भारत ने पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद पर के ढुलमुल रवैये पर अमेरिका और UN को लताड़ा
संयुक्त राष्ट्रसंघ। भारत ने बुधवार को पाकिस्तान और अमेरिका के साथ ही संयुक्त राष्ट्रसंघ (यूएन) को कड़ी फटकार लगाई है। भारत ने न तो अमेरिका और न ही पाकिस्तान का नाम लिया लेकिन दोनों को आतंकवाद पर लचर रवैये की वजह से जमकर फटकारा।
आतंकी संगठनों का जिक्र
संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत के राजदूत सैय्यद अकबरुद्दीन ने तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, अल कायदा, आईएसआईएस या दाएश, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का जिक्र किया। अकबरुद्दीन ने बुधवार को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में अफगानिस्तान में सुरक्षा हालातों पर भाषण दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि कैसे और क्यों अफगानिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन आज भी हिंसा के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया और न ही अमेरिका का जिक्र किया लेकिन उनकी बातों से इस बात का इशारा साफ था कि वह किसके बारे में बात कर रहे हैं। अकबरुद्दीन ने कहा, 'साफ है कि अंतराष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान में एक ऐसे दुश्मन का सामना कर रही है जो कि अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवाधिकार के कानूनों को तोड़ने में पीछे नहीं है। एक ऐसा दुश्मन जो संसाधनों, हथियारों और बाकी तरह की मदद को आगे बढ़ा रहा है। एक ऐसा दुश्मन जिसे अफगानिस्तान के बाहर मौजूद आतंकी अड्डों से समर्थन हासिल है। यह एक ऐसा दुश्मन है जो कि हिंसा को छोड़ना नहीं चाहता है और न ही एक लोकतांत्रिक, संगठित, स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध देश को देखना चाहता है।
कहां से मिल रही है मदद
अकबरुद्दीन ने कहा कि ऐसे सरकार विरोधी तत्व कहां से हथियार, विस्फोटक, प्रशिक्षण और धन हासिल कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि इनको सुरक्षित शरण कहां मिलती है? ये कैसे हो सकता है कि ये तत्व दुनिया में सबसे बड़े सामूहिक सैन्य प्रयासों में से एक के खिलाफ खड़े हो गए हैं? यह कैसे संभव हुआ है कि ये तत्व अफगान लोगों की हत्याओं पर उन पर बर्बरता में दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं? अकबरुद्दीन की ये टिप्पणियां परोक्ष रूप से पाकिस्तान के संबंध में थीं जिस पर भारत और अफगानिस्तान दोनों आतंकवादी समूहों को समर्थन, प्रशिक्षण और धन मुहैया कराने का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अच्छे और बुरे आतंकवादियों के बीच भेद नहीं करना चाहिए और साथ ही उन्होंने एक समूह को दूसरे समूह के खिलाफ खड़ा करने के प्रयासों की भी निंदा की।