3.1 ट्रिलियन डॉलर की GDP वाला देश बना भारत, 2030 तक बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
नई दिल्ली, जनवरी 09: अर्थव्यवस्था के लिहाज से अगले आठ सालों में भारत विश्व की प्रमुख आर्थिक शक्ति बनने वाला है और जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थान पर नजर रखने वाली संस्था 'आईएचएस मार्किट' ने अनुमान लगाया है कि, साल 2030 तक भारत एशिया की दूसरी सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। यानि, भारत से आगे सिर्फ अमेरिका और चीन ही रहेंगे।

3.1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था
आईएचएस मार्किट ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि, भारत 2030 तक एशिया की दूसरी सबसे बड़ीअर्थव्यवस्था के रूप में जापान से आगे निकल सकता है और भारत की जीडीपी जर्मनी और यूनाइटेडकिंगडम की अर्थव्यवस्था को भी पीछे छोड़ देगा और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनजाएगा।वर्तमान में, भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम केबाद दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगर भारत अगले आठ सालों में दुनिया कीतीसरी अर्थव्यवस्था बनने में कामयाब रहा, तो निश्चित तौर पर भारत के लिए ये एक अविश्वसनीयउपलब्धि होगी, साथ ही साथ भारत की शाख पूरी दुनिया में काफी ज्यादा बढ़ जाएगा और एक तरह सेभारत धरती की महाशक्तियों में से एक कहलाएगा।

आईएचएस मार्किट का अनुमान
आपको बता दें कि, आईएचएस मार्किट दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं का विश्लेषण करती है औरउसके आधार पर अपनी रिपोर्ट पेश करती है। आईएचएस मार्किट के विश्लेषण पर दुनियाभर कीसरकारें काफी गहनता से मंथन करती हैं और उनके विचारों पर कई बार फैसले भी लिए जाते हैं।आईएचएस मार्किट लिमिटेड ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि, "डॉलर के संदर्भ में भारत कीनॉमिनल जीडीपी 2021 में 2.7 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 8.4 ट्रिलियन डॉलर होने काअनुमान है।" रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि, "आर्थिक विस्तार की इस तीव्र गति केपरिणामस्वरूप भारतीय जीडीपी का आकार 2030 तक जापान की जीडीपी से ज्यादा हो जाएगा,जिससे भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।"

भारत की जीडीपी होगी 8 ट्रिलियन डॉलर
सबसे अहम बात ये है कि, मोदी सरकार ने साल 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियनडॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा था और आईएचएस मार्किट की रिपोर्ट के आधार पर अनुमान लगाएंतो मोदी सरकार अपने टार्गेट को पूरा करने में असफल रह सकती है, लेकिन साल 2030 तक भारतकी अर्थव्यवस्था 8.4 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी, तो भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। यानि,2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था जर्मनी, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम और तमाम यूरोपीय देशों कीअर्थव्यवस्था से बड़ी होगी और कुल मिलाकर, भारत के अगले दशक में दुनिया की सबसे तेजी सेबढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बने रहने की उम्मीद है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के 'अच्छे दिन'
कोविड महामारी से पहले भारत की अर्थव्यवस्था 2.9 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी, लेकिनकोविड महामारी की वजह से लगाए गये लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसानपहुंचाया और देश का विकास दर माइनस 7 प्रतिशत तक गिर गया था, लेकिन इस भारत भारतसरकार ने इस वित्त वर्ष में 9 प्रतिशत से ज्यादा विकासदर का अनुमान लगाया है और अगर सरकारअपने इस टार्गेट को पूरा करती है, तो ये 2030 की दिशा में बढ़ाया गया मजबूत कदम होगा। वहीं,भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण को कई प्रमुख विकास चालकों द्वारा समर्थितकिया जाता है।

मध्यम वर्ग की भूमिका
आईएचएस मार्किट की रिपोर्ट में कहा गया है कि, "भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक कारकइसका बड़ा और तेजी से बढ़ता हुआ मध्यम वर्ग है, जो उपभोक्ता खर्च को चलाने में मदद कर रहाहै।" देश का खपत खर्च 2020 में 1.5 ट्रिलियन डॉलर से दोगुना होकर 2030 तक 3 ट्रिलियनडॉलर हो जाएगा।पूरे वित्तीय वर्ष 2021-22 (अप्रैल 2021 से मार्च 2022) के लिए, भारत कीवास्तविक जीडीपी विकास दर 8.2 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो 2020-21 में साल-दर-साल 7.3प्रतिशत के गंभीर संकुचन के बाद की मजबूती को दिखा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, 2022-23वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.7 प्रतिशत की गति से मजबूती से बढ़ने का अनुमान है।

