UN की मुखिया के कश्मीर का जिक्र करने पर निराश हुआ भारत, बयान जारी कर जताई नाराजगी
जेनेवा। भारत ने यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स हाई कमिश्नर (यूएनएचआरएचसी) की नई मुखिया मिशेल बैचलेट की ओर से जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने पर निराशा जताई है। यूएन के मानवाधिकार संगठन कई नई मुखिया की ओर से जारी बयान में जम्मू कश्मीर के जिक्र ने भारत को निराश कर दिया है। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान के जीरो मानवाधिकार पर भी सवाल उठाया है। इस समय यूएन के मानवाधिकार संगठन की ओर से स्विट्जरलैंड के जेनेवा में तीन हफ्तों का एक सत्र चल रहा है। इस सत्र के दौरान ही काउंसिल की ओर से कई मीटिंग्स की जा रही है।
पुरानी रिपोर्ट की तरफदारी
सोमवार को बैचलेट ने कहा था कि जून में आई मानवाधिकार की रिपोर्ट जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों ही तरफ ये से लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर जारी मानवाधिकार का जिक्र किया गया था, उस पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। इस रिपोर्ट को कमीशन के पूर्व मुखिया जैद राद अल हुसैन ने तैयार किया था और इस पर भारत की तरफ से कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई थी। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजीव के चंदर की ओर से इस मुद्दे पर खेद जताया गया है। उन्होंने कहा, 'इस बात पर काफी खेद है कि भारती राज्य जम्मू कश्मीर का जिक्र किया गया है।' उन्होंने आगे कहा कि हमारे विचारों को काउंसिल में पहले ही साफ कर दिया गया है। इसके बाद मानवाधिकारों के मुद्दे को सही तरीके से देखना चाहिए और इस मामले में किसी भी देश की अखंडता और क्षेत्रीय सीमा को सही और विश्वसनीय तरीके से ध्यान में रखा जाना चाहिए।
क्या कहा भारत ने
पाकिस्तान ने मंगलवार को कहा है कि कश्मीर पर वह बैचलेट के गुस्से को समझ सकता है। साथ ही रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करने के लिए वह बैचलेट को अपना समर्थन देता है। इन टिप्पणियों पर जवाब देते हुए बुधवार को भारत की प्रथम सचिव मिनी देवी कुमाम ने बयान जारी कर कहा, 'भारत, पाकिस्तान की उन कोशिशों को खारिज करता है जिसमें बार-बार एक झूठी रिपोर्ट के जरिए जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया जा रहा है।' उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि कश्मीर, भारत को एक अभिन्न हिस्सा है। कुमाम के मुताबिक कश्मीर में सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान की ओर से समर्थित आतंकवाद है और साथ ही उन्होंने पाक में मानवाधिकार के रिकॉर्ड पर भी सवाल उठाया।
क्या था पूर्व रिपोर्ट में
वहीं चंदर ने आतंकवाद को मानवाधिकार के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत इस बात की उम्मीद करता है कि आने वाले वर्षों में इस मुद्दे को सही तरह से समझा जा सकेगा। जून में जैद राद अल हुसैन की ओर से जो रिपोर्ट आई थी उसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को आतंकी संगठन नहीं माना गया था बल्कि 38 बार इन संगठनों के लिए 'आर्म्ड ग्रुप' यानी 'हथियारों से लैस संगठन' इस शब्द का प्रयोग किया गया है। साथ ही संगठनों के मुखिया को सिर्फ 'लीडर' कहकर संबोधित किया गया था। उस रिपोर्ट में 26 बार पीओके को 'आजाद जम्मू कश्मीर' के तौर पर बताया गया है।