प्रकृति के हों, मतलब वो जमीन पर चलने के अलावा पानी में भी ऑपरेट किया जा सके। ताकि, ऐसे टैंकों को काफी आसानी से पानी वाले क्षेत्रों में भी तैनात किया जा सके, यहां तक की पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील में भी इन टैंकों को तैनात किया जा सकता है। इस परियोजना का नाम 'जोरावर' रखा गया है, जो जोरावर सिंह कहलूरिया के नाम पर है, जो एक सैन्य जनरल थे, जिन्होंने जम्मू के राजा गुलाब सिंह के अधीन सेवा की थी और उन्हें 'लद्दाख के विजेता' के रूप में जाना जाता है।
पूरी तरह से स्वदेशी परियोजना
इंडियन आर्मी के एक सूत्र ने द प्रिंट से कहा कि, "हम अगले महीने की शुरुआत में एओएन के लिए रक्षा मंत्रालय से संपर्क करेंगे। यह एक स्वदेशी परियोजना होगी, जिसे भारत में डिजाइन और निर्मित किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि परियोजना की मंजूरी से तीन साल में एक प्रोटोटाइप का उत्पादन और परीक्षण शुरू हो जाएगा।" सूत्रों ने आगे कहा कि वज्र-ट्रैक वाले स्व-चालित तोपखाने के एक हल्के टैंक में प्रस्तावित रूपांतरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है क्योंकि यह उस वजन मानदंड को पूरा करने में सक्षम नहीं होगा जिसकी सेना तलाश कर रही है। उन्होंने कहा कि 25 टन वजन अधिकतम है, जो टैंकों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में एयरलिफ्ट करने की अनुमति दे सकता है।