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पूरी दुनिया के बाजार संघर्ष कर रहे हैं, फिर भी भारत में रिकॉर्ड FDI कैसे आया?

पूरी दुनिया जब कोविड संकट से उभर नहीं पाई है, उस वक्त भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 83.57 अरब डॉलर के उच्चतम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की रिपोर्ट दी है...

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नई दिल्ली, मई 21: एक तरह जहां दुनिया के ज्यादातर बाजार संघर्ष कर रहे हैं और उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों से कंपनियां अपने पैसे निकाल रही हैं, उस वक्त भी भारत में रिकॉर्ड मात्रा में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट आया है, जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक शानदार खबर है। भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि, भारत ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त किया है, जो अभी तक के भारतीय इतिहास में सबसे ज्यादा है।

2003 के मुकाबले 20 गुना वृद्धि

2003 के मुकाबले 20 गुना वृद्धि

इस वक्त भी पूरी दुनिया जब कोविड संकट से उभर नहीं पाई है, उस वक्त भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 83.57 अरब डॉलर के उच्चतम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की रिपोर्ट दी है और मंत्रालय ने कहा है कि, वित्तीय वर्ष 2003 के मुकाबले साल 2022 में एफडीआई में 20 गुना का इजाफा हुआ है। भारत में साल 2003 में सिर्फ 4.3 अरब डॉलर का ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया था, लिहाजा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ये एक शानदार खबर है और आने वाले कुछ सालों में भारतीय बाजारों पर इसका असर दिखना शुरू हो जाएगा।

शेयर बाजार पर क्यों नहीं दिख रहा असर?

शेयर बाजार पर क्यों नहीं दिख रहा असर?

कई लोगों का कहना है कि, अगर वाकई भारत में इतना एफडीआई का प्रवाह हुआ है, तो फिर इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर इसका असर क्यों नहीं दिख रहा है। तो इसके कई पहलू हैं। एफडीआई का असर दिखने में कई सालों का वक्त लगता है, क्योंकि किसी कंपनी का भारत में आकर निवेश करना और उसका रिजल्ट दिखने में कुछ सालों का वक्त लगता है। वहीं, दूसरी बात ये भी होती है, कि क्या जितना एफडीआई भारत में आया है, क्या वो रूकेगा? अगर ये रूक जाता है, तो आने वाले वक्त में इसका असर निश्चित तौर पर दिखेगा।

कोविड का कितना असर?

कोविड का कितना असर?

भारतीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि, यूक्रेन युद्ध और कोविड महामारी के बाद भी भारत में पिछले साल के मुकाबले 1.60 अरब डॉलर एफडीआई बढ़ा है। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई सबसे ज्यादा बढ़ा है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के लिए अमृत के सामान है। मंत्रालय ने कहा है कि, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर नें पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 76 प्रतिशत बढ़ गया, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह 12.09 अरब डॉलर था, जबकि इस साल 21.34 अरब डॉलर एफडीआई आया है। आंकड़ों के अनुसार, एफडीआई प्रवाह में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यानि, फरवरी 2018-2020 के बीच भारत में 141.10 अरब डॉलर एफडीआई आया, जबकि, 2020-2022 के बीच में 171.84 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है।

सिंगापुर सबसे बड़ा निवेशक

सिंगापुर सबसे बड़ा निवेशक

भारत के एफडीआई प्रवाह में शीर्ष योगदानकर्ताओं में सिंगापुर 27 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ चार्ट में सबसे ऊपर है, इसके बाद अमेरिका (18 प्रतिशत) और मॉरीशस का 16 प्रतिशत हिस्सा है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर भारत में एफडीआई हासिल करने वाला शीर्ष क्षेत्र बना रहा, जिसने लगभग 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ एफडीआई प्रवाह प्राप्त किया, इसके बाद सर्विस सेक्टर और ऑटोमोबाइल सेक्टर को 12-12 प्रतिशत एफडीआई प्राप्त हुए हैं।

हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में भारी निवेश

हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में भारी निवेश

सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में कर्नाटक (53 फीसदी) और दिल्ली और महाराष्ट्र को (17 फीसदी प्रत्येक) एफडीआई प्राप्त हुए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान रिपोर्ट किए गए कुल एफडीआई इक्विटी फ्लो में 38% हिस्सेदारी के साथ कर्नाटक शीर्ष पर था, जिसके बाद महाराष्ट्र (26%) और दिल्ली (14%) का स्थान है। वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 'कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर' (35%), ऑटोमोबाइल उद्योग (20%) और 'शिक्षा' (12%) क्षेत्रों में कर्नाटक के अधिकांश इक्विटी प्रवाह की रिपोर्ट भारत सरकार की तरफ से दी गई थी।

भारत आकर्षक निवेश स्थल बना?

भारत आकर्षक निवेश स्थल बना?

भारत में जितना एफडीआई आया है, ये आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता था और ये आंकड़ा बताता है, कि चीन के प्रति विदेशी कंपनियों में डर काफी है और वो चीन का विकल्प भी खोज रहे हैं, लेकिन अभी भी कई कंपनी चीन का विकल्प भारत को नहीं देख रहे हैं और सरकार की ये बड़ी कमजोरी है, कि वो विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने में अभी भी पूरी तरह से कामयाबी हासिल नहीं कर पाई है। हालांकि, भारत सरकार का दावा है कि, पिछले आठ सालों में सरकार ने लगातार एफडीआई नीति की समीक्षा की है और महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत आकर्षक और निवेशकों के अनुकूल गंतव्य बना रहे। लेकिन फिर भी, भारत के लिए ये काफी पॉजिटिव खबर है और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में जितना एफडीआई मिला है, वो साफ दिखाता है, कि उन्हें भारत में भरोसा है।

साल 2025 का टारगेट

साल 2025 का टारगेट

इसके साथ ही भारत सरकार ने पिछले महीने कहा था कि, भारत में 100 यूनिकॉर्न पूरे हो गये हैं। यानि, 100 ऐसे स्टार्ट्सअप हो गये हैं, जिनका वैल्यू एक अरब डॉलर को पार कर गया है और भारत सरकार का लक्ष्य साल 2025 तक ऐसी कंपनियों की संख्या 250 तक ले जाने का है और इस लिहाज से देखें, तो इन यूनिकॉर्न को भी निवेश चाहिए और एफडीआ प्रवाह का बढ़ना काफी शुभ संकेत हैं। वहीं, आईएमएफ ने माना है कि, भारत साल 2027 तक पांच ट्रिलियन की इकोनॉमी बन सकता है और उसने जो पिछले अनुमान लगाया था, उसमें गलती हो गई थी। लिहाजा, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ये एक काफी अच्छी बात है और उम्मीद की जानी चाहिए, कि आने वाले वक्त में जिस तरह से इंडो-पैसिफिक को लेकर काम हो रहा है, भारत में एफडीआई और भी ज्यादा बढ़ेंगी।

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English summary
Markets all over the world are struggling and record FDI has come in India, how?
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