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गहराती जा रही है भारत और UAE की दोस्ती, व्यापारिक रिश्ते में अमेरिका को छोड़ा पीछे, अगला टार्गेट चीन

चीन की विस्तारवादी नीति को देखते हुए यूएई विशेषज्ञों का मानना है कि वहां की सरकार ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में तेजी से काम करना शुरू किया है।

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अबू धाबी/सितंबर 27: पिछले एक दशक में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच की दोस्ती काफी गहरी होती जा रही है और दोनों देश काफी करीब आए हैं। भारत और यूएई के बीच कई रक्षा सौदे तो हुए ही हैं, साथ ही यूएई की वजह से इंडियन नेवी पहली बार फारस की खाड़ी में युद्धाभ्यास करने भी पहुंची थी। लेकिन, सबसे दिलचस्प बात ये है कि व्यापारिक भागीदारी में दोनों देशों के आपसी संबंध ने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है।

अमेरिका को छोड़ा पीछे

अमेरिका को छोड़ा पीछे

भारत, संयुक्त अरब अमीरात का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। हालांकि, अभी भी चीन पहले नंबर पर है, लेकिन दोनों देश उम्मीद कर रहे हैं कि अगले कुछ सालों में दोनों देशों की व्यापारिक भागीदारी चीन को भी पीछे छोड़ दे। रविवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2021 की पहली छमाही में दोनों देशों के बीच व्यापार 38.5 बिलियन दिरहम (एक दिरहम-20 रुपये) हो गया है। दुबई सरकार के बयान के मुताबिक, संयुक्त अरब अमीरात का चीन के साथ पहली छमाही में 86.7 बिलियन दिरहम का व्यापार था। सबसे खास बात ये है कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापार में भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। पहले स्थान पर चीन, दूसरे स्थान पर भारत और अब अमेरिका तीसरे स्थान पर चला गया है।

लगातार बढ़ता व्यापार

लगातार बढ़ता व्यापार

संयुक्त अरब अमीरात के साथ पिछले साल के मुकाबले भारत का व्यापार 74.5 प्रतिशत बढ़ गया है। वहीं, यूएई के साथ पिछले साल के मुकाबले चीन का व्यापार 30.7 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि अमेरिका के साथ पिछले साल के मुकाबले यूएई का व्यापार सिर्फ एक प्रतिशत बढ़ा है। यानि, समझा जा सकता है कि दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए कितने तत्पर हैं। वहीं, यूएई के साथ सऊदी अरब का व्यापार 30.5 बिलियन दिरहम है और वो अमेरिका के बाद चौथे स्थान पर है, जबकि पिछले साल की पहली छमाही के मुकाबले दोनों देशों का व्यापार 26 प्रतिशत बढ़ा है। सऊदी अरब के बाद स्विटजरलैंड का स्थान आता है।

100 अरब डॉलर व्यापार का लक्ष्य

100 अरब डॉलर व्यापार का लक्ष्य

भारतीय कंपनियों ने यूएई के बाजारों में अपनी शानदार उपस्थिति बनाई है और इसका नमूना पिछले साल दुबई एक्सपो-2020 में दिखा भी था, जिसका उद्घाटन भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ही किया था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत सरकार ने अपनी अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन करने का लक्ष्य रखा हुआ है और इसके लिए संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापारिक भागीदारी बढ़ाना काफी जरूरी है। खासकर मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों ने व्यापारिक भागीदारी के अलावा रक्षा भागीदारी को भी बढ़ाया है। संयुक्त अरब अमीरात ने हवा में ही रफाल विमान में तेल भरने के लिए भारत सरकार को अपने विमान भी मुहैया कराए हैं, वहीं इंडियन नेवी और संयुक्त अरब अमीरात की नेवी भी मिलकर काम कर रही है।

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

यूएई में भारत के राजदूत पवन कपूर ने कहा है कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापारिक गति को काफी तेजी देने के लिए दोनों देशों के बीच फ्री ट्रे़ड एग्रीमेंट पर बात की जा रही है और दोनों देशों ने अगले कुछ सालों में 100 अरब डॉलर के व्यापार की इच्छा जताई है और उसके लिए काफी तेजी से काम कर रहे हैं। दरअसल, चीन ने पिछले कुछ सालों में जिस तरह से दुनिया के अलग अलग देशों पर आक्रामकता दिखाई है, उसे लेकर संयुक्त अरब अमीरात काफी सतर्क हो गया है और वो चीन के साथ अपनी व्यापारिक भागीदारी को सीमित रखकर भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते को काफी मजबूत करना चाहता है।

व्यापार बढ़ाने के लिए भारत के कदम

व्यापार बढ़ाने के लिए भारत के कदम

भारत के कामगर पहले ही लाखों की संख्या में संयुक्त अरब अमीरात में मौजूद हैं। वहीं, भारतीय राजदूत पवन कपूर ने कहा कि भारतीय कंपनियां तेजी से यूएई के बाजारों में अपना पैर पसार रही हैं और भारत के उद्यमी यूएई में स्टार्टअप्स की शुरूआत कर रहे हैं, जिसके लिए संयुक्त अरब अमीरात की सरकार उन्हें काफी बेहतर माहौल उपलब्ध करवा रही है। वहीं, कई भारतीय कंपनियां ग्लोबल इन्वेस्टर्स के साथ मिलकर भी यूएई में काम कर रही हैं और दोनों देश अगले कुछ सालों में 100 अरब डॉलर व्यापारिक साझेदारी को पूरा करने की दिशा में काफी तेजी से काम कर रहे हैं।

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English summary
India has overtaken the US to become the second largest trading partner of the United Arab Emirates. The next target of the two countries is to reach a trade partnership of $100 billion.
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