निवेश के लिए प्रमुख स्थान बनेगा भारत
आईएचएस मार्किट की रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले सालों में औद्योगिक क्षेत्र की दिशा मेंभारत काफी मजबूती से कदम बढ़ाएगा और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ साथ भारत में भारीसंख्या में निवेश आएगा और भारत का घरेलू उपभोक्ता बाजार भी तेजी से आगे बढ़ेगा, जिसकी वजहसे बड़ी संख्या में मल्टीनेशनल कंपनियां भारत की तरफ रूख करेंगी और भारत ऐसी कंपनियों केलिए महत्वपूर्ण गंतव्य स्थान बनेगा। इसके साथ ही रिपोर्ट में भारत में हो रहे डिजिटल परिवर्तन कीतारीफ की गई है और इसकी वजह से ई-कॉमर्स में काफी तेजी से विकास की संभावना भी जताई गईहै। रिपोर्ट में कहा गया है कि, अगले एक दशक में भारत का उपभोग्ता बाजार पूरी तरह से बदलजाएगा।

भारत में इंटरनेट क्रांति
भारत की तेजी से बढ़ती युवा आबादी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में अहम भूमिका निभा रहा हैऔर रिपोर्ट में कहा गया है कि, अगले दशक में खुदरा उपभोक्ता बाजार का परिदृश्य पूरी तरह सेबदल जाएगा।रिपोर्ट के अनुसार, "यह भारतीय बाजार में टेक्नोलॉजी और ई-कॉमर्स में अग्रणी वैश्विकबहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित कर रहा है।" रिपोर्ट के मुताबिक, " साल 2030 तक भारत में एकअरब एक करोड़ इंटरनेट यूजर्स होंगे, जो 2020 में अनुमानित 50 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं सेदोगुने से भी ज्यादा होगा और इंटरनेट यूजर्स की इतनी आबादी पूरी दुनिया में कहीं नहीं होगी, चीन मेंभी नहीं और ये इंटरनेट यूजर्स भारत की अर्थव्यवस्था की धूरी होंगे।"

1988-89 के बाद बड़ी उपलब्धि
भारत की अर्थव्यवस्था के साथ सबसे अच्छी बात का अनुमान ये है कि, चालू वित्त वर्ष में 9.2% ग्रोथरेट का अनुमान लगाया गया है, जो एक मजबूत कृषि क्षेत्र और मैन्यूफैक्चरिक सेक्टर, कंस्ट्रक्शन औरसर्विस सेक्टर में सुधार को मजबूत करने में मदद करता है, लेकिन तीसरी कोविड लहर आने वालेमहीनों में विस्तार को नुकसान पहुंचा सकती है।यदि 9.2% की वृद्धिदर को हम पूरा करने मेंकामयाब होते हैं, तो यह 1988-89 के बाद से सबसे तेज वृद्धि होगी जब अर्थव्यवस्था में 9.6% की वृद्धिहुई थी।

विश्व बैंक का क्या है अनुमान
विश्व बैंक के अनुसार, मौजूदा डॉलर की कीमतों के तहत भारत की GPD 2019 में बढ़कर 2.9ट्रिलियन डॉलर हो गया था, लेकिन साल 2020 में भारत में लगे लॉकडाउन की वजह से भारत कीअर्थव्यवस्था गिरकर 2.7 ट्रिलियन डॉलर हो गई थी।यह विकास दर भारत को दुनिया में सबसे तेजीसे बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का टैग बनाए रखने में भी मदद करेगी। कोरोनोवायरस के प्रसार कोरोकने के लिए लगाए गए सबसे सख्त लॉकडाउन के भीषण प्रभाव के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार हुआहै, जिसके कारण 2020-21 की जून तिमाही में रिकॉर्ड 24.4% संकुचन हुआ था।

9 प्रतिशत से ज्यादा ही रहेगा विकास दर
हालांकि, भारत के नेशनल स्टेटिटिक्स ऑफिस यानि एनएसओ ने जो विकास दर का अनुमान लगायाहै, वो भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से थोड़ा कम है। वहीं, इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड यानिआईएमएफ ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास दर का अनुमान भी करीब करीब इतना ही लगायाहै, लिहाजा ये कहा जा सकता है कि, भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास दर 9 प्रतिशत से ज्यादा रहनेवाला है, लेकिन कुछ जानकारों ने कोविड की नई लहर को देखते हुए लगाए जा रहे प्रतिबंधों कोभारतीय अर्थव्यवस्था के ऊपर काला साया बताया है और उन्हें डर है कि, अगर कोविड मामले बढ़नेसे फिर से देश को लॉडाउन में जाना पड़ा, तो फिर गंभीर नुकसान भी हो सकता है।
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