गेहूं के बाद चीनी बेचने पर भी भारत सरकार लगा सकती है पाबंदी, दोस्त देशों पर पड़ेगा गंभीर असर!
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है और अगर भारत चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है, तो पूरी दुनिया पर इसका व्यापक असर पड़ेगा।
नई दिल्ली, मई 24: गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब भारत सरकार चीनी की बिक्री को भी नियंत्रित कर सकती है। भारत सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, भारत सरकार घरेलू कीमतों में उछाल को रोकने के लिए पिछले 6 साल में पहली बार चीनी निर्यात को प्रतिबंधित करने की योजना बना रही है।
चीनी निर्यात पर लगेगा बैन
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीजन भारत सरकार चीनी निर्यात को नियंत्रित कर सकती है और 10 मिलियन टन ही चीनी निर्यात को मंजूरी दे सकती है। आपको बता दें कि, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, लिहाजा अगर भारत चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है, तो पूरी दुनिया पर इसका व्यापक असर पड़ेगा। वहीं, इस खबर के बाद दलाल स्ट्रीट पर चीनी के शेयरों में 5 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।
घरेलू कीमत को नियंत्रित करने की कोशिश
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक श्री रेणुका सुगर्स के अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि, 'सरकार निर्यात की निगरानी करना चाहती है ताकि वे 10 मिलियन टन के जादुई आंकड़े को पार न करें। जहां तक एक करोड़ टन का सवाल है, हमें बहुत गंभीर संदेह है कि क्या वास्तव में 10 मिलियन टन का आंकड़ा पार किया जाएगा या नहीं।" श्री रेणुका शुगर्स ने ईटी नाउ को बताया कि, "सबसे पहले, आज तक केवल 7.2 मिलियन टन ही चीनी का निर्यात किया गया है और एक बार बारिश का मौसम शुरू होने के बाद ऑटोमेटिक तौर पर निर्यात कमी आ जाएगी, लिहाजा 10 मिलियन टन चीनी के निर्यात का आंकड़ा अभी काफी दूर है'।
खाद्य बाजार में भारी महंगाई
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद भोजन की कीमतें आसमान छू गई हैं और दुनिया भर की सरकारों ने कुछ वस्तुओं की घरेलू कीमतों की में बेतहाशा बढ़ोतरी रोकने के लिए कुछ ना कुछ उपाए किए हैं या कर रहे हैं। मलेशिया 1 जून से एक महीने में 3.6 मिलियन से ज्यादा मुर्गियों के निर्यात को रोक देगा, वहीं, इंडोनेशिया ने हाल ही में अस्थायी रूप से ताड़ के तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं, भारत ने गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है, तोर सर्बिया और कजाकिस्तान ने भी अनाज शिपमेंट पर कोटा लगाया है।
निर्यात को कंट्रोल में रखने की कोशिश
भारत में इस साल प्रचंड गर्मी की वजह से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है, जिसकी वजह से भारत सरकार देश में अनाज संकट पैदा होने नहीं देना चाहती है, लिहाजा भारत ने गेहूं निर्यात को बैन कर दिया है। आपको बता दें कि, ग्लोबल मार्केट में भारत कुल 5 प्रतिशत गेहूं का निर्यात करता है और भारत के प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद वैश्विक बाजार में इसका नकारात्मक असर पड़ा है। शिकागो में वायदा बाजार में सोमवार को 5.9 फीसदी की तेजी के साथ 12.47 डॉलर प्रति बुशल हो गया, जो दो महीने में सबसे ज्यादा है। 13 मई को पिछले कारोबारी सत्र में समापन मूल्य, जिस दिन भारत ने प्रतिबंध लगाया था, उस दिन 11.77 डॉलर प्रति बुशल था।
भारत ने कितना गेहूं का निर्यात किया?
भारत सरकार के वाणिज्य विभाग के पोर्टल के अनुसार, भारत ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के पहले 11 महीनों (अप्रैल 2021 से फरवरी 2022) में 66.41 लाख टन गेहूं का निर्यात किया (1 टन 1,000 किलोग्राम या 2,204.6 पाउंड है)। यह डेटा लेटेस्ट अमेरिकी कृषि विभाग की मई 2022 की रिपोर्ट के अनुरूप है, जो जुलाई 2021 से जून 2022 तक 12 महीनों में भारत से गेहूं का निर्यात 10 मिलियन मीट्रिक टन (1 टन 2,000 पाउंड) होने का अनुमान लगाता है। इस अवधि के दौरान कुल विश्व गेहूं का निर्यात 201.5 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है।
विश्व का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है भारत
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादन देश है, मगर चीनी निर्यातक देशों में भारत का स्थान ब्राजील के बाद आता है और चालू वित्त वर्ष में 18 मई तक भारत ने 7.5 मिलियन टन चीनी का निर्यात किया है। आपको बता दें कि, चीनी निर्यात का वित्तवर्ष एक साल के सितंबर से अगले साल का अक्टूबर माना जाता है। खाद्य मंत्रालय ने पहले एक बयान में कहा था, 'मौजूदा चीनी सीजन 2021-22 में चीनी का निर्यात चीनी सीजन 2017-18 में निर्यात की तुलना में 15 गुना अधिक है'। वहीं, भारत, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया और अफ्रीकी देशों को चीनी निर्यात करता है। इससे पहले भारत ने साल 2017-18 में 6.2 मिलियन टन, साल 2018-19 में 3.8 मिलियन टन और साल 2019-20 में करीब 6 मिलियन टन चीनी का निर्यात किया था।